कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें मिलेगा ‘भारत रत्न’? यहां जानिए

कर्पूरी ठाकुर छात्र-जीवन से ही महात्मा गांधी और सत्यनारायण सिन्हा से बहुत प्रभावित थे

कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें मिलेगा ‘भारत रत्न’? यहां जानिए

कर्पूरी ठाकुर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने समर्थक थे

नई दिल्ली/पटना/दक्षिण भारत। ‘जननायक’ के नाम से विख्यात, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर अब ‘भारत रत्न’ भी कहलाएंगे। उनके लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की घोषणा 23 जनवरी को की गई थी। 

Dakshin Bharat at Google News
बता दें कि 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती भी है। उनका जन्म वर्ष 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था, जो अब कर्पूरी ग्राम कहलाता है। उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता का नाम रामदुलारी देवी था।

कर्पूरी ठाकुर छात्र-जीवन से ही महात्मा गांधी और सत्यनारायण सिन्हा से बहुत प्रभावित थे। वे ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल हो गए थे। वे अंग्रेजों के खिलाफ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल हुए थे और अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद वे जेल गए और 26 महीनों की कैद के बाद रिहा हुए।

कर्पूरी ठाकुर का पुश्तैनी काम ‘केशकला’ था। जब देश आजाद हो गया तो वे अपने गांव के स्कूल में बतौर शिक्षक सेवा देने लगे। उन्होंने वर्ष 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक बने। वे आम जनता और गरीबों के हितों के लिए आंदोलनों में सक्रिय रहे थे। उन्होंने वर्ष 1970 में मजदूरों के हक के लिए 28 दिनों तक अनशन किया था।

कर्पूरी ठाकुर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने समर्थक थे। वर्ष 1970 में बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बनने से पहले ठाकुर मंत्री और उपमुख्यमंत्री भी रहे थे। उन्होंने शराबबंदी लागू करने का फैसला किया था। उनसे प्रभावित होकर लोगों ने बिहार के कई इलाकों में स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की थी।

कर्पूरी ठाकुर पहली बार दिसंबर 1970 से जून 1971 तक, फिर जून 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। उनका 17 फरवरी, 1988 को 64 साल की उम्र में पटना में निधन हुआ था।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download