घबराएं नहीं, जागरूक रहें

अपुष्ट वीडियो के बजाय सिर्फ स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय पर विश्वास करना चाहिए

घबराएं नहीं, जागरूक रहें

वायरस के संक्रमण के दौरान सही जानकारी का प्रसार करना भी उसकी रोकथाम में मददगार होता है

चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के मामले सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे विभिन्न कयासों से लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का बयान कि 'एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है और देश में किसी भी सामान्य श्वसन वायरस रोगजनक में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है', निश्चित रूप से भरोसा मजबूत करेगा। भारत के पास कोरोना महामारी से लड़ने और जीतने का अनुभव भी है। वहीं, इस बार सरकार ज्यादा सतर्क है और चीन की स्थिति पर उसकी कड़ी नजर है। अन्य देशों की सरकारें भी चीन के हालात की अनदेखी नहीं करेंगी। खुद चीन बहुत सतर्क है। वहां से आ रहीं खबरों में अभी तक ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है, जिससे किसी बड़े खतरे की आशंकाओं को बल मिले। हालांकि चीन में मीडिया पर काफी प्रतिबंध हैं। इसके बावजूद, जब कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने लगे थे तो चीनी सरकार ज्यादा समय तक खबर को दबाकर नहीं रख सकी थी। चीन में कई भारतीय नागरिक पढ़ाई और रोजगार के मकसद से रहते हैं। जब साल 2020 की शुरुआत में वहां कोरोना संक्रमण के कारण हालात बिगड़ने लगे थे तो उन लोगों ने भारत में रहने वाले अपने परिजन को हकीकत बयान कर दी थी। इस बार तस्वीर अलग है। चीन में वर्षों से रहने वाले ये लोग बताते हैं कि जब सर्दियों का मौसम आता है तो वहां श्वसन संबंधी कुछ रोग उभरते ही हैं। चीन आबादी (जिसमें अब बुजुर्गों की काफी तादाद है) और क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा देश है। उसके कुछ इलाकों में तापमान बहुत नीचे चला जाता है। हर साल सर्दियों में वहां स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती ही हैं। जैसे-जैसे गर्मियों का मौसम आता है, ये रोग दूर हो जाते हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर वायरल कथित दावों और अपुष्ट वीडियो के बजाय सिर्फ स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय पर विश्वास करना चाहिए।

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भारत में भी सर्दियों के मौसम में लोगों को खांसी-जुकाम जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। जिनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, वे शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं। कई लोग चिकित्सा सहायता लेते हैं। वे हफ्तेभर में ठीक हो जाते हैं। अगर लोग प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली अपनाएं, नियमित रूप से योग-प्राणायाम आदि करें, स्वच्छता का ध्यान रखें, भीड़भाड़ वाले इलाकों में अनावश्यक न जाएं, सात्विक भोजन करें, (चिकित्सक की सलाह पर) उन चीजों का सेवन करें, जिनसे रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो, सर्दी के पहनावे का ध्यान रखें तो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से सुरक्षित रह सकते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव के इन शब्दों पर ध्यान देना चाहिए कि 'लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि एचएमपीवी साल 2001 से ही विश्व स्तर पर मौजूद है।' दूसरी ओर कुछ लोगों द्वारा 'लाइक और शेयर' के लालच में सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत सामग्री पोस्ट करने का सिलसिला नहीं रुका है। इन प्लेटफॉर्म को तो ऐसी सामग्री को लेकर बहुत सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इससे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अपुष्ट और आधारहीन सामग्री तेजी से प्रसारित होती है। इसे लोग प्रामाणिकता की जांच किए बिना एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में तेजी से शेयर कर देते हैं। जब तक हकीकत सामने आती है, फर्जी सामग्री का 'काम' पूरा हो जाता है। खासकर उद्योग जगत पर इसका बहुत नकारात्मक प्रभाव होता है। पूर्व में कई कंपनियों को इस वजह से भारी घाटा हो चुका है, क्योंकि उनके बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी दावे किए गए थे। इसके मद्देनज़र जागरूकता पैदा करने वाली सामग्री, जैसे- 'साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को नहीं छूना, रोग के लक्षण वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना और खांसते एवं छींकते समय मुंह एवं नाक को ढकना', को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। किसी वायरस के संक्रमण के दौरान सही जानकारी का प्रसार करना भी उसकी रोकथाम में मददगार होता है।

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