नहीं मिला न्याय; राखी ने तोड़ी अपने ‘जीवन की डोर’!

नहीं मिला न्याय; राखी ने तोड़ी अपने ‘जीवन की डोर’!

मथुरा। क्या देश और प्रदेश की कानून व्यवस्थाएं इतनी लचर हैं कि न्याय की आस में किसी भी पीड़ित परिवार के सदस्य को इंसाफ न मिलने के कारण खुदकूशी करने जैसा कदम उठाना पड़ जाए?

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जी हां, सिस्टम और जिंदगी से हारकर आत्महत्या करने का एक मामला यहां सामने आया है। शहर की एक बेटी ने अपने परिवार पर हुए जुल्म व मां की हत्या के आरोपियों के खिलाफ पुलिस-प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर अपनी इललीला ही समाप्त कर ली।

जानकारी के मुताबिक मथुरा की अमर कॉलोनी में रहने वाले बनवारी लाल के घर पर इसी साल 8 मार्च को कुछ बदमाशों ने घुसकर पहले लूटपाट की फिर उनकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया। अपनी पत्नी व तीन बच्चों के साथ रहने वाले बनवारी लाल को पुलिस द्वारा हत्याकांड का मामला दर्ज कर कार्रवाई के ही आश्‍वासन दिए जाते रहे। यहां तक बताया जा रहा है कि खुलासे के तमाम दबावों के बावजूद भी पुलिस ने इस मामले में शामिल आरोपितों को खोजने में अपनी संदिग्ध भूमिका दिखलाई।

न्याय की आस में बैठे बनवारीलाल का जब सब्र का बांध टूटने लगा तो अपनी पुत्री राखी सहित वे 15 मई को धरने पर बैठ गए, कई सामाजिक संगठनों के लोगों की सहभागिता से पुलिस पर एकबारगी फिर दबाव बढ़ा लेकिन कार्रवाई का आश्‍वासन दे धरना उठवा दिया गया। बावजूद इसके कार्रवाई में जब कुछ नहीं निकला तो अक्टूबर में राखी ने ऐसे सिस्टम और जिंदगी से हारकर आत्महत्या ही कर ली।

राखी की मौत के बाद प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान उठ रहे हैं वहीं राज्य सरकार भी डिफेंसिव मूड में दिखने लगी है। ऐसे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अनेक विपक्षी दलों के नेताओं ने राखी की मौत पर संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार के दावों को घेरते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार लोगों को न्याय के अभाव में आत्महत्या करनी पड़ रही है। भाजपा पर सीधे-सीधे निशाना साधते हुए व दोषारोपण करते हुए अखिलेश ने कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा सत्ता पर काबिज हुई।

उधर चौतरफा आलोचनाओं से घिरी प्रदेश सरकार ने मामले में कार्रवाई करते हुए मथुरा के एसएचओ (हाइवे) को निलंबित कर दिया है। राज्य के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी राखी के परिवार को पांच लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है।

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