जगन की पदयात्रा पर तमाम सवालों की बौछार

जगन की पदयात्रा पर तमाम सवालों की बौछार

हैदराबाद। एक पदयात्रा पर कितने तरह के बवाल ख़डे हो सकते हैं? आप कहेंगे कि वाहनों पर यात्रा करने में कई फसाद आ़डे आ सकते हैं लेकिन राजनीतिक पदयात्राओं में कुछ रुकावटें आ़डे आ सकती हैं। आपने सही समझा, यह मुद्दा वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी की प्रस्तावित राज्यव्यापी यात्रा से जु़डा है और स्वाभाविक तौर पर इसमें राजनीति के साथ ही कानूनी पेंच भी फंस गया है। एक तो जगन ने रायलसीमा से उत्तरी आंध्र प्रदेश छह महीने तक चलने वाली इस ३००० किलोमीटर लंबी और १२० विधानसभा सीटों की यात्रा के लिए अदालत की पूर्वानुमति हासिल नहीं की है, वहीं दूसरी तरफ जगन के समर्थकों का दावा है कि अदालती अनुमति मिले या नहीं मिले, यह पदयात्रा पूर्व नियोजित ढंग से पूरी होगी। इससे अलग हटकर जगन की ही पार्टी के एक ध़डे को लगता है कि अदालती आदेश के बिना तो राज्य की टीडीपी सरकार उन्हें यह यात्रा पूरी करने की अनुमति कतई नहीं देने वाली है। यह विडंबना वाली स्थिति इसलिए पेश आई है क्योंकि विभिन्न अदालतों में जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ चल रहे राजनीतिक और गैर-राजनीतिक मामलों की सुनवाई के लिए उनकी पेशी आवश्यक है। अगर उन्हें अपनी प्रस्तावित पदयात्रा पूरी करनी है तो निश्चित रूप से अदालत में अग्रिम आवेदन पेश कर इसके लिए अदालती अनुमति प्राप्त करना भी आवश्यक है। बताया जाता है कि जगन ने छह महीने में पूरी होने वाली इस राजनीतिक पदयात्रा के लिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना शुरू भी कर दिया है। वह रोज निश्चित समय तक पैदल चलने का अभ्यास कर रहे हैं तो अपने खान-पान की आदतों में भी उन्होंने जरूरी तब्दीलियां कर ली हैं। वह यात्रा के दौरान कई जिलों में वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं से मिलकर उनके आपसी विवादों को खत्म करने और पार्टी के सभी ध़डों को पूरी तरह से एकजुट करने की कोशिश भी करेंगे। सो, पार्टी महसूस कर रही है कि उनकी पदयात्रा की राह में आनेवाली हर रुकावट खुद ही समय आने पर गायब हो जाएंगी।

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