इसरो ने आदित्य-एल1 को अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित किया
प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि की सराहना की है
Photo: @ISRO FB page
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला आदित्य-एल1 को शनिवार को उसकी गंतव्य कक्षा लैग्रेंज प्वाइंट-1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की इस उपलब्धि की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है।उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।'
सूर्य-पृथ्वी प्रणाली का लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it’s destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
इसरो के अधिकारियों ने कहा, एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में एक उपग्रह को सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखने का बड़ा फायदा है, इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव को देखने में अधिक लाभ मिलेगा।
एक पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने 2 सितंबर, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया था।