किन वजहों से हो सकता है सर्वाइकल कैंसर और क्या है इसका इलाज?

सर्वाइकल कैंसर से डरने की नहीं, बल्कि जागरूकता पैदा करने की जरूरत है

किन वजहों से हो सकता है सर्वाइकल कैंसर और क्या है इसका इलाज?

Photo: PixaBay

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अंतरिम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बीमारी की रोकथाम के लिए 9 से 14 साल उम्र की लड़कियों के लिए टीकाकरण अभियान चलाने की घोषणा की थी।

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सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में गर्भाशय के निचले हिस्से में कोशिकाओं की अवांछित वृद्धि के कारण होने वाली बीमारी है। विशेषज्ञों की मानें तो यह भारत में 15-44 साल की महिलाओं में दूसरा सबसे प्रमुख कैंसर है। लगभग 0.12 मिलियन महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का निदान किया जाता है और यह स्थिति हर साल लगभग 0.08 मिलियन महिलाओं की जान लेती है।

भारत में लगभग 70-80 प्रतिशत मामलों का एडवांस्ड स्टेज में पता चलता है, जहां उपचार उतना प्रभावी नहीं होता है। 

सर्वाइकल कैंसर क्या है?

विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण से जुड़ा है। यह वायरस लगभग 99 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर मामलों में पाया जाता है। एचपीवी वायरस को सर्वाइकल कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जोखिम कारक माना जाता है। इसके कुछ प्रकार, जैसे एचपीवी-16 और एचपीवी-18 सामान्य सर्वाइकल कोशिकाओं को असामान्य कोशिकाओं में बदल सकते हैं। ये आखिरकार सर्वाइकल कैंसर में बदल जाते हैं। लगभग 5 प्रतिशत महिलाओं में सर्वाइकल एचपीवी-16/18 संक्रमण होता है। ऐसे में जीवनशैली से जुड़े उन कारकों को जानना ज़रूरी है, जिनकी वजह से सर्वाइकल कैंसर की आशंका हो सकती है।

ये हो सकते हैं कारण, ऐसे करें बचाव

1. अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी रोगप्रतिरोधक क्षमता होना ज़रूरी है। जिन महिलाओं की प्रतिरोधक कमजोर होती है, उन्हें एचपीवी संक्रमण और सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसलिए उचित दिनचर्या, संतुलित खानपान, व्यायाम और पर्याप्त नींद को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।

2. असंतुलित आहार कई बीमारियों की वजह बनता है। वहीं, एंटीऑक्सिडेंट, कैरोटीनॉयड, फ्लेवोनोइड और फोलेट से भरपूर आहार महिलाओं को एचपीवी संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है। इससे गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को कैंसर के घावों में बदलने से भी रोकने में मदद मिलती है। इसी तरह, विटामिन ए, सी, डी और ई और कैरोटीनॉयड से युक्त आहार भी लाभदायक होते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ ताजे फल, सब्जियों आदि के सेवन की सलाह देते हैं। मांसाहार से परहेज करना चाहिए।

3. स्वस्थ शरीर के लिए वजन का संतुलित होना जरूरी है। अधिक वजन और मोटापे से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। शरीर की अतिरिक्त चर्बी कालांतर में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है और कैंसर की आशंका बढ़ा सकती है।

4. कम उम्र में यौन संपर्क और कई लोगों के साथ ऐसे संबंध सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बढ़ा सकते हैं। यही नहीं, इससे एचपीवी और अन्य यौन संचारित संक्रमण होने की आशंका बढ़ सकती है।

5. धूम्रपान से कई नुकसान होते हैं। यह सर्वाइकल कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है। धूम्रपान से गर्भाशय ग्रीवा में प्रीकैंसरस घाव विकसित हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, तंबाकू के धुएं में मौजूद जहरीले रसायन गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में डीएनए को क्षति पहुंचाते हैं। इससे कैंसर होने की आशंका बढ़ती है।

6. मादक पेय (शराब आदि) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इनके सेवन से कई बीमारियां हो सकती हैं। ये रोगप्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं, जिससे शरीर विभिन्न प्रकार के संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं होता है। उस परिस्थिति में गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को नुकसान होने का खतरा बढ़ सकता है।

7. शारीरिक रूप से सक्रिय लोगों के स्वस्थ रहने की संभावना ज़्यादा होती है। वहीं, शारीरिक परिश्रम न करने से वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जो महिलाएं नियमित रूप से शारीरिक परिश्रम या व्यायाम करती हैं, वे सर्वाइकल कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकती हैं।

8. इसके अलावा, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कुछ खास तरह के गर्भ निरोधकों से भी सर्वाइकल कैंसर की आशंका हो सकती है। लगभग पांच वर्षों तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से इसका जोखिम 5 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। वहीं, नौ वर्षों में यह जोखिम 60 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। अगर गोली बंद कर दी जाती है तो जोखिम कम हो जाता है। इस स्थिति में सुरक्षित गर्भनिरोधकों के उपयोग की सलाह दी जाती है।

डरें नहीं, जागरूक रहें

बता दें कि सर्वाइकल कैंसर से डरने की नहीं, बल्कि जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। यह बीमारी रोकथाम योग्य है। एचपीवी से प्रारंभिक संक्रमण के बाद सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में 15-20 से ज्यादा वर्ष लग सकते हैं। इसलिए पूर्व-कैंसर घावों की पहचान करने और उनका इलाज करने के लिए समय होता है।

इसके लिए पीएपी स्मीयर और एचपीवी डीएनए नामक प्रभावी स्क्रीनिंग टेस्ट उपलब्ध हैं। इनसे पूर्व घावों की पहचान करने और उनका इलाज करने में मदद मिलती है। सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम एचपीवी टीकाकरण, नियमित जांच और कैंसर पूर्व घावों के उपचार से संभव है। इसके साथ ही शीघ्र निदान और उपचार की भी जरूरत होती है। प्रारंभिक चरण में स्वस्थ होने की दर काफी ज्यादा होती है।

स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित खानपान इस बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। धूम्रपान, मादक पेय और अन्य हानिकारक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। किसी रोगी की शारीरिक स्थिति के अनुसार लक्षण अलग हो सकते हैं। यह आलेख सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह की जांच, उपचार आदि के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए।

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