‘आज़ादी’ मांगने वाले कन्हैया को मोहल्ले के मतदाताओं ने ही नकार दिया, गिरिराज के खाते में बरसे वोट
‘आज़ादी’ मांगने वाले कन्हैया को मोहल्ले के मतदाताओं ने ही नकार दिया, गिरिराज के खाते में बरसे वोट
बेगूसराय/दक्षिण भारत। जेएनयू में ‘आजादी’ के नारों से सुर्खियों में आए और सोशल मीडिया में ‘टुकड़े-टुकड़े समूह’ के नाम से आलोचना के पात्र बने कन्हैया कुमार में वामपंथियों को भविष्य का नेता नजर आया, लेकिन चुनाव नतीजे बताते हैं कि बेगूसराय की जनता ने उन्हें भारी मतों से नकार दिया। यही नहीं, जिन कन्हैया कुमार को जिताने के लिए सीपीआई ने प्रचार में पूरा जोर लगा दिया, वे अपने मोहल्ले के वोट पाने में ही पीछे रह गए।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बेगूसराय से भाजपा के गिरिराज सिंह को 6 लाख 92 हजार 193 और कन्हैया कुमार को 2 लाख 69 हजार 976 वोट मिले। इस तरह यहां सीपीआई के ‘मिनी मास्को’ बनाकर इंकलाब लाने के सपने धूमिल हो गए। आखिर ऐसा क्या हुआ कि टीवी चैनलों की सुर्खियां पाने वाले कन्हैया कुमार अपने घर में ही वोट हासिल नहीं कर पाए? कन्हैया को जिताने के लिए उनके कॉलेज समय के कई मित्रों ने बेगूसराय में डेरा डाला, ‘सर्वहारा’ की जीत के सपने दिखाए, लेकिन जब नतीजे आए तो सीपीआई चारों खाने चित हो गई।बता दें कि कन्हैया के समर्थन में सीताराम येचुरी, जावेद अख्तर, प्रकाश राज, स्वरा भास्कर और शबाना आजमी जैसे चर्चित चेहरों ने प्रचार किया और सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया। आंकड़ों पर गौर करें तो वामपंथ का नारा लगाने वाले कन्हैया को अपने बूथ पर ही भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह से कम वोट मिले।
कोई कमाल नहीं दिखा पाए वामपंथी दिग्गज
बीहट मोहल्ले के बूथ पर कन्हैया कुमार राजग की ओर से मैदान में उतरे गिरिराज सिंह से पीछे रह गए। यहां वार्ड 15 के बूथ पर कन्हैया को 703 वोट मिले, वहीं गिरिराज सिंह 807 वोट पाने में कामयाब रहे। जिले में सीपीआई के दिग्गज नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए। उनके गांव सफापुर के बूथ 260 पर कन्हैया को सिर्फ 95 वोट मिले। दूसरी ओर गिरिराज सिंह के खाते में 610 वोट पड़े। यहां महागठबंधन के तनवीर हसन को 93 वोट से ही संतोष करना पड़ा।
सीपीआई पर भारी राजग
कुछ ऐसा ही हाल मटिहानी के 15 साल तक विधायक रहे राजेंद्र राजन के गांव गोदरगामा में बूथ 253 का रहा। यहां कन्हैया को 181, गिरिराज सिंह को 617 और तनवीर हसन को सिर्फ 62 वोट मिले। कन्हैया की जीत के लिए जोर लगाने वाले अन्य बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के बूथ की तस्वीर भी इससे अलग नहीं थी। यहां से गिरिराज सिंह ने जोरदार बढ़त ली।
अवधेश राय सीपीआई के ऐसे नेता रहे जिनके बूथ पर कन्हैया को सबसे ज्यादा 335 वोट मिले। वहीं, सीपीआई के राज्य परिषद सदस्य अनिल कुमार अंजान सिहमा अपने ही बूथ पर कन्हैया के पक्ष में कोई चमत्कार नहीं दिखा पाए। यहां बूथ 137 पर कन्हैया को सिर्फ 56 वोट मिले, जबकि गिरिराज सिंह को 304 और तनवीर हसन को 20 वोट मिले। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा है कि विवादित नारों के मामले ने भी कन्हैया कुमार की हार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
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