गरीब छात्रों को नुकसान पहुंचाती है नीट, जो कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते
गरीब छात्रों को नुकसान पहुंचाती है नीट, जो कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते
चेन्नई/दक्षिण भारत । राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में घोटाला मामले की जांच के बाद मद्रास उच्च न्यायालय ने पाया कि यह परीक्षा गरीब तबके के छात्रों को नुकसान पहुंचाती है। खबरों के अनुसार, अदालत ने सोमवार को पूछा कि देश में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए परीक्षा को क्यों नहीं हटाया गया। तमिलनाडु सरकार द्वारा जस्टिस एन किरुबाकरन और पी वेलमुरुगन की खंडपीठ को सूचित किया गया कि परीक्षा में उत्तीर्ण 3,081 छात्रों में से केवल 48 ने परीक्षा के लिए निजी कोचिंग नहीं ली थी। अदालत ने कथित तौर पर पूछा, वर्तमान केंद्र सरकार, जिसने पिछली सरकार के कार्यक्रमों को वापस कर दिया था, ने नीट को रद्द क्यों नहीं किया? यह जानने पर कि निजी कोचिंग संस्थान कोचिंग के लिए 2.5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए के बीच शुल्क ले रहे हैं, न्यायाधीशों ने पाया कि मेडिकल कॉलेजों के दरवाजे गरीब छात्रों के लिए बंद हैं्। इसके अलावा, न्यायाधीशों ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा सभी छात्रों के लिए समान होनी चाहिए।
तमिलनाडु में हाल ही में हुई डॉक्टरों की हड़ताल पर अदालत ने इस बात को लेकर आश्चर्य जताया कि डॉक्टर, जो दिन में कई-कई घंटे काम करते हैं, लेकिन केवल 57,000 रुपए प्रतिमाह कमा रहे हैं, जबकि सरकारी शिक्षकों की कमाई इससे कहीं ज्यादा है। सीबीआई को इस पर जवाब देने के लिए कहा गया है कि क्या उसे नीट के संबंध में पहचान बदलकर परीक्षा देने की कोई शिकायत मिली है। इस मामले पर अब 7 नवंबर को सुनवाई होगी। अदालत कोयंबटूर के एस. धीरन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने प्रबंधन कोटे की सीटों के लिए उचित काउंसलिंग प्रक्रिया की मांग की थी।
इससे पहले, अदालत ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों से अंगूठे के निशान को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को जमा करने वालों के साथ मिलान करने का आदेश दिया। सीबी-सीआईडी ने चेन्नई में अपने घर से लापता होने के बाद 26 सितंबर को तिरुपति से वेंकटेशन और उनके बेटे (एक मेडिकल छात्र) को गिरफ्तार किया था। छात्र ने तेनी मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर एमबीबीएस की सीट हासिल की थी। उस पर आरोप है कि उसके लिए मुंबई में किसी और ने नीट परीक्षा दी थी। इस घोटाले का खुलासा कॉलेज के डीन द्वारा प्रथम वर्ष के छात्रों के दस्तावेजों की पुष्टि करते हुए आंतरिक जांच किए जाने के बाद हुआ। उन्हें एक ई-मेल के जरिए घोटाले की सूचना मिली थी। अदालत ने जांच में आयकर विभाग को भी शामिल किया था, क्योंकि बेंगलूरु और नमक्कल जिले के कोचिंग सेंटरों में छापेमारी के बाद ’भारी मात्रा में नकदी’ जब्त की गई थी।