क्या पाकिस्तान में फिर होगा विभाजन?
इमरान की गिरफ्तारी ने जनता और सेना को आमने-सामने खड़ा कर दिया
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संजीव ठाकुर
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भारत और पाकिस्तान दोनों अंग्रेजों की दासता से १९४७ में स्वतंत्र हुए थे| दोनों देश विकास की धारणाएं अलग-अलग बनाकर आगे बढ़े थे| भारत विकास और शांति के सोपानों में निरंतर आगे बढा, पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत ने पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत नए-नए कल कारखाने और कृषि को प्राथमिकता देते हुए आत्मनिर्भर होने का प्रयास किया गया, और काफी हद तक सफल भी रहा है| पाकिस्तान ने विकास की जगह भारत को सदैव नीचा दिखाने का प्रयास किया, विकास के नाम पर वहां केवल युद्ध और हिंसा को प्राथमिकता दी गई| पाकिस्तान के इतिहास में १८ प्रधानमंत्री ने कभी अपना ५ साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया| प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को विभिन्न आरोप लगाकर फांसी की सजा दे दी थी| उसके बाद उनकी पुत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या करवा दी गई, नवाज शरीफ पर विभिन्न आरोप लगाकर लंदन में जाकर बसने को मजबूर कर दिया गया| इमरान खान को भी विभिन्न अपराधों की सजा अब मिलने वाली है| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से पूरा देश नियंत्रण से बाहर है|
इमरान खान की गिरफ्तारी ने जनता और सेना को आमने सामने खड़ा कर दिया गया और ९ मई को जो अराजक तत्वों ने सरकारी इमारतों की तोड़फोड़ की उसका सारा आरोप इमरान खान पर लगाते हुए उन्हें एक बार गिरफ्तार भी कर लिया गया था पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें छोड़ दिया गया| अब स्थिति यह है कि पाकिस्तान मैं आवाम को रोटी, चावल और पेट्रोल, गैस जैसी जरूरी चीजों के लिए तरसना पड़ रहा है पाकिस्तान में अभी गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं| पाकिस्तान की सेना के जनरल मुनीर पाकिस्तान में मार्शल लगाने की तैयारी में और इमरान शान को पूरी तरह नेस्तनाबूद करने में लगे हुए हैं| इमरान खान के सभी बड़े समर्थक नेता पार्टी छोड़कर भाग चुके हैं| ७००० इमरान समर्थक लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है| महंगाई बेरोजगारी और अराजकता पाकिस्तान में चरम सीमा पर है| प्रधानमंत्री शरीफ के पास देश को बचाने के लिए धनराशि भी नहीं है और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड, सऊदी अरेबिया, चीन ने पाकिस्तान की मदद करने से हाथ ऊपर खड़े कर लिए हैं| पाकिस्तान में गृह युद्ध की आशंका को इनकार नहीं किया जा सकता, ऐसे में पाकिस्तान में १९७१ की तरह बांग्लादेश के निर्माण की कथा व्यथा और इतिहास को दोहराने की संभावना दिखाई दे रही है|
१९७१ में बांग्लादेश के बंगबंधु मुजीब उर रहमान ने गृह युद्ध की घोषणा कर भारत की मदद से पाकिस्तानी सेना का सामना कर पाकिस्तान को मजबूर कर दिया था और पाकिस्तानी सेना के ८३००० जवानों ने जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारत के जनरल अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था| और इस तरह बांग्लादेश का पृथक से निर्माण हो पाया था| अब किसी तरह भी पाकिस्तान में फिर से गृह युद्ध होता है और मार्शल ला लगाया जाता है तो सिंध, बलूचिस्तान के अलग होने की पूरी संभावना बन रही हैं वहां भी जनता पूरी तरह गृह युद्ध के तेवर में दिखाई देने लगी है| यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान के टुकड़े होने से कोई रोक नहीं सकता और इमरान खान को ही जेल में डाला जा सकता है| पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर १२१ मुकदमा चलाए जा रहे हैं इसी तरह उनकी पत्नी बुशरा बेगम पर भी आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजने की तैयारी है| वैसे तो यह पाकिस्तान का इतिहास ही है कि कोई भी प्रधानमंत्री बेदाग प्रधानमंत्री पद नहीं छोड़ पाया है| यदि इमरान खान को सजा देकर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो स्थिति बड़ी विस्फोटक हो जाएगी और पाकिस्तान की आवाम विद्रोह पर आने के लिए अमादा है| दूसरी तरफ उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने आम जनता को दाल रोटी और चावल की कमी के कारण भूखमरी के हालात बन गए हैं पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री के सामने कई क्षेत्रों से चुनौतियां सामने आ रही हैं वह अपनी आवाम को खाना खिलाए या अपनी पुरानी उधारी का कर्ज कई देशों को वापस करें या फिर अपनी सेना को मार्शल ला लगाने से रोकें, शहबाज शरीफ अब पूरी तरह से लाचार दिखाई दे रहे हैं| उपरोक्त परिस्थितियों में पाकिस्तान का कोई भविष्य नजर नहीं आता है पाकिस्तान को वर्तमान स्थिति से उबरने के लिए आगामी १० से २० साल लग सकते हैं और यदि मार्शल ला लगता है तो निश्चित तौर पर पाकिस्तान के टुकड़े होने से पाकिस्तान रोक नहीं सकता है| पाकिस्तान के टुकड़े होने और वहां गृह युद्ध होने से उसे कोई चमत्कार ही बचा सकता है|