'जिबलीकरण' के जोखिम

साइबर अपराधी सोशल मीडिया पर नजर रखते हैं

'जिबलीकरण' के जोखिम

असुरक्षित ऐप को अपना डेटा कभी न सौंपें

सोशल मीडिया पर 'जिबली आर्ट' से संबंधित तस्वीरों का सैलाब दिखाई दे रहा है। क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, हर कोई इस ट्रेंड में शामिल होना चाहता है। इस बीच विभिन्न राज्यों की पुलिस चेतावनी जारी कर रही हैं कि जिबली आर्ट के साथ कुछ जोखिम भी हैं। दरअसल सोशल मीडिया पर जो ट्रेंड शुरू होता है, साइबर अपराधी उस पर नजर रखते हैं और फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। हो सकता है कि कुछ दिनों बाद ऐसी खबरें पढ़ने को मिलें, जिनमें बताया गया हो कि 'जिबली आर्ट के चक्कर में फोन हैक, निजी तस्वीरें लीक, बैंक खाता खाली, कंप्यूटर में आया वायरस ...!' अभी लोगों का ध्यान इसकी रचनात्मकता और आकर्षण पर है। ऐसी तस्वीरें बनाने वाले ऐप भी ज्यादा नहीं हैं। जैसे-जैसे आकर्षण बढ़ेगा, नए ऐप आएंगे, जो 'और ज्यादा' सुंदर तस्वीर बनाने का दावा करेंगे। कोई ऐप कितना सुरक्षित है, वह यूजर्स के डेटा के साथ क्या करता है, वह उसे तुरंत हटाता है या नहीं, क्या वह विज्ञापन संबंधी गतिविधियों के लिए उनका इस्तेमाल करता है - जैसे दर्जनों सवालों के संतोषजनक जवाब उपलब्ध नहीं हैं। यूं तो हर ऐप दावा करता है कि वह यूजर्स के लिए पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन पूर्व में भारत सरकार ने ऐसे दर्जनों ऐप्स पर पाबंदी लगाई थी, जो निजता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे। चीनी कंपनियां ऐसे ऐप बनाने और उनका प्रचार करने में आगे रहती हैं। उन पर यूजर्स के डेटा को चीनी खुफिया एजेंसियों के साथ साझा करने के आरोप लग चुके हैं। ऐसे में अपनी तस्वीरों के 'जिबलीकरण' के लिए किसी ऐप को डेटा सौंप देना कितना सुरक्षित है?

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आमतौर पर जब लोग तस्वीरों की खूबसूरती में बढ़ोतरी करने वाले ऐप डाउनलोड करते हैं तो उनका पूरा ध्यान जल्द से जल्द उसका उपयोग करने पर होता है। इस बीच, ऐप की ओर से कुछ नियमों और शर्तों को पेश किया जाता है, लेकिन लोग तुरंत 'ओके' करते हुए आगे बढ़ जाते हैं। बहुत कम ही उन्हें पढ़ते हैं। जो पढ़ते हैं, उन्हें पता चलता है कि नियमों और शर्तों की भाषा आसान नहीं है। अगर भविष्य में कोई ऐप मोबाइल फोन में मौजूद तस्वीरों, कॉन्टैक्ट्स, एसएमएस, दस्तावेजों तक पहुंच बना ले और यूजर को पता ही न चले तो इससे गंभीर नुकसान हो सकता है। सोशल मीडिया पर कई लोग अपने ऐसे अनुभव साझा कर चुके हैं कि उन्होंने फोन पर किसी विषय पर बातचीत की, बाद में एक ऐप पर उससे संबंधित विज्ञापन आने लगे! एक यूजर का अनुभव कुछ इस तरह था- उसे नए जूते खरीदने थे। इसके लिए अपने दोस्त को फोन किया और उससे राय मांगी। उसके दोस्त ने जूतों के कुछ ब्रांड और दुकानों के नाम बताए। बातचीत पूरी हो गई। कुछ समय बाद उसने एक ऐप खोला तो यह देखकर हैरत हुई कि उस पर जूतों के विज्ञापनों की भरमार थी। उसके अनुभव पर प्रतिक्रिया देते हुए कई यूजर्स ने कहा कि उनके साथ भी ऐसा हो चुका है। इसी तरह एक व्यक्ति किसी मशहूर विदेशी ऐप पर वीडियो देखा करता था। एक दिन उसके फोन पर एसएमएस आया, जिसमें किसी महिला ने 'दोस्ती' करने का प्रस्ताव रखा। वह उसके साथ रोजाना चैटिंग करने लगा। कुछ दिन बाद 'महिला' ने कहा कि 'अब हमें मिलना चाहिए। आप वहां (जगह का नाम बताया) आ जाएं।' वह व्यक्ति बताई गई जगह पर पहुंच गया। वहां उसे एक युवक मिला, जिसने अपनी मोटरसाइकिल पर बैठने का आग्रह करते हुए कहा, 'कृपया मेरे साथ चलें। मैडम ने मुझे भेजा है।' वह उसे एक मकान में ले गया, जहां चार युवक चाकू, डंडे और हथियार लेकर बैठे थे। उन्होंने उस व्यक्ति की पिटाई की और मोबाइल फोन छीनकर बैंक खाते से सारे रुपए ट्रांसफर कर लिए। ऑनलाइन दोस्ती का ऐसा नतीजा निकलेगा, यह उसने सोचा नहीं था। पता चला कि उस ऐप ने अपनी कमाई के लिए डेटा बेचा था, जो गलत लोगों के हाथ लग गया। लिहाज़ा समझदारी इसी में है कि ऐसे असुरक्षित ऐप को अपना डेटा कभी न सौंपें।

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