सच्चाई की बड़ी जीत
तहव्वुर राणा भारत लाया जा रहा है

उसने अमेरिकी अदालतों को चकमा देने की खूब कोशिशें की थीं
मुंबई के 26/11 आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का अमेरिका से प्रत्यर्पण सच्चाई की बड़ी जीत है। इससे न्याय के रास्ते में आ रहे कई अवरोध दूर हो गए हैं। हालांकि अभी लड़ाई बाकी है। अदालत में तहव्वुर के खिलाफ सबूत रखे जाएंगे, उसे अपना बचाव करने का मौका दिया जाएगा, लंबी बहस होगी। उसके बाद फैसला आएगा। भारतीय जांच एजेंसियों को विशेष सावधानी बरतकर पुख्ता सबूत जुटाते हुए ऐसे सवाल तैयार करने होंगे, जिनसे पूरा सच खुद ही सामने आ जाए। तहव्वुर अपनी जान बचाने के लिए कई पैंतरे आजमाएगा। उसने अमेरिकी अदालतों और एजेंसियों को चकमा देने की खूब कोशिशें की थीं। वह यही पैंतरा भारतीय अदालतों में चलेगा। पाकिस्तान उसके लिए सहानुभूति जुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। अब भारत के लिए एक अवसर है कि वह तहव्वुर का कच्चा चिट्ठा खोलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को तेज करे। यह शख्स कनाडाई नागरिक है, लेकिन पूर्व में पाकिस्तानी फौज में डॉक्टर रह चुका है। इसने डेविड कोलमैन हेडली का भरपूर सहयोग किया था, जिसने मुंबई हमलों से पहले रेकी कर साजिश रची थी। तहव्वुर ने उसे जिस तरह वीजा लगवाने और फर्जी पहचान बनाकर मुंबई में अत्यंत महत्त्वपूर्ण जगहों की जानकारी जुटाने के लिए 'पर्दे के पीछे' से दिशा-निर्देश दिए थे, उससे स्पष्ट होता है कि यह कसाब से भी ज्यादा खतरनाक आतंकवादी है। अगर इसे भविष्य में सख्त सजा होती है तो उन सभी आतंकवादियों और उनके आकाओं तक कड़ा संदेश जाएगा, जो इस भ्रम में रहते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से भारत को 26/11 हमलों की साजिश के अन्य पहलुओं के बारे में बड़ी जानकारी मिल सकती है। इसके पास ऐसे गुप्त तथ्य जरूर होंगे, जो निचले स्तर के आतंकवादियों के पास नहीं होते हैं। जब भारतीय जांच एजेंसियों के आगे तहव्वुर मुंह खोलेगा तो कई राज़ उगलेगा। अब तक जितने बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं, उनमें आईएसआई की क्या भूमिका रही, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन किस स्तर पर शामिल रहे, भारत में उन्हें सहयोग पहुंचाने वाले तत्त्व कौन हैं, उनका नेटवर्क कहां तक फैला है ... जैसे सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद की जा सकती है। इस प्रत्यर्पण से दुनिया में यह संदेश जाएगा कि भारत अपनी धरती पर हमला करने वालों को नहीं बख्शता है। भले ही इसमें कुछ समय लग जाए, लेकिन देश दृढ़ संकल्प के साथ अपनी लड़ाई लड़ता है। इस लड़ाई से लोगों में न्याय को लेकर भरोसा मजबूत होगा, भारत की छवि निश्चित रूप से मजबूत होगी। जब कसाब पर मुकदमा चलाया गया था, तब यह सुनिश्चित किया गया था कि उसकी हिरासत और मुकदमे की प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाए। तब सोशल मीडिया नहीं था, इसलिए कई बातें लोगों तक पहुंचने में काफी समय लगा। आज स्थिति बिल्कुल अलग है। अब तहव्वुर की करतूतों के सबूत पलक झपकते ही पूरी दुनिया तक पहुंच जाएंगे। इस प्रत्यर्पण से भारतीय एजेंसियों और सुरक्षा बलों को भविष्य में ऐसे हमलों को टालने में मदद मिल सकती है। आतंकवादियों के मंसूबे विफल करने के लिए जरूरी है कि उनके तौर-तरीकों, हथकंडों, हमलों के संचालन से जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी हमारे पास हो। इससे भविष्य में ज्यादा प्रभावी रणनीति बनाने और सुरक्षा संबंधी तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी। तहव्वुर से प्राप्त जानकारी का 'उचित स्तर' पर उपयोग करने से आतंकवादियों का जल्दी खात्मा होगा, उनकी हिम्मत पस्त होगी। भारत इस लड़ाई को आगे बढ़ाए, तहव्वुर राणा को उसके अंजाम तक पहुंचाए।About The Author
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