कश्मीर की समस्या
कश्मीर की समस्या
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक ताजा बयान में कश्मीर में स्थायी शांति बहाली के लिए सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ राजनीतिक प्रयासों को भी ब़ढावा देने की वकालत की है। ऐसी वकालत पहले से ही काफी लोग अपने-अपने स्तर पर करते रहे हैं, लेकिन इसकी पैरवी सेना प्रमुख करते हैं तो इसकी अहमियत ब़ढ जाती है। उनके कहने का आशय यही हो सकता है कि सरकार बातचीत के जरिए पाकिस्तान की सरकार को आतंकवाद फैलाने से रोके और घुसपैठ सहित तमाम मसलों पर उसके साथ विचार करे। इस बीच सेना आतंकियों पर अपनी सख्ती जारी रखेगी। जनरल रावत आतंकियों व पाक सेना की अनैतिक कार्रवाइयों के खिलाफ क़डे बर्ताव के लिए जाने जाते हैं्। सेना दिवस के दिन सोमवार को भारतीय सेना ने पाक सीमा में घुसकर एक मेजर समेत सात पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। उसी दिन सीमा पार से भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे छह आतंकियों को भी ढेर कर ब़डा संदेश दिया गया। नि:संदेह सीमा पर और घाटी में सेना अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है, लेकिन उसे घाटी में शांति बहाली के लिए राजनीतिक प्रयासों की भी जरूरत महसूस हो रही है। सरकार भी राजनीतिक प्रयासों की अहमियत जानती है। यूपीए की पूर्ववर्ती सरकार हो या मोदी की अगुवाई वाली एनडीए की मौजूदा सरकार, दोनों ने इसकी अहमियत समझी और पिछले साल अक्टूबर में आईबी के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को केन्द्र का विशेष प्रतिनिधि नियुक्त कर उन्हें जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले विभिन्न पक्षों या घटकों से बातचीत का जिम्मा सौंपा गया। अभी यह पता नहीं है कि अब तक शर्मा ने किन-किन लोगों से मुलाकात की है और उन्हें क्या हासिल हो रहा है ? वैसे सेना ने भी घाटी के लोगों में विश्वास बहाल करने की पहल कर रखी है। सेना के प्रयासों का ही नतीजा है कि पिछले दिनों आतंकवादी गुटों के जाल में फंस जाने वाले कई युवक समाज की मुख्यधारा और अपने परिवार में लौट आए्। इस तरह के प्रयास इसी तरफ इशारा करते हैं कि सेना आतंकियों से लोहा लेने के साथ-साथ लोगों का भरोसा जीतने में सफलता हासिल कर सकती है तो राजनीतिक प्रयासों से ऐसी कोशिशों में तेजी लाई जा सकती है। जनरल रावत ने ठीक कहा है कि हम यथास्थितिवादी नहीं हो सकते। उनके कहने का आशय संभवत: यह होगा कि आतंकवाद से कश्मीर के त्रस्त रहने को उसकी नियति नहीं मान लिया जाना चाहिए्। यथास्थिति खत्म करने के लिए उन्होंने पाकिस्तान पर दबाव बनाने की भी वकालत की कि वह सीमा पार से घुसपैठ कराना बंद करे। जनरल रावत मानते हैं कि इस दिशा में काफी कुछ किए जाने की गुंजाइश है।