नयी शिक्षा नीति में होगा प्राचीन ज्ञान का भी समावेश : जावड़ेकर
नयी शिक्षा नीति में होगा प्राचीन ज्ञान का भी समावेश : जावड़ेकर
उज्जैन/वार्तासरकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव करके नयी शिक्षा नीति में आधुनिक एवं प्राचीन शिक्षा का समावेश करेगी।केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जाव़डेकर ने आज यहां विराट गुरुकुल सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति दो माह के अंदर आ जाएगी जिसमें देश के प्राचीन ज्ञान एवं विज्ञान का समावेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ११वीं एवं १२वीं कक्षा में वैकल्पिक विषय ’’भारत बोध’’ शुरू करेगी जिसमें वेद सहित देश में वास्तुकला आदि प्राचीन ज्ञान को सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों पर शिक्षा का बोझ कम करने के लिए नयी शिक्षा नीति को लेकर जनता से वेबसाइट पर सुझाव मांगे गये थे और अब तक ३४ हजार से अधिक सुझाव आ चुके हैं। अभिभावकों से पूछा गया था कि कौन से अध्याय हटाये जायें और कौन से रखे जाएं। उन्होंने कहा कि नये पाठ्यक्रम में मूल्यपरक शिक्षा, जीवन मूल्य, कौशल विकास एवं शारीरिक शिक्षा को स्थान दिया जाएगा। जाव़डेकर ने कहा कि उनका मकसद शिक्षा को सार्थक बनाना है। आज की शिक्षा इनपुट आधारित है जिसे वे बदलना चाहते हैं। शिक्षा का उद्देश्य अच्छे मनुष्य का निर्माण है ना कि डाटा बैंक या सूचना भंडार बनाना।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी घोषणा की कि उनकी सरकार समाज में संस्कारों, जीवन दर्शन, परंपराओं सहित गुरुकुल शिक्षा के सारे आयाम को शिक्षा प्रणाली में समाहित करेगी और तीन दिन के इस विचार मंथन कार्यक्रम के निष्कर्ष को लागू करेगी। उन्होंने गुरुकुल शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा में समाहित करेगी औैर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से संबद्ध करने का प्रयास करेगी। उन्होंने शिक्षकों की योग्यता की जरूरत को भी रेखांकित किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत थे। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में केन्द्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचन्द गेहलोत, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह, मध्यप्रदेश के संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेन्द्र पटवा और सांसद सत्यनारायण जटिया और डॉ चिंतामणि मालवीय, स्वामी संवित सोमगिरि, आचार्य गोविन्ददेव गिरि, स्वामी राजकुमार दास उपस्थित थे।सम्मेलन में विविध गुरूकुलों द्वारा मंचीय प्रस्तुतियां दीं गयीं। इनमें गुरूकुल में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं ने जो सीखा है, उन कलाओं का प्रदर्शन किया गया। इनमें प्रमुख रूप से वेद पठन, संस्कृत पठन, संस्कृत नाटिका आदि प्रस्तुत किये गए। सम्मेलन में गुरूकुल प्रदर्शनी भी लगाई गयी है।