प्रियंका को भाजपा आसानी से नहीं दे सकती वॉक ओवर
प्रियंका अगर वायनाड से चुनाव जीतती हैं तो संसद में गांधी-नेहरू परिवार एक नया कीर्तिमान रच देगा
Photo: priyankagandhivadra FB Page
अशोक भाटिया
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अब तक खुद को चुनाव प्रचार तक सीमित रखने वाली प्रियंका अब पहली बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगी| प्रियंका अब अगर अपनी पहली चुनावी बाधा को पार कर लेती हैं तो संसदीय इतिहास में यह ऐतिहासिक क्षण होगा|यदि प्रियंका गांधी वायनाड से लोकसभा उपचुनाव जीत लेती हैं, तो यह पहली बार होगा कि जब गांधी-नेहरू परिवार से मां, बेटा और बेटी एक साथ संसद में होंगे| सोनिया गांधी इस समय राज्यसभा सांसद हैं तो राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं| हालांकि इससे पहले कई बार इस गांधी-नेहरू परिवार के कम से कम २ सदस्य एक समय में संसद में रहे हैं| पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहने के दौरान उनके दामाद फिरोज गांधी लोकसभा सांसद रहे थे| फिरोज गांधी पहले १९५२ में फिर १९५७ में रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे| इस दौरान पीएम नेहरू भी लोकसभा सांसद (फूलपुर सीट) थे| इंदिरा गांधी पहली बार १९६४ में राज्यसभा की सदस्य बनने के साथ अपने संसदीय करियर की शुरुआत की थी| जबकि उन्होंने १९६७ में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था|
१९८० के चुनाव में इंदिरा गांधी सांसद चुनी गईं थी तब उनके बेटे संजय गांधी भी अमेठी सीट से लोकसभा सांसद चुने गए थे| संसद में पहली बार गांधी-नेहरू परिवार से मां-बेटे की जोड़ी सांसद बनी थी| लेकिन कुछ महीने बाद एक विमान हादसे में संजय की मौत हो गई| ऐसे में यहां पर कराए गए उपचुनाव कराया गया| संजय गांधी के बड़े भाई राजीव गांधी ने १९८१ में अमेठी सीट पर हुए उपचुनाव में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और लोकसभा पहुंचे| तब इंदिरा गांधी भी लोकसभा सांसद थीं और उनके बेटे भी सांसद चुने गए थे| फिर साल २००४ में गांधी-नेहरू परिवार से मां-बेटे की जोड़ी फिर से संसद पहुंची| सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद चुनी गईं और उनके बेटे राहुल गांधी ने अमेठी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करते हुए अपनी पहली चुनावी बाधा पार की|फिरोज और इंदिरा की दूसरी संतान संजय गांधी का परिवार भी लगातार राजनीति में बना हुआ है| संजय की पत्नी मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी की जोड़ी भी संसद में ३ बार बनी रही| वरुण गांधी ने अपने चुनावी करियर की शुरुआत २००९ में पीलीभीत सीट से चुनाव जीतकर की| तब आंवला सीट से मेनका गांधी से सांसद चुनी गई थीं| २०१४ में वरुण सुल्तानपुर से सांसद बने तो मां मेनका पीलीभीत से लोकसभा पहुंचीं| २०१९ में वरुण पीलीभीत से तीसरी बार सांसद चुने गए तो मेनका ने सुल्तानपुर से जीत हासिल की|
हालांकि २०२४ में मेनका कड़े संघर्ष के बाद चुनाव हार गईं जबकि उनके बेटे को बीजेपी ने मैदान में नहीं उतारा था| दूसरी ओर, २००४ से लेकर अब तक सोनिया और राहुल के रूप में मां-बेटे की यह जोड़ी संसद में बनी हुई है| लेकिन इस समय सोनिया लोकसभा की जगह राज्यसभा की सदस्य हैं|अब ठीक २० साल बाद २०२४ में मां-बेटे की यह बेमिसाल जोड़ी एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपने साथ एक बेटी को भी शामिल करने जा रही है| अब १९ नवंबर को वायनाड का उपचुनाव होने जा रहा है| कांग्रेस ने प्रियंका की चुनाव लड़ने की विधिवत घोषणा भी कर दी है| उपचुनाव में अगर प्रियंका जीत हासिल करती हैं तो सोनिया गांधी के परिवार के ३ सदस्य एक साथ संसद में दिखेंगे तो मेनका के परिवार का कोई सदस्य संसद में नहीं दिखेगा| पर इन सब बातों में एक पेच भी है| वायनाड से प्रियंका को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस इस जीत को आसान समझ रही है पर भाजपा इतनी आसानी से वाक ओवर भी नहीं देने वाली | भले ही गांधी परिवार का साउथ से भी पुराना रिश्ता रहा है| इंदिरा गांधी १९७८ का उपचुनाव कर्नाटक के चिकमगलूर से जीतीं थीं| इसके बाद १९८० में इंदिरा ने आंध्र के मेडक सीट से जीत हासिल की| १९९९ में सोनिया गांधी ने भी अपना राजनीतिक करियर दक्षिण से किया था| वे १९९९ में अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ी थीं और दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी| हालांकि, बाद में बेल्लारी सीट उन्होंने छोड़ दी थी|
वायनाड से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के फैसले के बाद सोशल मीडिया समेत राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई थी कि इस सीट से भाजपा किसे उम्मीदवार बनाएगी| चर्चा ये भी थी कि बीजेपी तेज तर्रार नेता स्मृति ईरानी को वायनाड सीट से उतार सकती है| भले ही स्मृति ईरानी इस बार अमेठी से के एल शर्मा के सामने लोकसभा चुनाव हार गई हों, लेकिन २०१९ में वे कांग्रेस के गढ़ अमेठी से राहुल गांधी को हरा चुकी हैं| ऐसे में भाजपा उन्हें इस सीट से उतार कर मुकाबला दिलचस्प बना सकती है| गौरतलब है कि भाजपा टिकटों को लेकर पहले भी चौंकाने वाले फैसले करते आई है| १९९९ में जब सोनिया गांधी के बेल्लारी से डेब्यू करने की बात सामने आई थी, तब बीजेपी ने इस सीट से सुषमा स्वराज को टिकट देकर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया था| सुषमा ने इस सीट पर सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी थी| हालांकि, वे इस चुनाव में हार गई थीं| सोनिया गांधी को ४१४००० वोट मिले थे| जबकि सुषमा स्वराज ने साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे| सोनिया गांधी इस चुनाव में करीब ५६००० वोट से चुनाव जीत पाई थीं|
एक चर्चा में माधवी लता का भी नाम आ रहा था | भाजपा की उस पर भी नज़र रह थी पर आखिरकार भाजपा ने वायनाड सीट से केरल की तेज तर्राट स्थानीय महिला नेता नव्या हरिदास को अपना प्रत्याशी बनाया है| नव्या हरिदास (३९) कोझिकोड कॉरपोरेशन में दो बार पार्षद रह चुकी हैं और बीजेपी की पार्षद दल की नेता हैं| वह बीजेपी महिला मोर्चा की राज्य महासचिव भी हैं. हरिदास के पास केएमसीटी इंजीनियरिंग कॉलेज, कालीकट यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री है| वह २०२१ के केरल विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी की उम्मीदवार थीं, लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार अहमद देवर कोविल से हार गई थीं| जानकर लोगों को कहना है कि नव्या के स्थानीय होने का उसे फायदा भाजपा मिल सकता है|
नामांकन दाखिल करने के बाद एक टी वी चैनल से खास बातचीत में नव्या हरिदास ने वायनाड क्षेत्र की जरूरतों पर जोर दिया| उन्होंने कहा वायनाड के लोगों को प्रगति की जरूरत है| कांग्रेस परिवार वास्तव में वायनाड के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर रहा है| इस चुनाव से वायनाड के निवासियों को एक बेहतर सांसद की जरूरत है जो उनकी समस्याओं का समाधान कर सके| साथ ही हरिदास ने स्थानीय समुदाय की चिंताओं को प्राथमिकता देने वाले प्रतिनिधि की आवश्यकता पर जोर दिया| स्थानीय शासन में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, हरिदास ने अपनी सार्वजनिक सेवा के अनुभव को शेयर किया| उन्होंने कहा कि मुझे प्रशासनिक अनुभव है, जैसे कि मैं केरल में दो बार पार्षद के रूप में चुनी गई हूँ| तो पिछले आठ वर्षों से, मैं राजनीतिक क्षेत्र में हूँ, लोगों की सेवा कर रही हूँ, उनकी समस्याओं को समझ रही हूँ और हमेशा उनके साथ खड़ी रही हूं| भाजपा ने नव्या हरिदास को प्रियंका के सामने मैदान में उतारकर जाता दिया है कि वह प्रियंका को आसानी से वाक ओवर नहीं दे सकती|