सरकार बचाने में जुटे पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी

सरकार बचाने में जुटे पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी

चेन्नई। मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी (ईपीएस) और उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम साथ में आ चुके हैं लेकिन इसके साथ ही राज्य की सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) सरकार पर नया खतरा मंडराने लगा है। टीटीवी दिनाकरण का समर्थन करने वाले ़१९ विधायकों ने जहां राज्यपाल से मिलकर समर्थन वापस लेने का ज्ञापन सौंप दिया है वहीं दिनाकरण लगातार पार्टी पर अपने प्रभाव को दिखाने के लिए राज्य के मंत्रियों को पार्टी पदों से हटा रहे हैं। दिनाकरण समर्थकों के समर्थन वापस लेने के बाद पलानीसामी की सरकार अल्पमत में आ चुकी है।द्मह्र ्यप्थ्य्द्भ·र्ैंह्र ·र्ष्ठैं झ्य्ध्ष्ठद्धख्रध्द्मष्ठ ·र्ैंर्‍ ब्स् फ्ैंद्नय्प्द्मय् सूत्रों के हवाले से मीडिया में इस प्रकार की खबरें आ रही हैं कि दिनाकरण तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिशों में जुटे हैं। पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम के लिए इससे भी ब़डी चिंता की बात यह है कि अभी तक उनके पक्ष में शामिल नौ अन्य विधायक भी जल्द ही पाला बदलकर दिनाकरण के समर्थन में जा सकते हैं। यही कारण है कि पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी दोनों ही सरकार को बचाने की कोशिशों में जुट गए हैं। यदि दोनों नेता अपने पाले के सभी विधायकों को खुद से जो़डकर रखने में कामयाब नहीं होते हैं तो सरकार गिर भी सकती है।फ्द्य·र्ैंय्द्य द्धघ्य्द्मष्ठ ख्रह्यप्थ्य्द्भ·र्ैंह्र ·र्ैंर्‍ ख्रद्य·र्ैंय्द्यफरवरी में जब पलानीसामी ने विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव जीता था तो उनके पक्ष में १२२ वोट आए थे। इनमें विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल को जो़ड लें तो इसकी संख्या १२३ होती है। अब इनमें से १९ विधायक दिनाकरण के पाले में जा चुके हैं तो सरकार समर्थकों की संख्या मात्र १०४ रह गई है जबकि सदन में सामान्य बहुमत के लिए ११७ विधायकों के समर्थन की जरुरत है। यह संख्या पन्नीरसेल्वम के ११ विधायकों के जो़डने पर भी हासिल नहीं हो रही है। मौजूदा स्थिति में पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी को अपना विश्वासमत कायम रखने के लिए कम से कम दो विधायकों का समर्थन होना जरुरी है। उल्लेखनीय है कि राज्य विधासनसभा के सदस्यों की कुल संख्या २३५ है। जिसमें एक मनोनीत सदस्य शामिल हैं। निर्वाचित २३४ सदस्यों में से पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद एक सीट खाली है यानी अभी राज्य विधानसभा सदस्यों की संख्या २३३ है। ऐसे में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ने ही सरकार बचाने की कोशिशें तेज कर दी है। दोनों की पहली कोशिश है कि विद्रोह करने वाले विधायकों पर किसी तरह से दबाव बनाया जाए ताकि वह सरकार के पक्ष में वापस लौट सकें। इसके साथ ही ऐसी स्थिति भी पैदा की जाए कि कोई और विधायक दिनाकरण के समर्थन में न जा सके। इस रणनीति के तहत सरकार के मुख्य व्हीप एस राजेंद्रन ने विधानसभा अध्यक्ष पत्र लिख कर दल-बदल विरोधी कानून के तहत सरकार के खिलाफ जाने वाले सभी १९ विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। विधानसभा अध्यक्ष ने सभी विधायकों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं।्यप्थ्य्द्भ·र्ैंह्र ·र्ष्ठैं ृद्भह्ज्ज्द्भ च्चय्ह्यप्तत्रब्ह्द्मष्ठ ·र्ष्ठैं द्भब् ब्य्ष्ठैंख्ष्ठ झ्यद्यह्लय्य्द्बराज्य के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यदि इन विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है इसके दो परिणाम सामने आएंगे। पहला यह कि कोई और विधायक अभी या आगे भी दिनाकरण का समर्थन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। दूसरा यह होगा कि अल्पमत में होने के बावजूद सरकार चलती रहेगी। क्योंकि १९ सीटें खाली हो जाने पर पूरा विपक्ष मिलकर भी सरकार नहीं गिरा सकेगा। हालांकि विधायकों की सदस्यता रद्द करना इतना आसान भी नहीं होगा क्योंेकि दिनाकरण समर्थकों का कहना है कि ऐसा होने पर वह सुप्रीम कोर्ट तक इस कार्रवाई को चुनौती देंगे।प्रय्यप्रय्·र्ैंध्य् ृय्स्द्य ्यख्रद्मय्·र्ैंद्यह्लय्·र्ैंह् द्धय्ब्द्य ·र्ैंद्यद्मय् द्नर्‍ ्यप्·र्ैंत्झ्ऐसा भी कहा जा रहा है कि पन्नीरसेल्वम शशिकला और दिनाकरन को पार्टी से निष्कासित करने पर भी विचार कर रहे हैं। मीडिया में आई खबरों के अनुसार ३१ अगस्त से पहले पार्टी की साधारण सभा (जनरल काउंसिल) की बैठक बुलाई जा सकती है। पार्टी महासचिव को हटाने के लिए पार्टी संविधान के हिसाब से यह आवश्यक है।

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