देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करता ‘हर घर तिरंगा’

राष्ट्रीय ध्वज की ‘एक ध्वज संहिता’ है और इसे फहराना किसी आम ध्वज के फहराने जैसा नहीं है

देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करता ‘हर घर तिरंगा’

भारत सरकार द्वारा निर्देशित अवसरों को छोड़कर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका हुआ नहीं फहराया जा सकता

.. योगेश कुमार गोयल ..
मो. 9416740584

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भारत की आजादी के ७५वें वर्ष के उपलक्ष्य में वर्ष 2022 में लोगों को अपने घर पर तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु आजादी के अमृत महोत्सव’ के तत्वाधान में हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया गया था| उस अभियान के दौरान देशवासियों में अभूतपूर्व जोश देखने को मिला था और देखते ही देखते वह एक जन आन्दोलन बन गया था| दरअसल उससे पहले राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ हमारा संबंध व्यक्तिगत के बजाय केवल औपचारिक और संस्थागत रूप में अधिक रहा था, इसीलिए भारत सरकार द्वारा यह पहल लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जागृत करने और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी| इस वर्ष 9 अगस्त से शुरू हुआ हर घर तिरंगा’ अभियान 15 अगस्त तक चलेगा| इस पहल का उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित करके भारत के नागरिकों में देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करना है| 140 करोड़ भारतवासियों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा प्रत्येक भारतीय की भावनाओं और मानस में अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है| हालांकि तिरंगे के उपयोग और उसे फहराने को लेकर कुछ निर्देश होते हैं, जिसके आधार पर तिरंगा फहराने का नियम तय होता है, जिसे फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002’ कहा जाता है| यह संहिता राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े सभी कानूनों, परंपराओं, प्रथाओं और निर्देशों को एक साथ लाती है|

राष्ट्रीय ध्वज की ‘एक ध्वज संहिता’ है और इसे फहराना किसी आम ध्वज के फहराने जैसा नहीं है, इसलिए इस ध्वज संहिता की जानकारी प्रत्येक नागरिक को होनी जरूरी है ताकि हमारे राष्ट्रीय ध्वज का किसी भी तरह से कोई अपमान न हो| 26 जनवरी, 2002 से भारत में भारतीय झंडा संहिता 2002’ लागू की गई थी, जिसके तहत भारतीय झंडा संहिता को तीन भागों में बांटा गया| पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण शामिल है जबकि दूसरे भाग में आम लोगों, शैक्षिक संस्थाओं और निजी संगठनों के लिए झंडा फहराए जाने से संबंधित दिशा-निर्देश हैं और तीसरे भाग में राज्य और केंद्र सरकार, उनके संगठनों के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं| भारतीय झंडा संहिता 2002’ में यह स्पष्ट उल्लेख है कि तिरंगे का इस्तेमाल व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता, किसी उत्सव के रूप में या किसी भी तरह के सजावट के प्रयोजनों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता| किसी आधिकारिक प्रदर्शन के कारण केवल भारतीय मानक ब्यूरो के निर्देशित विनिर्देशों के अनुरूप चिह्न वाले झंडे का ही इस्तेमाल किया जा सकता है|

‘भारतीय झंडा संहिता 2002’ के नियमों के अनुसार तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराने का नियम था| 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर पहली बार शुरू किए गए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के साथ ही गृह मंत्रालय ने भारतीय ध्वज संहिता २००२ में संशोधन किया ताकि रात में भी राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जा सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने घर पर झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके| 30 दिसंबर 2021 के आदेश के जरिये भारत ध्वज संहिता, 2002 को संशोधित किया गया और इस संशोधन के जरिये पॉलिएस्टर तथा मशीन से बने झंडे को भी अनुमति दी गई, जिसके बाद राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते, हाथ से बुने हुए या मशीन से बने कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम या खादी से भी बनाए जाने लगे| २० जुलाई २०२२ को एक अन्य संशोधन के तहत केंद्र सरकार ने ऱाष्ट्रीय ध्वज को दिन के साथ-साथ रात में भी फहराने की अनुमति प्रदान कर दी लेकिन इसके साथ यह नियम भी लागू किया गया कि रात में भी झंडा फहराने की अनुमति तभी होगी, जब झंडा किसी खुले स्थान पर किसी के घर पर फहराया जाए|

भारतीय ध्वज संहिता 2002 को संशोधित करने के 19 जुलाई 2022 के आदेश में स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रीय ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन यह आयताकार ही होगा और इसकी लंबाई तथा ऊंचाई का अनुपात ३ः२ होगा| झंडे की तीनों पट्टियों की चौड़ाई और लंबाई बराबर होनी चाहिए| जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किया जाएगा, उसे पूरा सम्मान देना होगा और उसे प्रत्यक्ष रूप से यथोचित स्थान पर रखा जाएगा| क्षतिग्रस्त अथवा मैला-कुचैला ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा| ध्वज को किसी भी अन्य ध्वज या ध्वजों के साथ एक साथ एक ही स्तंभ पर नहीं फहराया जाएगा| कोई भी अन्य ध्वज या ध्वजपट राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या साथ-साथ नहीं रखा जाएगा| राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य ध्वज या झंडे के साथ मस्तूल शिखर (झंडे के स्तंभ के शीर्ष भाग) पर नहीं फहराया जाना चाहिए| राष्ट्रीय ध्वज को उल्टे तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जाएगा और ध्वज का केसरिया हिस्सा नीचे नहीं होना चाहिए|

ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज किसी भी व्यक्ति या चीज की सलामी में नहीं झुकाया जाएगा| ध्वजारोहण के दौरान कोई फूल अथवा माला या प्रतीक सहित कोई भी वस्तु, जिससे राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ऊपर रखी जाएगी| राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग तोरण, फुंदने, ध्वजपट या अन्य किसी तरह की सजावट के लिए नहीं किया जाएगा| राष्ट्रीय ध्वज को जमीन या फर्श अथवा पानी में स्पर्श की अनुमति नहीं दी जाएगी| राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में इसे प्रदर्शित या लगाया नहीं जाएगा| राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता द्वारा मेज को ढ़कने के लिए नहीं किया जाएगा, न ही वक्ता के मंच को इससे लपेटा जाएगा| राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी अथवा किसी पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा, जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, अंतःवस्त्र अथवा किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा| राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वस्तुओं को लपटने, प्राप्त करने और वितरित करने के लिए नहीं किया जाएगा| इसका उपयोग किसी वाहन के किनारों, पृष्ठ भाग या शीर्ष भाग को ढ़कने के लिए भी नहीं किया जा सकता|

राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग निजी अंत्येष्टि को लपेटने के साथ ही किसी भी तरह की चीजों को लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा| भारत सरकार द्वारा निर्देशित अवसरों को छोड़कर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका हुआ नहीं फहराया जा सकता| भारतीय ध्वज संहिता के पैरा 2-2 के अनुसार, यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो जाता है तो राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उसे जलाकर अथवा किसी अन्य विधि द्वारा पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा| यदि राष्ट्रीय ध्वज कागज से बना हो, जिसे आम जनता द्वारा लहराया जाता है तो इन झंडों को जमीन पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए| राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उन्हें निजी तौर पर नष्ट कर दिया जाना चाहिए|

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