विधानसभा में पेश हुआ अंधविश्वास उन्मूलन विधेयक

विधानसभा में पेश हुआ अंधविश्वास उन्मूलन विधेयक

बेलगावी। अनुष्ठान के नाम पर मानवीय यातना जैसे १६ अंधविश्वासी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को दीर्घलंबित अंधविश्वास निरोधी विधेयक विधानसा में पेश किया। कर्नाटक अमानवीय शैतानी प्रथाएं एवं काला जादू रोकथाम और उन्मूलन विधेयक, २०१७ को सदन के पटल पर पेश किया गया। यह कर्नाटक की अंधविश्वासी आचरण रोकथाम विधेयक, २०१३ से भिन्न है जिसमें अंक विज्ञान और ज्योतिष पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव था। हालांकि, २०१३ के विधेयक को धार्मिक संस्थानों सहित विभिन्न राजनीतिक और समााजिक संगठनों से विरोध का सामना करना प़डा था जिसके बाद विधेयक को समीक्षा के लिए एक जांच समिति के पास भेजा गया था। नए विधेयक में न्यूमोलॉजी, ज्योतिष और वास्तु को बाहर रखा गया है। साथ ही अघोरी और नरबलि (नरभक्षण और मानव बलिदान) शब्द भी संशोधित बिल में हटा दिए गए हैं क्योंकि ये प्रथाएं राज्य में नहीं मिली हैं। कानून मंत्री टीबी जयचंद्र ने इस विधेयक को पेश किया, जिसमें भूत भगाने, काला जादू, जादू-टोना, स्वयं को चोट पहुंचाने वाली रस्में, कांटों के बिस्तर पर शिशु को ऊंचाई से फेंकना और अलौकिक शक्तियों के नाम पर अमानवीय रस्में करने पर प्रतिबंध का प्रावधान है। इसके साथ ही धार्मिक संस्थानों में जूठन पर लोटने की ‘मदे स्नान’’ परंपरा पर भी प्रतिबंध का प्रावधान है। विधेयक में पुलिस अधिकारियों को सतर्कता अधिकारी के रूप में की नियुक्ति का प्रस्ताव है जो कानून के प्रावधानों और इसके नियमों के उल्लंघन पर नजर रखेंगे। सतर्कता अधिकारी के कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने वाले व्यक्ति को तीन महीने तक की जेल की सजा या ५००० रुपए का अर्थ दंड या दोनों का प्रावधान रहेगा।

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