प्रदर्शन का मूल्यांकन करें

इस मामले में सरकार को सख्ती दिखाने की जरूरत है

प्रदर्शन का मूल्यांकन करें

सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए सरकार को यह कदम दृढ़ता से उठाना होगा

केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों से यह कहकर बहुत महत्त्वपूर्ण मुद्दे का उल्लेख किया है कि अपने कर्मचारियों के कार्य का समय से मूल्यांकन करें, ताकि खराब प्रदर्शन वालों को समय से पहले सेवानिवृत्त किया जा सके। बेशक देश के विकास में मेहनती, ईमानदार और समय के पाबंद सरकारी कर्मचारी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महानगरों से लेकर दूर-दराज के इलाकों तक सरकारी सेवाओं और सुविधाओं को सही तरीके से पहुंचाने वाले सरकारी कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठा की सराहना की जानी चाहिए। इसके साथ ही ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई भी होनी चाहिए, जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से नहीं करते हैं। इस मामले में सरकार को सख्ती दिखाने की जरूरत है। उसे चाहिए कि शहरों से लेकर गांव-ढाणियों तक हर सरकारी दफ्तर में कार्यरत कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करे और उसके अनुसार कार्रवाई करे। सरकारी कर्मचारी ही वह कड़ी होता है, जो सरकारी सेवाओं को जनता तक पहुंचाता है। यह उचित ही है कि उसे जरूरी सुरक्षा और सुविधाएं मिलें। उसकी मेहनत और ईमानदारी का सम्मान किया जाए, लेकिन जो व्यक्ति इस तंत्र का हिस्सा बनकर वेतन समेत सुविधाएं तो सब ले और काम में लापरवाही बरते, उसका भार देश के खजाने पर क्यों पड़े? अगर एक आम आदमी से पूछेंगे तो उसकी कई शिकायतें हैं, जो अपनी जगह वाजिब भी हैं, जैसे- कुछ सरकारी कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं आते, काम को टालते रहते हैं, अगर उनसे विनम्रतापूर्वक कुछ पूछते हैं तो सीधा जवाब नहीं देते, छोटे से काम के लिए भी अनावश्यक चक्कर लगवाते रहते हैं, लंच टाइम के बाद बहुत देर से लौटते हैं ...।

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वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने वाले एक संस्थान के बारे में सोशल मीडिया पर लोगों की राय पढ़ेंगे तो हैरान रह जाएंगे। वहां बहुत बड़ी तादाद में लोग 'असंतुष्ट' नजर आएंगे। उनमें से कई लोग यह बात खुलकर स्वीकार करते हैं कि उन्होंने उस दफ्तर के कुछ कर्मचारियों के सुस्त रवैए और टालमटोल की आदत से परेशान होकर सेवाएं लेनी ही बंद कर दीं। उसके बाद वे निजी सेवा प्रदाता से जुड़े, जिसकी सेवाएं तुलनात्मक रूप से बहुत अच्छी हैं। सवाल है- जब जनता-जनार्दन अपने वोट से पंचायत से लेकर संसद तक प्रतिनिधि भेज सकती है, सरकार बना सकती है, उसके प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकती है, तो वह सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन क्यों नहीं कर सकती? उसे इतना अधिकार जरूर मिलना चाहिए कि जो कर्मचारी अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरते, समय पर काम न करे, अभद्र व्यवहार करे, अनावश्यक चक्कर लगवाए ... उसकी रिपोर्ट (जनता के जरिए) संबंधित उच्चाधिकारियों के पास जाए और उस कर्मचारी को वेतन वृद्धि समेत मिलने वाली अन्य सुविधाओं में कटौती की जाए। अगर फिर भी प्रदर्शन में सुधार न हो तो अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति दे दी जाए। इस समय जब हम तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं, तब हमें उन देशों के अनुभवों से जरूर सीखना चाहिए, जिनका इस क्षेत्र में प्रदर्शन हमारे प्रदर्शन से बेहतर है। सरकार को चाहिए कि वह सरकारी दफ्तरों में एआई समेत अत्याधुनिक तकनीक को ज्यादा से ज्यादा लागू करे। जितनी भी सेवाएं हैं, उन सबको ऑनलाइन कर दे। भ्रष्टाचार के मामलों में कठोर दंड का प्रावधान हो। आम आदमी को ज्यादातर सुविधाएं घर बैठे मिलें। सरकारी तंत्र में ऊर्जा आए। सुस्ती और टालमटोल के लिए कहीं कोई जगह न रहे। इसके साथ ही ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट्स पर रोक लगाई जाए, जिन पर कुछ सरकारी कर्मचारी वीडियो आदि पोस्ट कर खुद को किसी सेलिब्रिटी की तरह पेश करते हैं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सिर्फ सरकारी योजनाओं और जनजागरूकता संबंधी सामग्री होनी चाहिए। सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए सरकार को यह कदम दृढ़ता से उठाना होगा।

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