आतंकी हमले के 29 साल बाद कश्मीरी पंडित ने रखा घाटी में कदम, कहा- जिंदा है कश्मीरियत

आतंकी हमले के 29 साल बाद कश्मीरी पंडित ने रखा घाटी में कदम, कहा- जिंदा है कश्मीरियत

कश्मीरी पंडित रोशन लाल मावा

श्रीनगर/दक्षिण भारत। नब्बे के दशक में कश्मीर घाटी में तेजी से पनपते आतंकवाद के कारण कई कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में जाना पड़ा। आज भी कश्मीरी पंडितों को इंतजार है कि वे अपने घरों को लौटें, लेकिन इससे पहले जरूरी है कि कश्मीर घाटी से आतंकवाद समूल नष्ट हो और यहां शांति व सद्भाव कायम रहे।

Dakshin Bharat at Google News
साल 1990 में अज्ञात बंदूकधारियों के हमले का निशाना बने कश्मीरी पंडित रोशन लाल मावा बताते हैं कि कश्मीर जैसी जगह और कोई नहीं है। खुद पर हुए हमले के बाद उन्होंने कश्मीर छोड़ दिया था, लेकिन अब 29 साल बाद फिर अपनी सरजमीं पर लौटे हैं। बुधवार को उन्होंने कश्मीर में अपना कारोबार दोबारा शुरू किया।

इस मौके पर स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम व्यापारियों ने उनका स्वागत किया। साथ ही उन्हें ‘दस्तारबंदी’ से सम्मानित किया। इस दौरान रोशन लाल मावा ने कश्मीर की खूब प्रशंसा की और कहा कि यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है।

रोशन लाल ने बताया कि उन्होंने देश के कई इलाकों की यात्राएं की हैं, लेकिन कश्मीर जैसी कोई जगह नहीं है। कश्मीरियत जिंदा है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी मुसलमानों और पंडितों में भाईचारा बरकरार है।

बता दें कि रोशन लाल को 13 अक्टूबर, 1990 को हमलावरों ने उस वक्त चार गोलियां मारी थीं, जब वे अपनी दुकान पर थे। उस घटना के बाद रोशन लाल और उनके परिवार ने कश्मीर छोड़ दिया और दिल्ली आ गए। अब करीब तीन दशक बाद वे कश्मीर लौटे हैं।

रोशन लाल के पुत्र संदीप एक एनजीओ चलाते हैं जो कश्मीरी पंडितों को वापस कश्मीर में बसाने के लिए आवाज उठाता है। वे सौ से ज्यादा कश्मीरी पंडित परिवारों को दोबारा कश्मीर लाना चाहते हैं। उन्होंने अपने पिता से यह इच्छा व्यक्त की, जिसके बाद उन्होंने दोबारा कश्मीर लौटकर अपना पुराना कारोबार शुरू किया। संदीप कहते हैं कि परोपकार की शुरुआत घर से होनी चाहिए, इसलिए उन्होंने अपने घर से यह पहल शुरू की।

देश-दुनिया की हर ख़बर से जुड़ी जानकारी पाएं FaceBook पर, अभी LIKE करें हमारा पेज.

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download