हार्दिक के हालात बिगड़े

हार्दिक के हालात बिगड़े

गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक के हालात बिग़डतेहुए नजर आ रहे हैं और भाजपा को जीत के लिए रास्ता खुद ब खुद मिल रहा है, आसान होता जा रहा है। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति(पास) के प्रणेता हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच गठबंधन से घबराई भाजपा का रास्ता खुद ही आसान होता दिखाई दे रहा है। प्रथम चरण के मतदान के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। हार्दिक ने ११ से ज्यादा सीटें मांगी थी परंतु कांग्रेस ने दो सीटें देकर ठेंगा दिखा दिया और अनेक पाटीदारों के नामों के साथ अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। कांग्रेस दफ्तर पर नाराज हार्दिक समर्थकों ने हंगामा किया। सुलह के आसार नहीं दिख रहे। अंदरखाने प्रयास जारी हैं परंतु कांग्रेस के अशोक गहलोत ने कह दिया है कि कांग्रेस हार्दिक की अनुचित मांगें नहीं मान सकेगी। अब हार्दिक की हालत खराब है। उन्होंने हाल के दिनों में भाजपा को इतनी गालियां दीं कि अब भाजपा से तो उनकी कोई बात हो ही नहीं सकती। हार्दिक ने यहां तक कह दिया था कि आरक्षण नहीं बल्क अब भाजपा को हराना ही मुख्य लक्ष्य है। कांग्रेस को भी यह पता लग चुका है कि हार्दिक जहां आकर ख़डे हुए हैं वहां से भाजपा के साथ तो जा नहीं सकते और कहीं जाएं तो कांग्रस को क्या? अब एनसीपी ने भी कांग्रेस से पूरी दूरी बना ली है। उसका आरोप है कि कांग्रेस ने उसे यथोचित महत्व नहीं दिया इसलिए वह सभी सीटों पर चुनाव ल़डेगी। अब अगर हार्दिक भी एनसीपी के साथ जाते हैं तो एनसीपी, कांग्रेस और भाजपा त्रिकोणीय मुकाबला होगा। भाजपा विरोधी वोट कहें या शासन विरोधी वोट, वे दो भागों में बंट जाएंगे पहला, कांग्रेस और दूसरा, एनसीपी-हार्दिक समूह। ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए रास्ता आसान होगा। कांग्रेस ने हार्दिक के साथ गठबंधन में इतना ज्यादा समय लगा दिया कि अब हार्दिक के सामने कोई खास विकल्प नहीं बचे। एक खतरनाक मुहाने पर हार्दिक को ला ख़डा किया है कांग्रेस ने। शायद सीडी कांड से कांग्रेस को लगा कि हार्दिक को साथ लेने से कांग्रेस को लाभ के बजाय नुकसान ज्यादा हो सकता है और दूसरी बात हार्दिक के साथी एक एक कर उनसे कटते चले गए उससे भी हार्दिक कमजोर हुए हैं्। कमजोर साथी कल को खुद बोझ बन जाए, इससे अच्छा है कि उसपर ऐसी शर्तें लगाओ कि खुद ही दूर चला जाए, गठबंधन तो़डने का ठीकरा भी अपने सिर न फूटे, शायद कांग्रेस ने यह रणनीति अपनाई हो। एनसीपी के पास खोने को कुछ नहीं है। वह केवल वोट तो़डने का काम करेगी। हार्दिक अगर उसके साथ आएंगे तो भाजपा विरोधी वोट जो कांग्रेस को मिलने थे वे भी विभाजित होंगे। इसका सीधा लाभ मिलेगा भाजपा को। समय कम है और समस्याएं ज्यादा हार्दिक के लिए। हाल के दिनों के घटनाक्रम में सबसे ज्यादा ठगे गए हैं हार्दिक। ऐसा ही होना भी चाहिए था। जनता से धोखा करने वाले को धोखा मिलना ठीक ही है।

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