झोपड़ी में रहे, साइकिल पर किया चुनाव प्रचार और बने मंत्री, इन्हें कहते हैं ओडिशा का नरेंद्र मोदी

झोपड़ी में रहे, साइकिल पर किया चुनाव प्रचार और बने मंत्री, इन्हें कहते हैं ओडिशा का नरेंद्र मोदी

राष्ट्रपति का अभिवादन करते प्रताप चंद्र सारंगी.

भुवनेश्वर/दक्षिण भारत। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में जब गुरुवार शाम को ओडिशा के बालासोर से भाजपा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी बतौर राज्य मंत्री पद की शपथ लेने आए तो उपस्थित मेहमानों की ओर से हर्ष ध्वनि कर उनका स्वागत किया गया और खूब तालियां बजाई गईं। इसके बाद प्रताप चंद्र सारंगी की विभिन्न तस्वीरें सोशल मीडिया में जमकर शेयर की जा रही हैं। साथ ही उनकी सादगी की भी तारीफ हो रही है।

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प्रताप चंद्र सारंगी का नाम गूगल पर खूब सर्च किया जा रहा है। उनके बारे में सर्च रिजल्ट देखकर आश्चर्य होना स्वाभाविक है, क्योंकि मोदी सरकार के इस मंत्री के पास न तो बंगला है, न गाड़ी और न ही बैंक बैलेंस। बेहद साधारण वेशभूषा में देखकर पहली ही नजर में कोई इन्हें राजनेता के बजाय साधु ही समझेगा।

गरीब बच्चों की शिक्षा पर पेंशन खर्च
प्रताप चंद्र सारंगी फूस से निर्मित कच्चे घर में रहते हैं। कहीं आना-जाना हो तो भारी-भरकम काफिले की जरूरत नहीं। बस वो और उनकी साइकिल। दो बार विधायक रह चुके सारंगी अपनी पेंशन का ज्यादातर हिस्सा गरीब बच्चों की शिक्षा और जरूरतों पर खर्च कर ​देते हैं।

जब प्रताप चंद्र ने शपथ ली तो खूब तालियां बजाई गईं.

बनना चाहते थे साधु
करीब 64 साल के प्रताप चंद्र सारंगी अविवाहित हैं। कभी उनका सपना था कि वे स्वामी विवेकानंद के पदचिह्नों पर चलते हुए रामकृष्ण मठ में संन्यासी बनें और जनसेवा में अपना जीवन खपा दें। हालांकि वे मठ के संन्यासी नहीं बन सके, क्योंकि जब मठ संचालकों को पता चला कि सारंगी के पिता का देहांत हो चुका है और मां अकेली हैं, तो उनकी सेवा को ही साधना मानकर घर लौट जाने के लिए कहा।

प्रताप चंद्र सारंगी की माता का पिछले साल देहांत हो गया। वे साधु बनकर जनसेवा करना चाहते थे, लेकिन सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण भाव देख लोगों ने उन्हें अपने प्रतिनिधि के तौर पर विधानसभा और फिर देश की संसद में भेजा। सादगी और सेवाभाव की वजह से लोग इन्हें ओडिशा का नरेंद्र मोदी भी कहते हैं।

गुफा में ध्यान लगाते प्रताप चंद्र सारंगी.

बीजद और कांग्रेस प्रत्याशी से मुकाबला
इस बार लोकसभा चुनाव में उनका मुकाबला बीजद नेता रबींद्र कुमार जेना से था। उन्होंने जेना को बालासोर से 12,956 मतों से शिकस्त दी। प्रताप चंद्र को यहां से कुल 41.79 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। चुनाव प्रचार के दौरान प्रतिपक्ष के पक्ष दर्जनों एसयूवी थीं। वहीं, प्रताप चंद्र एक पुराने ऑटो रिक्शा और साइकिल पर सवार होकर लोगों से संपर्क में जुटे थे।

उनके सामने कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक के बेटे नवज्योति पटनायक भी मैदान में थे, लेकिन उन्हें 1 लाख 79,403 मतों से ही संतोष करना पड़ा। प्रताप चंद्र की जीत के बाद एक यूजर ट्विटर पर लिखते हैं कि इससे लोकतंत्र पर भरोसा और मजबूत होता है। दिल्ली में जब प्रताप चंद्र ने शपथ ली, तो बालासोर में लोगों ने मिठाई बांटकर खुशियां मनाईं।

संघ से रहा जुड़ाव
प्रताप चंद्र सारंगी लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े रहे हैं। नीलगिरि सीट से दो बार विधायक रहे प्रताप चंद्र के गांव गोपीनाथपुर स्थित कच्चे घर को देखकर लोगों को ताज्जुब होता है। हवाई चप्पल और कंधे पर कपड़े का थैला लिए प्रताप चंद्र जब कभी बाजार, रेलवे स्टेशन या अन्य किसी सार्वजनिक स्थान की ओर जाते हैं तो उनके साथ कोई लंबा-चौड़ा काफिला नहीं होता। स्थानीय लोगों को भी उनकी यह खासियत पसंद है।

एक कार्यक्रम को संबोधित करते प्रताप चंद्र सारंगी.

नहीं बदलेगी सादगी भरी जीवनशैली
प्रताप चंद्र ने बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में गरीब और प्रतिभाशाली बच्चों के लिए कई स्कूल खोले हैं। सोशल मीडिया में वायरल हो रहीं तस्वीरों में वे एक गुफा में ध्यान लगाते भी दिखाई दे रहे हैं, जिस प्रकार हाल में नरेंद्र मोदी केदारनाथ स्थित गुफा में ध्यान लगा रहे थे। एक तस्वीर में वे गौसेवा करते दिखाई दे रहे हैं। क्या मोदी सरकार में राज्य मंत्री बन चुके प्रताप चंद्र की सादगी भरी जीवनशैली में अब कोई बदलाव आएगा? उन्हें करीब से जानने वाले लोग कहते हैं कि इसकी कोई संभावना नहीं है। मंत्री बनने के बाद उन्हें फेसबुक पेज पर देशभर से बधाइयां दी जा रही हैं। लोग उनके पुराने साक्षात्कार देखकर शेयर कर रहे हैं।

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