सेंध की सियासत

सेंध की सियासत

कांग्रेस को गुजरात में जो झटका लगा है वह केवल उसकी मुसीबत नहीं है। यह घटनाक्रम हमारे संसदीय लोकतंत्र का भी एक बेहद शोचनीय प्रसंग है। गुजरात में कांग्रेस शंकर सिंह वाघेला के अलग होने से लगे झटके से उबर भी नहीं पाई थी कि बीते गुरुवार को उसके तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। फिर, चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे कि उसके तीन और विधायकों का पार्टी से इस्तीफा आ गया। कांग्रेस के और भी विधायकों के पार्टी से अलग होने की अटकलें सुनाई देने लगीं। घबराहट में कांग्रेस अपने बचे हुए विधायकों को कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु ले गई। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। जाहिर है, यह कदम पार्टी ने इसलिए उठाया ताकि वह अपने विधायक दल को सेंधमारी का फिर शिकार होने से बचा सके। पार्टी का आरोप है कि खरीद-फरोख्त के जरिए उसके विधायक दल में लगातार सेंध लगाई जा रही है, और इसके पीछे भाजपा का हाथ है। इस आरोप की तह में न भी जाएं, तो भी भाजपा का खेल जाहिर है। राज्यसभा चुनाव में उसके पास दो उम्मीदवार जिताने भर के वोट थे, पर उसने तीन उम्मीदवार ख़डे कर दिए। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा उसने कांग्रेस के बागी विधायक बलवंत सिंह राजपूत को भी उम्मीदवार बना दिया। भाजपा की रणनीति दोहरी है। तीनों सीटों उसकी झोली में आ जाएं, और दूसरी तरफ, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के राज्यसभा में पहुंचने की संभावना खत्म हो जाए। कांग्रेस के पास इक्यावन विधायक थे, जो एक उम्मीदवार को आराम से जिताने के लिए पर्याप्त थे। पिछले तीन साल में यह पहला मौका नहीं है जब सेंधमारी के जरिए सत्ता की गोटी बिठाने के आरोप भाजपा पर लगे हैं। अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चुनी हुई सरकार को गिराने और फिर गोवा में सबसे ब़डी पार्टी न होते हुए भी फिर से सरकार बनाने का खेल सेंधमारी के जरिए ही उसने साधा। इस तरह विपक्ष को खत्म करने से संसदीय लोकतंत्र का दम तो घुटेगा ही, खुद भाजपा अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के बजाय दलबदलुओं व सत्ता के भूखे लोगों का जमाव़डा होकर रह जाएगी। क्या यही भ्रष्टाचार-विरोध है, जिसका भाजपा और मोदी दम भरते हैं? गुजरात में कांग्रेस को लगा झटका उसके लिए एक सबक भी है। उसे अपने आप से यह पूछना होगा कि वह ऐसे लोगों को टिकट क्यों देती है जिनकी पार्टी के प्रति निष्ठा इतनी कमजोर है कि उन पर पहरा बिठाना प़डे? गुजरात के इस सियासी खेल से दलबदल कानून की विसंगतियां भी एक बार फिर उजागर हुई हैं।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

क्या सच में अलग हो गईं मलाइका से राहें? अर्जुन कपूर ने दिया यह जवाब! क्या सच में अलग हो गईं मलाइका से राहें? अर्जुन कपूर ने दिया यह जवाब!
Photo: malaikaaroraofficial Instagram account
दुश्मन जब भारतीय सेना के जवानों को देखता है तो उसे बुरे मंसूबों का अंत दिखाई देता है: मोदी
पाक मूल की ब्रिटिश यूट्यूबर बोलीं- 'भारत की एकता सराहनीय, मिलकर मनाते हैं हर त्योहार'
बीते 10 वर्षों का कालखंड भारत की एकता और अखंडता के लिए अभूतपूर्व उपलब्धियों से भरा रहा है: मोदी
बेंगलूरु: नम्मा मेट्रो की ‘भद्रा टीबीएम’ नागवारा स्टेशन पर पहुंची
विदेश जाने का ऐसा जुनून क्यों?
पूर्वी लद्दाख: सैनिकों की वापसी पूरी, दीपावली पर होगा मिठाइयों का आदान-प्रदान!