टोक्यो के लिए नई उम्मीदें जगाकर विदा हुआ 2019, किंग कोहली का रहा जलवा

टोक्यो के लिए नई उम्मीदें जगाकर विदा हुआ 2019, किंग कोहली का रहा जलवा

टोक्यो ओलंपिक 2020

नई दिल्ली/भाषा। क्रिकेट के मैदान पर सफलता की नई सीढ़ियां चढ़ रही भारतीय क्रिकेट टीम के लिए विश्व कप सेमीफाइनल में हार कसक बनकर रह गई लेकिन ओलंपिक से जुड़े खेलों में शानदार प्रदर्शन से खिलाड़ियों ने टोक्यो 2020 के लिए नई उम्मीदें जगाईं। हॉकी टीमों के लिए यह साल कामयाबी की नई दास्तां लिख गया जिसमें पुरुष और महिला दोनों टीमों ने टोक्यो का टिकट कटाया।

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रियो ओलंपिक 2016 में नाकाम रहे निशानेबाजों ने इस साल राइफल पिस्टल विश्व कप और फाइनल्स में 21 स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक अपनी झोली में डाले। इसके साथ ही 15 ओलंपिक कोटा स्थान भी भारत को मिले जो अब तक का रिकॉर्ड है।

निशानेबाजी रेंज पर मनु भाकर, सौरभ चौधरी, दिव्यांश सिंह पंवार और इलावेनिल वालारिवान की युवा ब्रिगेड ने जलवा बिखेरा। पहलवानों और मुक्केबाजों ने भी विश्व चैम्पियनशिप में उम्दा प्रदर्शन किया। कुश्ती में एक रजत और चार कांस्य समेत चार ओलंपिक कोटा भी भारत के नाम रहे।

मुक्केबाजी रिंग में अमित पंघाल ने तीन स्वर्ण और विश्व चैम्पियनशिप में एक रजत पदक जीता। एमसी मैरीकॉम ने विश्व चैम्पियनशिप में आठवां पदक जीता जिससे वह टूर्नामेंट के इतिहास की सबसे कामयाब मुक्केबाज बन गईं।

पंकज आडवाणी ने बिलियर्ड्स में रिकॉर्ड 23वां विश्व खिताब अपने नाम किया। विराट कोहली और भारतीय क्रिकेट ने खत्म हो रहे साल में अच्छी प्रगति की, जबकि सौरव गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में नई पारी की शुरुआत की। भारत ने साथ ही 2019 में अंतत: दिन-रात्रि टेस्ट खेला।

विश्व कप के सेमीफाइनल में भारत की हार दिल तोड़ने वाली रही जबकि महेंद्र सिंह धोनी के भविष्य को लेकर संशय बरकरार है जो पिछले छह महीने से क्रिकेट से दूर हैं।

विश्व कप के सेमीफाइनल में भारत को न्यूजीलैंड ने हराया जिसमें धोनी का ‘रन आउट’ बरसों तक उसी तरह याद रहेगा जिस तरह विश्व कप 2011 में हेलिकॉप्टर शॉट पर विजयी छक्का। फाइनल में हालांकि न्यूजीलैंड को निराशा हाथ लगी जब निर्धारित ओवर और फिर सुपर ओवर के बाद भी मैच टाई रहा और मेजबान इंग्लैंड को मैच में अधिक बाउंड्री लगाने के कारण विजेता घोषित किया गया।

बैडमिंटन कोर्ट पर पीवी सिंधू देश की पहली विश्व चैम्पियन बनी। वह हालांकि इसके अलावा कुछ नहीं जीत सकीं। साइना नेहवाल चोट के कारण अधिकांश समय बाहर ही रहीं। विश्व चैम्पियनशिप में बी साइ प्रणीत ने प्रकाश पादुकोण के 36 वर्ष बाद पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता।

टेनिस में सुमित नागल ने अमेरिकी ओपन के पहले दौर में रोजर फेडरर से एक सेट जीता। इसके अलावा भारतीय खिलाड़ियों के नाम कोई उपलब्धि नहीं रही। भारतीय टेनिस में कोर्ट के बाहर का ड्रामा बदस्तूर जारी रहा। पाकिस्तान के खिलाफ डेविस कप मुकाबले को लेकर यह चरम पर पहुंच गया।

महेश भूपति की अगुवाई में शीर्ष खिलाड़ियों ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर दिया था। प्रशासकों ने भी इस पर सहमति जताई नतीजतन आईटीएफ ने उनकी मांग मानते हुए डेविस कप मुकाबला कजाखस्तान में कराने का ऐलान किया।

आईटीएफ के भारत का अनुरोध मानने के तुरंत बाद भारतीय टेनिस संघ ने भूपति को कप्तानी से हटा दिया। इसके साथ ही पाकिस्तान जाने से इनकार करने वाले सभी खिलाड़ियों को हटा दिया गया। लिएंडर पेस ने पाकिस्तान के खिलाफ डेविस कप खेला और रिकॉर्ड 44वीं युगल जीत दर्ज की। उन्होंने अगले साल टेनिस को अलविदा कहने का भी ऐलान कर दिया।

एथलेटिक्स में भारत की पदक उम्मीद चक्काफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा और फर्राटा धाविका हिमा दास चोटिल रहे। खेल पर डोपिंग और उम्र में धोखाधड़ी के विवादों का साया भी रहा। भारत ने मिश्रित चार गुणा 400 मीटर रिले और पुरुषों के 3,000 मीटर स्टीपलचेस में ओलंपिक कोटा हासिल किया।

फुटबॉल में सुनील छेत्री के शानदार प्रदर्शन को छोड़कर कुछ उल्लेखनीय नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय गोलों के मामले में छेत्री लियोनेल मेस्सी से आगे रहे। भारतीय टीम विश्व कप एशियाई क्वालीफायर से बाहर हो गई और फीफा रैंकिंग में 11 पायदान खिसकी। भारतीय पैरा एथलीटों ले 2020 पैरालम्पिक में 22 कोटा स्थान हासिल किए।

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