भारतीय संविधान बौद्ध दर्शन पर आधारित, बाबासाहब ने प्राचीन लोकतांत्रिक परंपरा को फिर प्रतिष्ठित किया : कोविंद

भारतीय संविधान बौद्ध दर्शन पर आधारित, बाबासाहब ने प्राचीन लोकतांत्रिक परंपरा को फिर प्रतिष्ठित किया : कोविंद

नागपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय संविधान मूलतः बौद्ध दर्शन के आदर्शो पर आधारित है जिसमें मानव-मानव के बीच समानता, भ्रातृत्व, और सामाजिक न्याय का सामंजस्य दिखता है और आधुनिक संविधान की रचना करके बाबासाहब ने इस प्राचीन लोकता्त्रिरक परंपरा को फिर से प्रतिष्ठित किया। विपस्यना ध्यान केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी इस यात्रा के पीछे भगवान बुद्ध का आशीर्वाद है जिनकी शिक्षा २,५०० सालों से हमारे देश को प्रेरणा देती रही है। सम्राट अशोक से लेकर महाराष्ट्र के बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर तक भगवान बुद्ध से ही प्रेरित हुए थे। हमारा भारतीय संविधान भी मूलतः बौद्ध दर्शन के आदर्शो पर आधारित है जिसमें मानव-मानव के बीच समानता, भ्रातृत्व, और सामाजिक न्याय का सामंजस्य दिखता है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान-सभा में अपने अंतिम भाषण में बताया था कि हमारे लोकतन्त्र की ज़डें कितनी गहरी और पुरानी हैं। इस संदर्भ में उन्होने भगवान बुद्ध की परंपरा का उदाहरण दिया था। कोविंद ने कहा कि बाबासाहब ने कहा था कि भारत में संसदीय प्रणाली की जानकारी मौजूद थी। यह प्रणाली बौद्ध भिक्षु संघों द्वारा व्यवहार में लाई जाती थी। भिक्षु संघों ने इनका प्रयोग उस समय की राजनीतिक सभाओं से सीखा था। बौद्ध संघों में प्रस्ताव, संकल्प, कोरम, सचेतक, मत-गणना, निंदा-प्रस्ताव आदि के नियम थे। राष्ट्रपति ने कहा, हमारे आधुनिक संविधान की रचना करके बाबासाहब ने इसी प्राचीन लोकता्त्रिरक परंपरा की फिर से प्रतिष्ठा की। उन्होंने कहा कि आध्यात्म की पावन धरती महाराष्ट्र में आने का अवसर मिलना अपने आप में ब़डे सौभाग्य की बात है। महाराष्ट्र से जु़डी अनेकों विशेषताएं और उपलब्धियां गिनाई जा सकती हैं लेकिन यह राज्य आस्था और ध्यान के लिए सबसे अधिक जाना जाता है। कोविंद ने कहा कि बौद्ध दर्शन के मूल में एक क्रांतिकारी चेतना है जिसने पूरी मानवता को अभिभूत कर दिया है।

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