मच्छर जनित फाइलेरिया बीमारी से करोड़ों लोग हुए संक्रमित

मच्छरों की मार को साइलेंट अटैक भी कहा जाता है

मच्छर जनित फाइलेरिया बीमारी से करोड़ों लोग हुए संक्रमित

Photo: PixaBay

बाल मुकुन्द ओझा
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देश में मच्छर जनित बीमारियों से लोगों की सेहत को जूझना पड़ रहा है| मानसून में देशभर में भारी बारिश और घर घर में दीपावली सफाई के दौरान मच्छरों के आतंक से आमजन को दो दो हाथ करने पड़ रहे है| मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों के बीच फाइलेरिया नामक एक मच्छर जनित बीमारी के बारे में आयी मीडिया रिपोर्ट से लोग चिंतित हो उठे है| इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के लगभग ७४ करोड़ लोगों को फाइलेरिया का रिस्क यानि जोखिम  है| फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलती है| इसके कारण फ्लूइड रिटेंशन हो सकता है यानी शरीर के किसी हिस्से में फ्लूइड जमा हो सकता है| कई मामलों में तो इससे विकृति या विकलांगता भी हो सकती है| रिपोर्ट के अनुसार  ३.१ करोड़ लोग इससे संक्रमित हैं| इनमें लगभग २.३ करोड़ लोग सिंप्टोमेटिक हैं यानी उनके शरीर में इसके लक्षण नजर आते हैं| ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है, जो फाइलेरिया से संक्रमित हैं पर उनके शरीर में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं| इसके बावजूद उनका लिम्फेटिक सिस्टम और किडनी डैमेज हो रहे हैं|

बताया जाता है हाल ही में नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ने इस बीमारी से निपटने के लिए ६ राज्यों के ६३ जिलों को टारगेट करके एक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया| इसका उद्देश्य साल २०२३ में अचीव किए गए ८२.५ प्रतिशत कवरेज रेट को पार करना था| मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बीमारी से जो अंग प्रभावित होता है, वह सूजकर भारी-भरकम हो जाता है| आमतौर पर इसके चलते पैर का आकार बहुत भारी हो जाता है|  फाइलेरिया का मुख्य कारण परवीजी होते हैं| ये हमारे लिम्फेटिक सिस्टम को धीरे-धीरे खराब करते हैं| पहले इसका असर इंटरनल ऑर्गन्स पर होता है| इसलिए शुरुआत में कुछ पता नहीं चलता है| जब संक्रमण बहुत बढ़ जाता है तो शरीर के बाहरी अंगों में भी इसका असर दिखने लगता है|

मच्छरों की मार को साइलेंट अटैक भी कहा जाता है जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते| और जब तक आप संज्ञान लेते है तब तक मच्छर अपना काम कर चुके होते है| दुनिया में करोड़ों लोग मच्छर के काटने से बीमार हो जाते हैं| वहीँ हर साल करीब १० लाख लोग मच्छर काटने से मर जाते हैं| मौसम बदलने के साथ मच्छर भी चहुंओर दिखाई देने लगते है| इस समय मौसम में बदलाव के चलते शहर से लेकर गांव तक मच्छरों का आतंक फैला हुआ है| हमारे सँभलने से पहले मच्छर छोटे से बड़ों तक को काटना शुरू कर देते है| जरुरी नहीं सभी मच्छर विषेलें हो मगर ये मच्छर आपको कब बीमार कर दें | इसका पता भी तब चलता है जब हम मच्छर जनित बीमारी के शिकार हो जाते है|

विशेषज्ञों के अनुसार मादा एनोफेलीज कूलिसिफासीस मलेरिया का प्रमुख रोग वाहक है, जो कि आमतौर पर मनुष्यों के साथ-साथ मवेशियों को भी काटता है| एनोफेलीज वर्षा जल और इकट्ठा हुए जल, गड्ढे, कम जल युक्त नदी, सिंचाई माध्यम, रिसाव, धान के खेत, कुंए, तालाब के किनारे, रेतीले किनारे के साथ धीमी धाराओं में प्रजनन करती है| एनोफेलीज मच्छर सबसे ज्यादा शाम और सुबह के बीच काटता है| मादा एडीज एजिप्ट मनुष्य में डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और पीला बुखार संचारित करती है| मादा एडीज सबसे अधिक दिन के समय काटती है तथा काटने का चरम समय संध्या से पहले शाम या सुबह के दौरान होता है| एडीज एजिप्ट मच्छर किसी भी प्रकार के मानव निर्मित कंटेनरों या पानी की थोड़ी सी मात्रा से युक्त भंडारण करने वाले कंटेनरों में प्रजनन करती है| एडीज एजिप्ट के अंडे एक वर्ष से अधिक समय तक बिना पानी के जीवित रह सकते हैं| एडीज एजिप्ट सामान्यत चार सौ मीटर की औसत पर उड़ती है, लेकिन यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक मनुष्य के माध्यम से अकस्मात स्थानांतरित होती है| मादा मच्छरों के लिए केवल रक्त आहार और जानवरों को काटने की आवश्यकता होती है, जबकि पुरुष मच्छर काटते नहीं है, लेकिन वे फूलों के मकरंद या अन्य उपयुक्त शर्करा स्रोत को खाते हैं|

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