महाराष्ट्र: राउत बोले- हम अगले 25 साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं

महाराष्ट्र: राउत बोले- हम अगले 25 साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं

मुंबई/भाषा। महाराष्ट्र में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी राज्य में अगली सरकार का नेतृत्व करेगी और इसके गठन से पहले कांग्रेस और राकांपा के बीच जिस न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) पर काम किया जा रहा है वह ‘राज्य के हित’ में होगा।

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राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उद्धव ठाकरे नीत भगवा दल केवल पांच साल नहीं बल्कि ‘आगामी 25 साल’ तक महाराष्ट्र में सरकार का नेतृत्व करेगा। शुक्रवार को 58 वर्ष के हुए राज्यसभा सदस्य राउत से यह पूछा गया था कि क्या उनका दल तीन दलीय संभावित सरकार में अपने सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करेगा या नहीं, जिसके जवाब में उन्होंने यह टिप्पणी की।

राउत ने कहा, ऐसा न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ बातचीत की जा रही है जो राज्य और उसके लोगों के हित में हो। उन्होंने कहा, भले ही किसी एक दल की सरकार हो या गठबंधन हो, सरकार का कोई एजेंडा होना आवश्यक है। सूखा एवं बेमौसम बारिश (जैसी समस्याओं से निपटना है) और बुनियादी ढांचे संबंधी परियोजनाओं को आगे ले जाया जाना है।

राउत ने कहा, जो हमारे साथ जुड़ रहे हैं, वे अनुभवी प्रशासक हैं। हमें उनके अनुभव से लाभ होगा। अभी तक शिवसेना की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रही कांग्रेस के साथ गठबंधन के बारे में राउत ने कहा कि देश के सबसे पुराने दल के नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ महाराष्ट्र के विकास में योगदान दिया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या अगली व्यवस्था में शिवसेना बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद साझा करेगी, राउत ने कहा, हम अगले 25 साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं। शिवसेना राज्य का नेतृत्व करती रहेगी, भले ही कोई भी इसे रोकने की कोशिश करे। शिवसेना के नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के साथ उनकी पार्टी का संबंध अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी है। उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी पिछले 50 साल से राज्य की राजनीति में सक्रिय है।’

गौरतलब है कि बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना का गठन किया था। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस-राकांपा के साथ गठबंधन के बाद शिवसेना हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की अपनी मांग से पीछे हट जाएगी, राउत ने सीधा उत्तर नहीं देते हुए कहा, ‘हमें पता है कि इस प्रकार की अटकलों का स्रोत क्या है।’

राउत से जब पूछा गया कि (मीडिया में लगाई जा रही अटकलों के अनुसार) क्या राकांपा और शिवसेना को 14-14 और कांग्रेस को 12 पोर्टफोलियो देने का फॉर्मूला तैयार किया गया है, तो उन्होंने तीनों दलों के बीच प्रस्तावित गठबंधन व्यवस्था की जानकारी देने से इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘आप सत्ता के बंटवारे की चिंता नहीं करें। (शिवसेना प्रमुख) उद्धवजी निर्णय लेने में सक्षम हैं।’ राउत ने जब पूछा गया कि हिंदुत्व राजनीति के लिए और ‘कांग्रेस विरोधी’ के तौर पर जाना जाने वाला उनका दल कांग्रेस जैसे अलग विचारधारा वाले साझीदार के साथ कैसे तालमेल बैठा पाएगा, उन्होंने कहा, ‘विचारधारा क्या है? हम राज्य के कल्याण के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘(भाजपा नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत साथ आए दलों के गठबंधन का नेतृत्व किया। महाराष्ट्र में शरद पवार ने (1978-80 में) प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार का नेतृत्व किया जिसमें भाजपा का पूर्ववर्ती अवतार जनसंघ भी शामिल था।’ शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन के प्रयासों को उचित ठहराते हुए कहा, ‘इससे पहले भी ऐसे उदाहरण रहे हैं जब अलग-अलग विचारधाराओं के दल एक साथ आए।’

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उनके तमाम प्रयासों के बावजूद मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में राज्य में स्थिर सरकार का गठन असंभव है। इसके बाद मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

राज्य में 21 अक्टूबर को 288 सीटों के लिए हुआ विधानसभा चुनाव भाजपा-शिवसेना ने मिलकर लड़ा था और दोनों को क्रमश: 105 और 56 सीटें हासिल हुई थीं। दोनों दलों को मिली सीटें बहुमत के लिए जरूरी 145 के आंकड़े से ज्यादा थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री पद साझा करने की मांग पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई जिसके कारण राज्य में गतिरोध बरकरार रहा।

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