मोदी ने ब्लॉग लिखकर खूब छोड़े शब्दबाण, कहा- कांग्रेस को आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास नहीं
मोदी ने ब्लॉग लिखकर खूब छोड़े शब्दबाण, कहा- कांग्रेस को आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास नहीं
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर कांग्रेस पर खूब शब्दबाण छोड़े हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश की और इस पार्टी को आंतरिक लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है। उन्होंने लिखा, ‘वह 2014 की गर्मियों के दिन थे, जब देशवासियों ने निर्णायक रूप से मत देकर अपना फैसला सुनाया। परिवारतंत्र को नहीं, लोकतंत्र को चुना। विनाश को नहीं, विकास को चुना।शिथिलता को नहीं, सुरक्षा को चुना। अवरोध को नहीं, अवसर को प्राथमिकता दी। वोटबैंक की राजनीति के ऊपर विकास की राजनीति को रखा।’
मोदी ने लिखा, ‘2014 में देशवासी इस बात से बेहद दुखी थे कि हम सबका प्यारा भारत आखिर फ्रेजाइल फाइव देशों में क्यों है? क्यों किसी सकारात्मक खबर की जगह सिर्फ भ्रष्टाचार, चहेतों को गलत फायदा पहुंचाने और भाई-भतीजावाद जैसी खबरें ही हेडलाइन बनती थीं। तब आम चुनाव में देशवासियों ने भ्रष्टाचार में डूबी उस सरकार से मुक्ति पाने और एक बेहतर भविष्य के लिए मतदान किया था।’मोदी ने लिखा, ‘वर्ष 2014 का जनादेश ऐतिहासिक था। भारत के इतिहास में पहली बार किसी गैर वंशवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था। जब कोई सरकार फैमिली फर्स्ट की बजाय इंडिया फर्स्ट की भावना के साथ चलती है तो यह उसके काम में भी दिखाई देता है। यह हमारी सरकार की नीतियों और कामकाज का ही असर है कि बीते पांच वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है।’
मोदी ने लिखा, ‘वंशवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियां कभी भी स्वतंत्र और निर्भीक पत्रकारिता के साथ सहज नहीं रही हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया सबसे पहला संवैधानिक संशोधन फ्री स्पीच पर रोक लगाने के लिए ही था। फ्री प्रेस की पहचान यही है कि वो सत्ता को सच का आईना दिखाए, लेकिन उसे अश्लील और असभ्य की पहचान देने की कोशिश की गई।’
मोदी ने लिखा, ‘यूपीए के शासनकाल में भी ऐसा ही देखने को मिला, जब वे एक ऐसा कानून लेकर आए, जिसके मुताबिक अगर आपने कुछ भी ‘अपमानजनक’ पोस्ट कर दिया तो आपको जेल में डाल दिया जाएगा। यूपीए के ताकतवर मंत्रियों के बेटे के खिलाफ एक ट्वीट भी निर्दोष आदमी को जेल में डाल सकता था। कुछ दिनों पहले ही देश ने उस डर के साये को भी देखा, जब कुछ युवाओं को कर्नाटक में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां कांग्रेस सत्ता में है। लेकिन, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि किसी भी तरह की धमकी से जमीनी हकीकत नहीं बदलने वाली है। अगर वे जबरदस्ती अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकने का प्रयास करेंगे, तब भी कांग्रेस को लेकर लोगों की धारणा नहीं बदलेगी।’
मोदी ने ‘संविधान और न्यायालय’ बिंदु में लिखा, ‘कांग्रेस के काम करने का तरीका एकदम साफ है – पहले नकारो, फिर अपमानित करो और इसके बाद धमकाओ। यदि कोई न्यायिक फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो वे इसे पहले नकारते हैं, फिर जज को बदनाम करते हैं और उसके बाद जज के खिलाफ महाभियोग लाने में जुट जाते हैं।’
उन्होंने लिखा, ’25 जून, 1975 की शाम जब सूरज अस्त हुआ, तो इसके साथ ही भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की भी तिलांजलि दे दी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा जल्दबाजी में दिए गए रेडियो संबोधन को सुनें तो स्पष्ट होता है कि कांग्रेस एक वंश की रक्षा करने के लिए किस हद तक जा सकती है। आपातकाल ने देश को रातों-रात जेल की कोठरी में तब्दील कर दिया। यहां तक कि कुछ बोलना भी अपराध हो गया। 42वें संविधान संशोधन के जरिए अदालतों पर अंकुश लगा दिया गया। साथ ही संसद और अन्य संस्थाओं को भी नहीं बख्शा गया।’
मोदी ने लिखा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपनी एक टिप्पणी में योजना आयोग को ए बंच ऑफ जोकर्स यानि जोकरों का समूह कहा था। उस समय योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह थे। उनकी इस टिप्पणी से साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस सरकारी संस्थाओं के प्रति किस प्रकार की सोच रखती है और कैसा सलूक करती है। यूपीए शासन के दौर को याद कीजिए, उस समय कांग्रेस ने कैग पर सिर्फ इसलिए सवाल उठाए थे, क्योंकि उसने कांग्रेस सरकार के 2जी घोटाला, कोयला घोटाला जैसे भ्रष्टाचार को उजागर किया था।’
मोदी ने लिखा, ‘कांग्रेस हमेशा से रक्षा क्षेत्र को कमाई के एक स्रोत के रूप में देखती आई है। यही कारण है कि हमारे सशस्त्र बलों को कभी भी कांग्रेस से वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। 1947 के बाद से ही, कांग्रेस की हर सरकार में तरह-तरह के रक्षा घोटाले होते रहे। घोटालों की इनकी शुरुआत जीप से हुई थी, जो तोप, पनडुब्बी और हेलिकॉप्टर तक पहुंच गई। इनमें हर बिचौलिया एक खास परिवार से जुड़ा रहा है।’ उन्होंने लिखा, ‘राजनीतिक दल उस जीवंत संस्था की तरह होते हैं, जहां भिन्न-भिन्न विचारों का सम्मान होता है। लेकिन दुख की बात है कि कांग्रेस का आंतरिक लोकतंत्र में कोई विश्वास ही नहीं है। अगर कोई नेता पार्टी अध्यक्ष बनने का सपना भी देखे, तो कांग्रेस में उसे फौरन बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।’