‘शब्द’ की नई द्विवार्षिक कार्यकारिणी समिति का गठन

पुरानी कार्य समिति के उपलब्धिपूर्ण कार्यकाल की प्रशंसा की गई

‘शब्द’ की नई द्विवार्षिक कार्यकारिणी समिति का गठन

वर्ष 2024 के आय-व्यय को ध्वनिमत से अनुमोदित किया गया

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। दक्षिण की प्रसिद्ध साहित्य संस्था ‘शब्द’ ने वर्ष 2025-2026 के लिए अपनी नयी कार्य समिति की घोषणा की है । ‘शब्द’ के सलाहकार एवं ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ अखबार समूह के प्रधान संपादक श्रीकांत पाराशर की अध्यक्षता में रविवार को संपन्न शब्द की साधारण सभा में पुरानी कार्य समिति के उपलब्धिपूर्ण कार्यकाल की प्रशंसा की गयी। तदनंतर कोषाध्यक्ष राजेंद्र गोलेच्छा द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2024 के आय-व्यय को ध्वनिमत से अनुमोदित किया गया। 

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संस्था के अध्यक्ष डॉ. श्रीनारायण समीर ने करतल ध्वनि के बीच नयी कार्यसमिति की घोषणा की। पुनर्गठित कार्यसमिति का कार्यकाल अगले दो वर्षों के लिए प्रभावी होगा। कार्यसमिति में ‘शब्द’ की संस्थापक सरोजा व्यास संरक्षक हैं तथा श्रीकांत पाराशर सलाहकार हैं। डॉ श्रीनारायण समीर की अध्यक्षता में पुनर्गठित कार्य समिति में नलिनी पोपट तथा डॉ उषारानी राव क्रमशः कार्यकारी अध्यक्ष और सचिव का कार्यभार पूर्ववत संभालती रहेंगी। 

डॉ. मैथिली पी राव संयुक्त सचिव बनायी गई हैं और युवा कवि दीपक सोपोरी को संगठन सचिव बनाया गया है। श्रीकांत शर्मा कार्यक्रम संयोजक बने रहेंगे जबकि राजेन्द्र गुलेच्छा कोषाध्यक्ष का दायित्व संभालेंगे। विद्या कृष्णा, बाबूलाल गुप्ता, आनंदमोहन झा, मथुरा कलौनी, बिंदु रायसोनी, हंसराज मुणोत, कविता भट्ट, लोकेश कुमार मिश्र और ऋताशेखर मधु कार्य समिति के सदस्य बनाए गए हैं। कार्यसमिति में दो से तीन सदस्यों का मनोनयन बाद में होगा।

सांगठनिक औपचारिकता के पश्चात ‘शब्द’ की रचना गोष्ठी कार्यकारी अध्यक्ष नलिनी पोपट की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें मुख्य अतिथि थे नौवें दशक के चर्चित कवि संजय कुंदन। गोष्ठी में पहले ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ से सम्मानित कवि मदन कश्यप तथा कथालोचक अरविन्द कुमार की भागीदारी भी महत्त्वपूर्ण थी। 

वरिष्ठ कवि अनिल विभाकर, विद्या कृष्णा, दीपक सोपोरी, रचना उनियाल, वरुण सिंह तन्हा, ऋताशेखर मधु, राजेन्द्र गुलेच्छा, श्रीकांत शर्मा, लोकेश मिश्र, अचला प्रवीन, स्नेही चौबे, संतोष दिवाकर, रमाकांत गुप्ता आदि के काव्य पाठ को श्रोताओं ने खूब पसंद किया। मदन कश्यप ने कविता में व्यंग्य के लिए करुणा की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि व्यंग्य कविता को करुणा श्रेष्ठ बनाती है, जबकि करुणा हीन व्यंग्य क्रूर हो जाता है। उन्होंने अपनी ‘दूर तक चुप्पी’ कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि संजय कुंदन का काव्यपाठ यादगार रहा। कार्यक्रम का संचालन ‘शब्द’ के अध्यक्ष श्रीनारायण समीर ने किया और विद्या कृष्णा ने धन्यवाद ज्ञापन की रस्मअदायगी की।

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