बेंगलूरु/दक्षिण भारत कर्नाटक में सत्ता का नाटक बुधवार को संपन्न होने की ओर अग्रसर तो है, लेकिन इस नाटक में भी अभी कई पेंच सामने आ रहे हैं। कांग्रेस बगैर किसी शर्त के जनता दल (एस) को समर्थन भले ही दे चुकी हो, लेकिन कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ सिपहसालार सरकार गठन से पूर्व अपने-अपने दावे ठोंक कर इस पूरे मामले का पेचिदा बनाए हुए हैं। मुख्य रुप से प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार जिन्होंने गत सप्ताह मतगणना के बाद दोनों दलों के विधायकों को एकजुट रखा व जिन्हें इस गठबंधन सरकार के गठन का ‘मैन ऑफ दी मैच’’ भी कहा जा रहा है, को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है के जनता दल (एस) के प्रदेशाध्यक्ष तथा इस गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार एचडी कुमारस्वामी के पिता और पार्टी के सुप्रीमो पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौ़डा से लोकसभा चुनाव हार चुके तथा उनके पुत्र व पुत्रवधू को परास्त कर चुके डीके शिवकुमार के इस परिवार (जदस)से संबंध अच्छे नहीं हैं। बावजूद इसके उन्होंने पार्टी आलाकमान का निर्णय स्वीकारते हुए पार्टीहित व देशहित में इस गठबंधन को स्वीकार किया। सूत्र बताते हैं देवगौ़डा प्रदेश के इस दिग्गज नेता व कांग्रेस आलाकमान के करीबी शिवकुमार को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का इशारा कांग्रेस नेतृत्व को कर चुके हैं। उधर स्वयं शिवकुमार को भी यह पता है कि वे नापसंद होने के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किए जाएंगे। यही नहीं, सूत्रों ने यहां तक बताया कि शिवकुमार ने अपनी इस सारी कसरत में सफलता के इनाम के रुप में उपमुख्यमंत्री पद तक की मांग रख डाली है। शिवकुमार के पास २५ विधायक हैं तथा सिद्दरामैया के पास भी इतने ही विधायकोंे के समर्थन की बात सामने आ रही है। ‘बिना शर्त समर्थन’’ का दांव कांग्रेस का यहां उसे ही सांसत में डालता दिख रहा है। यदि देवगौ़डा की बात पर आलाकमान गौर करेगा तो क्या ‘शिव’’ एक बार फिर से जनता दल (एस) से किए गठबंधन की भांति उपमुख्यमंत्री पद अथवा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का ‘क़डवा घूंट’’ पीएंगे? कांग्रेसी खेमे में डीके शिवकुमार के अलावा लगातार अपनी जीत का सत्ता लगाकर विधानसभा पहुंचे वरिष्ठ अल्पसंख्यक नेता व पूर्व मंत्री रोशन बेग के लिए भी उपमुख्यमंत्री पद की कुछ मुस्लिम संगठनों ने लॉबिंग की है, जिसे स्वयं रोशन बेग ने स्वीकारते हुए कहा है कि ‘क्यों नहीं, इसमें गलत ही क्या है?’’