झूठ का पुलिंदा
पाकिस्तान बार-बार जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता है, लेकिन पीओके के हालात नहीं बताता
पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार-उल हक काकड़ जानते हैं कि उनकी कुर्सी कुछ ही समय के लिए है
पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार-उल हक काकड़ का संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन झूठ का ऐसा पुलिंदा है, जिसे उनका देश बार-बार इस मंच पर प्रस्तुत करता रहा है। काकड़ ने जिस तरह भारत पर झूठे आरोप लगाए, उसके लिए आला दर्जे की मक्कारी की जरूरत होती है, जो इस पड़ोसी देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री में कूट-कूटकर भरी हुई मालूम होती है। हो भी क्यों नहीं, इसका प्रशिक्षण 'रावलपिंडी' से जो मिला है!
काकड़ जानते हैं कि उनकी कुर्सी कुछ ही समय के लिए है, इसलिए वे उसका भरपूर लुत्फ उठाते हुए सैर-सपाटे पर निकले हैं, अपनी तस्वीरें खिंचवा रहे हैं। लगे हाथ संयुक्त राष्ट्र महासभा में फौज की स्क्रिप्ट भी बांच आए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने काकड़ को खूब आईना दिखाया। उन्होंने शानदार तरीके से भारत का पक्ष रखा।हर मंच पर कश्मीर राग अलापने वाले पाकिस्तान को गहलोत ने उचित कहा कि 'दुनिया में सर्वाधिक संख्या में प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाओं को ‘पनाह और संरक्षण’ मुहैया कराने वाले देश को ‘तकनीकी कुतर्क’ करने के बजाय 26/11 मुंबई हमले के अपराधियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करनी चाहिए।'
आश्चर्य की बात है कि जिस देश में कुख्यात आतंकवादी निर्भय होकर विचरण कर रहे हों, आए दिन बम धमाकों में दर्जनों लोग मर रहे हों, आर्थिक बदहाली के कारण हाहाकार मचा हो, अल्पसंख्यकों पर जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हों, वह भारत को उपदेश दे रहा है! दुनिया जानती है कि आतंकवाद की अंतरराष्ट्रीय राजधानी कहां है, ओसामा बिन लादेन कहां पाया गया, जम्मू-कश्मीर की शांति के शत्रुओं को कौन प्रशिक्षण देता है!
इस पर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा जाकर बड़ी-बड़ी बातें कर आते हैं। इन्हें कुछ दशक पहले तक थोड़ा गंभीरता से लिया जाता था, लेकिन अब ऐसे भाषण पाकिस्तान की जगहंसाई ही कराते हैं।
पाकिस्तान बार-बार जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता है, लेकिन उसने जिस इलाके (पीओके) पर अवैध कब्जा कर रखा है, उसके हालात नहीं बताता। अब तो वहां पाकिस्तान से जान छुड़ाने के लिए आवाजें उठने लगी हैं। काकड़ पहले उन लोगों से तो बात कर लें। खुद 'कश्मीर-कश्मीर' रटते जा रहे हैं, उधर पूरा पीओके आक्रोश की आग में धधक रहा है।
पाकिस्तान की हालत उस आदतन अपराधी जैसी हो गई है, जिसे खुद के घर की फिक्र नहीं, लेकिन वह हर वक्त पड़ोसियों से झगड़ा करने के बहाने ढूंढ़ता रहता है। प्राय: पाक, भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर टिप्पणी कर अपनी छवि चमकाने की कोशिश करता है। वहीं, उसके यहां हिंदू और सिक्ख बालिकाओं के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और निकाह की घटनाएं होती रहती हैं। इस पर काकड़ अपने पूर्ववर्तियों की तरह चुप्पी साधे बैठे हैं।
पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के लोगों के साथ जिस तरह अपमान और क्रूरता का व्यवहार किया जाता है, उस पर कोई नेता नहीं बोलता। हर महीने ऐसे कई वीडियो सामने आते हैं, जिनमें उन्मादी भीड़ अहमदी समुदाय के धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाती साफ नजर आती है। इसके बावजूद वहां की अदालतें, सरकार, फौज, मीडिया ... सब खामोश हैं। क्या इन्होंने यह मान लिया है कि अब ये सामान्य घटनाएं हैं, इसलिए अपराधियों पर कार्रवाई करने की कोई जरूरत नहीं है?
काकड़ के संबोधन का सर्वाधिक हास्यास्पद हिस्सा यह है कि 'पाकिस्तान, भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध चाहता है।' आखिर कैसे? क्या काकड़ आतंकवादी भेजकर शांतिपूर्ण संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं? हाल में अनंतनाग में आपके 'शांतिपूर्ण' प्रयास सबने देख लिए। भारतीय सेना ने सूझबूझ और साहस से आपके आतंकवादियों का खात्मा कर दिया, वरना वे बड़ी वारदात को अंजाम देते।
अगर काकड़ अपने मुल्क की इन्हीं हरकतों को 'शांति' का संदेश कहते हैं तो यह उन्हें ही मुबारक हो! वे रावलपिंडी, इस्लामाबाद, लाहौर, कराची, पेशावर, एब्टाबाद आदि में ऐसी शांति फैलाएं। अगर भारत की ओर रुख करेंगे तो सख्त जवाब मिलेगा। चाहे सरहद हो या संयुक्त राष्ट्र महासभा।