भारत का सुरक्षा परिदृश्य

मजबूत सैन्य बल की जरूरत हमेशा रही है और रहेगी

भारत का सुरक्षा परिदृश्य

भविष्य में अंतरिक्ष भी युद्ध का नया मैदान बन सकता है

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ी गहरी बात कही है कि 'सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है।' हमारे देश पर सदियों से हमले होते रहे हैं। अब उनके तौर-तरीकों में कुछ बदलाव आ गया है, लेकिन देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें जारी हैं। हमारे सुरक्षा बल उन्हें विफल करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। उनके जवानों और अधिकारियों ने बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं, इसलिए हम सुरक्षित हैं। भारत पर हमलों से जान-माल के अलावा सांस्कृतिक नुकसान भी बहुत हुआ है। विदेशी आक्रांताओं ने छल-कपट और विभिन्न तरीकों से भारत में अपना शासन स्थापित किया और समाज में फूट डालने के पैंतरे आजमाए। उनका भयानक नतीजा निकला और उससे पैदा हुईं चुनौतियां आज भी अपनी जगह खड़ी हैं। हमें अपने इतिहास का अध्ययन करना चाहिए और उन 'गलतियों' पर भी चर्चा करनी चाहिए, जो अतीत में कभी हुई थीं। जिन विदेशी आक्रांताओं ने भारत पर हमले किए, वे कोई बहुत बहादुर, अक्लमंद और कुशल रणनीतिकार नहीं थे। उन्होंने हमारी 'एकता की कमी' और 'समन्वय के अभाव' का जमकर फायदा उठाया था। उन्होंने समाज में दरारें पैदा कीं, भाई को भाई से लड़वाया और खुद मज़े से राज करते रहे। 'सोने की चिड़िया' को लूटने के लिए विदेशी आक्रांता लालायित रहे। वे साजिशें रचकर हमले करते रहे। अगर कहीं विफल हो गए तो हमारे तत्कालीन शासकों से क्षमादान पा गए। उसके बाद ताकत जुटाकर फिर हमला बोला और एक बार जब दांव लग गया तो उन्होंने किसी को क्षमा नहीं किया।

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निस्संदेह अतीत में हमें बहुत ठोकरें लगी हैं, लेकिन यह हमारी जीवटता है कि कोई भी बाधा हमें ज्यादा अवधि तक रोक नहीं सकी। हम दोबारा उठ खड़े हुए। विदेशी आक्रांता जिन इलाकों से आए थे, आज वहां भारतीयों के ज्ञान और कौशल को सराहा जा रहा है। जिनके पूर्वजों ने सदियों पहले हमारे देश में लूटमार की थी, उन्हें रोटी और दवाइयां हमने ही भेजीं। हमें अतीत की उन कमजोरियों से सबक लेते हुए सामाजिक एकता को मजबूत करना होगा, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर रहना होगा, दूरदर्शी सोच रखते हुए आधुनिक विज्ञान को जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा। चीन और पाकिस्तान जैसे देश हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष चुनौतियां पैदा करते रहेंगे। वहीं, बांग्लादेश, मालदीव जैसे देश भी मौका पाते ही भारतविरोधी मानसिकता का प्रदर्शन कर चुके हैं, फिर कर सकते हैं। यहां हमें 'जैसा रोगी, वैसा उपचार' की नीति अपनानी होगी। छोटे देशों को सहायता जरूर दें, लेकिन उन्हें इतनी खुली छूट न मिले कि वे हमें ही आंखें दिखाने लगें। भविष्य में एआई से डिजिटल फ्रॉड, डीपफेक, बैंक हैकिंग, हनीट्रैप, फर्जी खबरों के प्रसार से जनता में असंतोष भड़काने जैसी गतिविधियों में तेजी आ सकती है। इसके अलावा ड्रोन के जरिए तस्करी, अवैध सामग्री की आवाजाही, अनुचित फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी के मामले नई किस्म की चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। यूक्रेन ने रूस से युद्ध में ड्रोन तकनीक का बहुत घातक इस्तेमाल किया है। विस्फोटक सामग्री से लैस और लागत में काफी सस्ते यूक्रेनी ड्रोन्स ने काफी तबाही मचाई है। कई रूसी सैनिक और भारी-भरकम टैंक यूक्रेनी ड्रोन्स के शिकार हो गए। हथियारों और संसाधनों के मामले में यूक्रेन, रूस के सामने कहीं नहीं टिकता, उसे काफी नुकसान हुआ है, लेकिन उसने पुतिन को बुरी तरह उलझा रखा है। भविष्य में अंतरिक्ष भी युद्ध का नया मैदान बन सकता है। जो देश अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आगे रहेंगे, वे निश्चित रूप से फायदे में रहेंगे। परंपरागत ढंग से मजबूत सैन्य बल की जरूरत हमेशा रही है और रहेगी।

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