बड़ी चुनौती
साइबर अपराधी खूब सेंध लगा रहे हैं, जिन्हें रोकने के लिए कोई ठोस उपाय करने की जरूरत है
साल 2023 में ऑनलाइन जॉब के नाम पर लोगों के बैंक खाते खूब खाली किए गए
साइबर प्रौद्योगिकी के लिए मशहूर शहर बेंगलूरु में अपराधों को अंजाम देने के लिए इसका बढ़ता इस्तेमाल पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। साल 2023 में (उससे पिछले साल की तुलना में) साइबर अपराधों के मामलों में 77 प्रतिशत की वृद्धि बताती है कि अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। हालांकि इस आंकड़े की एक वजह लोगों में जागरूकता का प्रसार भी हो सकती है, चूंकि अब ऐसी घटना होने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आसान विकल्प उपलब्ध हैं।
बेंगलूरु शहर पुलिस द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि जैसे-जैसे लोगों के पास साइबर प्रौद्योगिकी पहुंच रही है, उनके लिए सुविधाएं तो बढ़ रही हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल करते हुए साइबर अपराधी, लोगों को खूब लूट भी रहे हैं। शहर पुलिस ने साल 2021 में साइबर अपराध के 6,422 मामले दर्ज किए थे, जिनमें साल 2022 में भारी उछाल आया और यह आंकड़ा 9,940 तक पहुंच गया।साल 2023 में 17,623 मामलों का दर्ज होना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि साइबर अपराधी खूब सेंध लगा रहे हैं, जिन्हें रोकने के लिए कोई ठोस उपाय करने की जरूरत है। इसी साल पुलिस ने 1,271 मामलों का समाधान भी किया, लेकिन अपराधों के आंकड़ों के सामने यह तादाद बहुत कम है। बेशक इंटरनेट का बढ़ता इस्तेमाल विकास का प्रतीक है, वहीं साइबर अपराध से संबंधित मामलों का बढ़ता ग्राफ यह बताता है कि अब अपराधी ज्यादा शातिर होते जा रहे हैं।
आमतौर पर यह माना जाता है कि बड़े शहरों में लोग साइबर सुरक्षा का ज्यादा ध्यान रखते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में अपराधियों ने जैसे हथकंडे अपनाए, वे हैरान कर देने वाले हैं। जो लोग साइबर धोखाधड़ी के शिकार हुए, उनमें आम लोगों से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, नेता तक शामिल हैं। यही नहीं, ऐसे मामले भी देखने में आए हैं, जिनसे पता चलता है कि अपराधियों ने पुलिसकर्मियों और बैंककर्मियों तक को चूना लगा दिया!
साल 2023 में ऑनलाइन जॉब के नाम पर लोगों के बैंक खाते खूब खाली किए गए। इसके ज्यादातर मामलों में एक तरीका अपनाया गया। सबसे पहले वॉट्सऐप या टेलीग्राम पर एक मैसेज आता है कि 'ऑनलाइन जॉब उपलब्ध है, जिसमें आपको सिर्फ कुछ वीडियो लाइक करने होंगे या होटलों आदि को रिव्यू देने होंगे। इसके बदले रोजाना हजारों रुपए की कमाई कर सकते हैं।' लोग इस झांसे में आ जाते हैं और बाद में अपनी जमा-पूंजी गंवा देते हैं। ऐसा मैसेज आने पर
सबसे पहले यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि कोई कंपनी महज कुछ वीडियो लाइक करने के बदले हजारों रुपए दे रही है तो उसके पास ऐसा कौनसा खजाना है? जिन लोगों ने सावधानी बरती और ऐसे प्रस्तावों पर संदेह किया, वे यकीनन बच गए। जो रातोंरात करोड़पति बनना चाहते थे, वे अपना नुकसान करा बैठे। ऐसे मामलों में अपराधी 'लालच' का दांव चलते हैं। इनका दूसरा बड़ा हथियार 'डर' है।
साइबर अपराधी इसका इस्तेमाल भी खूब करते हैं। वे लोगों को फोन या वीडियो कॉल कर कहते हैं कि 'आपके नाम से पार्सल आया था, जिसमें अवैध चीजें हैं ... आप इंटरनेट पर आपत्तिजनक चीजें सर्च करते हैं ... आपने सोशल मीडिया पर जिस व्यक्ति से मित्रता की, उसने शिकायत दर्ज कराई है ...।' इसके अलावा सेक्सटॉर्शन एक खतरनाक तरीका है, जिसके मामले बहुत बढ़ गए हैं। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल बढ़ने के साथ इसका दुरुपयोग भी होने लगा है।
इससे साइबर अपराध 'अगले स्तर' पर पहुंच गए हैं। पिछले साल एक अभिनेत्री का डीपफेक वीडियो काफी चर्चा में रहा था। इसी तरह एक पुलिस अधिकारी के चेहरे और आवाज का दुरुपयोग करते हुए धमकी देने का वीडियो खूब वायरल हुआ था, जबकि वे अधिकारी बहुत पहले सेवानिवृत्त हो चुके थे और उन्होंने किसी को वीडियो कॉल नहीं किया था। 'लॉटरी निकलने', 'मुसीबत में बताकर मदद मांगने' जैसे तरीके बहुत पुराने हो चुके हैं।
अब साइबर अपराधी नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं, जिनके बारे में पहले शायद ही किसी ने सुना हो। जब तक उसके संबंध में जागरूकता के प्रसार की कोशिश की जाती है, अपराधी कई लोगों को लूट चुके होते हैं। साइबर विशेषज्ञों को इस समस्या का कोई ठोस समाधान ढूंढ़ना होगा, क्योंकि हाल के वर्षों में जिस तरह बड़े-बड़े मामले सामने आए हैं, उससे चिंतित होकर कई लोग तो ऑनलाइन माध्यम से दूर जाने लगे हैं।