नई ऊर्जा, नए संकल्पों का दिन
इस साल कोई हुनर सीखने का संकल्प लें
जिस व्यक्ति ने सादगी को अपना लिया, उसने कई दु:खों को रोक दिया
नए साल का पहला दिन, नई ऊर्जा और नए संकल्पों का दिन! यूं तो हर सूर्योदय हमारे जीवन में एक नई शुरुआत लेकर आता है, लेकिन नए साल का पहला दिन कई मायनों में अनूठा होता है। अगर इस दिन कोई संकल्प लेकर नई शुरुआत करें तो उस पर कायम रहने और बेहतर नतीजे मिलने की संभावनाएं भी ज्यादा होती हैं। इस दिन हमें कुछ खास संकल्प जरूर लेने चाहिएं। हमें नए साल में स्वच्छता और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। ये दोनों बिंदु एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। तन और मन की स्वच्छता, घर की स्वच्छता, मोहल्ले की स्वच्छता ... गांव/शहर और ... देश की स्वच्छता, यह डोर कहीं भी कमजोर नहीं होनी चाहिए। हम तन और घर की स्वच्छता की ओर तो ध्यान देते हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता को लेकर बहुत कुछ करने की जरूरत है। यह सिर्फ सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है। नागरिकों को भी चाहिए कि वे स्वच्छता बनाए रखने में योगदान दें। जब स्वच्छता का स्तर सुधरेगा तो स्वास्थ्य निश्चित रूप से बेहतर होगा। अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि हम प्रकृति के अनुकूल दिनचर्या और आहार को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। पर्याप्त व्यायाम, योगासन, प्राणायाम आदि करें। इसके साथ मोटे अनाज को भोजन में शामिल करें। गरिष्ठ, बेहद तीखे, चटपटे पकवान खाने से दूर रहें तो बेहतर होगा। जो नौजवान भविष्य में अपना स्वास्थ्य अच्छा रखना चाहते हैं, वे समय रहते जीभ के स्वाद पर काबू पा लें।
इस साल कोई हुनर सीखने का संकल्प लें। जरूरी नहीं कि यह कोई बहुत खर्चीला और बेहद मुश्किल काम हो। अपने स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, पारिवारिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए ऐसे कई हुनर सीखे जा सकते हैं, जिनमें अगर महारत हासिल कर लें तो ये आर्थिक लाभ भी देंगे। सिलाई-कढ़ाई, स्वेटर बुनाई, अचार-मुरब्बे बनाना, कोई नई भाषा सीखना, किसी खास तकनीक में निपुणता प्राप्त करना, फर्नीचर बनाना, पुरानी अभिरुचि को समय देना - जैसे अनगिनत काम रोजगार के रास्ते खोल सकते हैं। कई नौजवानों को खाना बनाना नहीं आता। जब वे पढ़ाई या रोजगार के सिलसिले में दूसरी जगह जाते हैं तो उन्हें बहुत परेशानी होती है। उन्हें कोई रेस्टोरेंट या ढाबा ढूंढ़ना पड़ता है अथवा ऑनलाइन ऑर्डर कर खाना मंगवाते हैं, जो खासा महंगा पड़ता है। अगर खुद खाना बनाना जानते हों तो बहुत सुविधा होती है। इसी तरह अपने घर की सफाई करना, बर्तन मांजना, कपड़े धोना जैसे काम सबको सीखने चाहिएं। महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, भगत सिंह जैसे महापुरुष अपने काम अपने हाथों करते थे, तो आज का नौजवान क्यों नहीं कर सकता? अगर हम उन वर्षों को देखें, जिन्हें पीछे छोड़ आए हैं तो पाएंगे कि हमारी 'ज़रूरतें' बहुत ज्यादा नहीं हैं। हां, 'इच्छाएं' अनंत हो सकती हैं, जो बड़े-बड़े सम्राटों की पूरी नहीं हुईं। अगर कोई व्यक्ति बुद्धि एवं विवेकपूर्वक विचार करे, दिखावेबाजी से दूर रहे, कोई व्यसन न पाले, कुसंगति में न पड़े, जो कुछ पाया उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दे, तो वह कई परेशानियों से बच सकता है। 'सादगी में ही सुख है' - यह कोई सुनी-सुनाई बात नहीं है। जिस व्यक्ति ने सादगी को अपना लिया, उसने कई दु:खों को अपनी ओर आने से रोक दिया। नए साल में 'मोबाइल फोन से दूरी' और 'प्रकृति से नजदीकी' का संकल्प जरूर लें। मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसे उपकरणों का उतना ही इस्तेमाल करें, जितना जरूरी हो। घंटों रील देखते रहने, ऑनलाइन गेम खेलने, सोशल मीडिया में खोए रहने जैसी आदतें सिर्फ समय बर्बाद करती हैं। इनसे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह समय परिवार में मेलजोल बढ़ाने, व्यायाम करने, बागवानी सीखने और रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देने में लगाएं तो जीवन बहुत खुशहाल हो सकता है। बस, ज़रूरत है तो दृढ़ संकल्प की। सबको बहुत शुभकामनाएं!