सोशल मीडिया: आत्मप्रचार से दूरी बनाएं
सरकारी अधिकारियों को सादगी और अनुशासन का प्रदर्शन करना चाहिए
सोशल मीडिया पर मर्यादा का पालन किया जाए
उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई यह टिप्पणी कि 'न्यायाधीशों को सोशल मीडिया के उपयोग से बचना चाहिए', वर्तमान में अत्यंत प्रासंगिक है। इसे व्यापक सन्दर्भ में भी देखना चाहिए। आज कई सरकारी अधिकारी सोशल मीडिया पर प्रोफाइल बनाकर खुद का प्रचार करने में लगे हैं। वे अपनेआप को किसी सेलिब्रिटी की तरह पेश करते हैं। फेसबुक, वॉट्सऐप और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर उनके वीडियो खूब वायरल होते रहते हैं। जब कोई अधिकारी वीडियो बनाने में इतना व्यस्त रहेगा तो काम कब करेगा? पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने-अपने समुदायों के आधार पर ग्रुप बनाने का मामला चर्चा में रहा था। अगर अधिकारी सोशल मीडिया पर आकर ऐसा व्यवहार करेंगे तो जनता में क्या संदेश जाएगा? सरकारी अधिकारियों को सार्वजनिक जीवन में सादगी और अनुशासन का प्रदर्शन करना चाहिए। उन्हें ऐसे किसी भी कार्य से बचना चाहिए, जिनकी वजह से उनकी आलोचना हो। हालांकि कुछ अधिकारी सोशल मीडिया का बहुत अच्छा उपयोग कर रहे हैं। उन अधिकारियों द्वारा किए जा रहे ऐसे प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक अधिकारी अपने वीडियो में जनता को जागरूक करते हुए सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में बताते हैं। यातायात पुलिस के एक अधिकारी आम लोगों को यातायात संबंधी नियमों का पालन करना सिखाते हैं। उनके वीडियो से लोगों को बहुत अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं। इसी तरह साइबर मामलों से जुड़े एक पुलिस अधिकारी सोशल मीडिया के जरिए लोगों को साइबर ठगी से बचने के तरीके बताते हैं।
बैंक, रेलवे, चिकित्सा समेत विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कई अधिकारी सोशल मीडिया पर जानकारी देकर जनता को जागरूक कर रहे हैं। इस तरह सोशल मीडिया के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। यह एक लोकप्रिय माध्यम है। अगर सरकार यहां कोई जानकारी प्रस्तुत करेगी तो उसे ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकेगी। इसलिए सोशल मीडिया के लिए कुछ अधिकारियों को अधिकृत करना चाहिए। अधिकारी सिर्फ अपने प्रचार में लगे रहें, इसकी अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। कोरोना काल के बाद यूट्यूब पर ऐसे वीडियो की बाढ़ आ गई है, जिनमें किसी सरकारी अधिकारी को 'महानायक' की तरह दिखाया जाता है। ऐसे वीडियो वे खुद बनाते हैं या किसी से बनवाते हैं, यह जांच का विषय हो सकता है। कुछ कोचिंग संस्थानों ने भी इस चलन का भरपूर लाभ उठाया है। किसी व्यक्ति को सरकारी ओहदा इसलिए मिलता है, ताकि वह सरकारी नीतियों को लागू करते हुए अपना कर्तव्य निभाए। उसका उद्देश्य जनसेवा होना चाहिए। कई पुलिसकर्मी रील बनाकर शेयर करने के मामले में निलंबित हो चुके हैं। वे उनमें या तो फिल्मी डायलॉग बोलते नजर आए या किसी धुन पर थिरकते दिखे। वर्दी में इस तरह के कृत्य किसी अधिकारी की लापरवाही और अगंभीर रवैए को दिखाते हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जनता से जुड़ाव जरूरी है। लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए प्रभावी माध्यम का होना भी बहुत जरूरी है। इसके साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस जिम्मेदारी के लिए सिर्फ अधिकृत व्यक्ति बात रखे। किसी सरकारी योजना का लाभ कैसे प्राप्त करें, बैंक में किस काम के लिए कौनसा फॉर्म कैसे भरें, आधार कार्ड से जुड़े काम कैसे करवाएं, पासपोर्ट कैसे बनवाएं, रेलवे से संबंधित जानकारी कैसे पाएं, डाकघर की कौनसी बचत योजना किसके लिए ज्यादा लाभदायक है ... जैसे सवालों की सूची बहुत लंबी है। अगर संबंधित विभागों के कुछ अधिकारी सोशल मीडिया पर आसान भाषा में जानकारी देंगे तो करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे। इसके लिए जरूरी है कि सोशल मीडिया पर मर्यादा का पालन किया जाए।