जब यूजिनी पीटरसन बनीं इंद्रा देवी, योगाभ्यास करते हुए पाई 102 साल की उम्र

इंद्रा देवी विदेश में जन्मीं भारत की वह बेटी थीं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन योग के लिए समर्पित ​किया था

जब यूजिनी पीटरसन बनीं इंद्रा देवी, योगाभ्यास करते हुए पाई 102 साल की उम्र

Photo: PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। योगाभ्यास से शरीर और मन को तो रोगों से मुक्ति मिलती ही है, मनुष्य दीर्घायु भी पाता है। संतुलित आहार, प्रकृति के अनुकूल दिनचर्या और निरंतर योगाभ्यास ... ये ऐसे नियम हैं, जिनका पालन करने वाले कई योगाभ्यासियों ने लंबी उम्र पाई है।

Dakshin Bharat at Google News
यहां रूसी योगी यूजिनी पीटरसन का उल्लेख करना जरूरी है, जो बाद में इंद्रा देवी के नाम से विख्यात हुईं। बारह मई, 1899 को रूसी साम्राज्य (अब लातविया) के रीगा में जन्मीं इंद्रा देवी ने 102 साल की उम्र पाई थी। उनका स्वर्गवास 25 अप्रैल, 2002 को हुआ था यानी कुछ ही दिनों बाद उनका 103वां जन्मदिन आने वाला था।

वासिली पीटरसन और एलेक्जेंड्रा लाबुन्स्काया की संतान इंद्रा देवी की 'योगयात्रा' अचंभित करने वाली है। उनके परिवार या पड़ोस में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था, जो उन्हें योग सिखाता। उनका परिवार काफी रूढ़िवादी था। वहीं, इंद्रा की रुचि अभिनय में थी और उन्होंने इसी का अध्ययन किया था। उनके पिता सेना में अधिकारी थे, जो गृहयुद्ध के दौरान लापता हो गए थे।

साल 1917 में बोल्शेविकों के सत्ता में आने पर इंद्रा और उनकी मां लातविया चली गईं, जहां उन्होंने निर्धनता में दिन काटे। वे साल 1921 में बर्लिन गईं और बतौर अभिनेत्री काम करने लगीं।

इंद्रा देवी साल 1926 में तेलिन की एक दुकान में लगे विज्ञापन से आकर्षित होकर नीदरलैंड में थियोसोफिकल सोसाइटी की बैठक में जिद्दू कृष्णमूर्ति को सुनने गईं। वहां संस्कृत मंत्रों के जाप ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। इस पर इंद्रा देवी ने कहा था, 'मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं एक भूली हुई पुकार सुन रही हूं, एक जानी-पहचानी, लेकिन दूर की पुकार। उस दिन से मेरे अंदर सब कुछ उलट-पुलट हो गया।'

इससे पहले उन्होंने कवि रवींद्रनाथ टैगोर और योगी रामचरक की पुस्तकें पढ़ी थीं। अब उन्होंने पश्चिमी परिधानों की जगह भारतीय साड़ी पहननी शुरू कर दी और नवंबर 1927 में भारत जाने की तैयारियां शुरू कर दीं। यहां आकर उन्होंने अपना नाम इंद्रा देवी रखा। वे योग में रुचि लेने लगीं। उन्होंने यहां योग की शक्ति से अद्भुत कार्य करने वाले योगियों का उल्लेख किया है, जिनमें योगगुरु कृष्णमाचार्य का नाम भी शामिल है।

इंद्रा देवी योग में निपुण होने लगीं। उन्होंने पूरी तरह भारतीय खानपान और शाकाहार को अपना लिया। उनके साथ योग सीखने वाले कई छात्र बाद में विश्व प्रसिद्ध योग शिक्षक बने। इंद्रा देवी ने पश्चिम के अनेक देशों में योग की ज्योति जलाई। उन्होंने कई देशों में योगाभ्यास के शिविर लगाए और लोगों को इसके लिए प्रेरित किया। इंद्रा देवी विदेश में जन्मीं भारत की वह बेटी थीं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन योग के लिए समर्पित ​किया था।

ज़रूर पढ़िए:
पुरानी कब्ज और गैस से मुक्ति दिलाएगा पवनमुक्तासन

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download