वनों का आच्छादन दुरुस्त करने के लिए आगे आए सद्गुरु जग्गी वासुदेव

वनों का आच्छादन दुरुस्त करने के लिए आगे आए सद्गुरु जग्गी वासुदेव

बेंगलूरु/दक्षिण भारतकावेरी नदी के बेसिन क्षेत्रों में घटते वनाच्छादन की स्थिति दुरुस्त करने के लिए इस इलाके में एक पायलट परियोजना पर काम शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।इसके तहत ब़डे पैमाने पर हरित क्षेत्र विकसित करने के लिए कृत्रिम तरीके से पुनर्वनीकरण का काम शुरू करने का प्रस्ताव है। आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ’’नेशनल रैली फॉर रिवर्स’’ अभियान के तहत इस परियोजना को क्रियान्वित करने जा रहे हैं। यह उनके द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन का अभियान है। सोमवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा, ’’वृहत पैमाने पर कृत्रिम माहौल में वन क्षेत्र ब़ढाने के लिए पहले पायलट प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन कावेरी बेसिन क्षेत्र में किया जाएगा। इसके बाद अन्य स्थानों को तीन से छह महीने के अंदर यह परियोजना लागू की जाएगी।’’ रैली फॉर रिवर्स बोर्ड के संयोजक जग्गी वासुदेव ने कहा कि इस प्रकार की पायलट परियोजनाओं का क्रियान्वयन महाराष्ट्र, छत्तीसग़ढ, असम, पंजाब और गुजरात में भी करने की योजना बनाई गई है। रविवार को बोर्ड की एक बैठक के दौरान इस परियोजना के विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लिए गए। बोर्ड के अन्य सदस्यों में बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ, टाटा स्टील के पूर्व उपाध्यक्ष बी मुतुकुमारन और इसरो के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार शामिल हैं। सद्गुरु ने बताया कि बोर्ड के सदस्य फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन्स (एफपीओ) द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश के किसानों की आय वर्ष २०२० तक दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में किए जा रहे काम का प्रदर्शन भी करेंगे। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा, ’’हमें ११०० किसानों के एफपीओ गठित करने में सफलता मिली है। इन किसानों की आय तीन वर्षों में शत प्रतिशत ब़ढ गई है।’’ उन्होंने बताया कि रैली फॉर रिवर्स बोर्ड के सदस्य इन एफपीओ के उत्पादों की निजी कंपनियों द्वारा की जानेवाली सीधी खरीददारी के मामले में भी काम करेंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसानों की फसल की बिक्री से होने वाला लाभ किसानों तक पहुंचे। वहीं, रैली फॉर रिवर्स के बारे में बातचीत करते हुए आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि नीति आयोग ने सभी राज्यों को नदियों के पुनर्जीवन के लिए लिखित निर्देश दिया है और अब रैली फॉर रिवर्स अब देश में एक नीतिगत छतरी बन चुकी है। इसके क्रियान्वयन के लिए गठित बोर्ड इसके विभिन्न कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए देश के कॉर्पोरेट घरानों से सामाजिक जिम्मेदारी फंड से राशि जारी करवाने की कोशिश करेगा। इन्होंने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए रैली फॉर रिवर्स के कार्यक्रमों को पूरे देश में क्रियान्वित किया जाए। पत्रकारों के एक प्रश्न के उत्तर में ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु वासुदेव ने कहा कि दक्षिण भारत में नदियों को जो़डने का प्रयास सफल नहीं हो सकता है क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों बहने के कारण इन नदियों के ७० प्रतिशत हिस्सा वाष्पीकरण के कारण खो जाता है।

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