कलंक और शर्म की बात है कासगंज में हुई हिंसा : नाईक

कलंक और शर्म की बात है कासगंज में हुई हिंसा : नाईक

लखनऊ/कासगंज। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने गणतंत्र दिवस पर कासगंज में दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झ़डप को ’’कलंक’’ और शर्मनाक करार देते हुए सोमवार को कहा कि मामले में सरकार को और गहराई से जांच करनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा, कासगंज में जो भी हुआ, वह किसी को शोभा नहीं देता है। किसने शुरुआत की और किसने बाद में जवाब दिया, यह बात तो जांच में बाहर आएगी, लेकिन निश्चित तौर पर कासगंज में जो भी घटनाएं हुईं वे उत्तर प्रदेश के लिए कलंक हैं। सरकार इसकी जांच कर रही है और इसमें क़डा से क़डा रुख अपनाया जाना चाहिए।उन्होंने कहा, ऐसे लोग जो माहौल को खराब करते हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए कम है। मैं चाहता हूं कि सरकार और गहराई से जांच करे। पिछले आठ नौ-माह के दौरान प्रदेश में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई थी। यह (कासगंज की घटना) हम सब के लिए शर्म की बात है। मैं आशा करता हूं कि ऐसे कदम उठाए जाएंगे कि उत्तर प्रदेश में फिर कभी ऐसे दंगे नहीं हों। मालूम हो कि गणतंत्र दिवस पर कासगंज शहर में कथित रूप से आपत्तिजनक नारों को लेकर दो समुदायों के बीच पथराव और गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गई थी तथा कुछ अन्य घायल हो गए थे। घटना के बाद से शहर में रह-रहकर हिंसक वारदात हुईं। मामले में अब तक ११२ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने घटना को साजिश का नतीजा बताते हुए इसकी जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से कराने की मांग की। उन्होंने कासगंज की हिंसा को पूरी तरह प्रदेश सरकार की नाकामी करार दिया। कासगंज हिंसा को लेकर विपक्ष के निशाने पर आई प्रदेश की भाजपा सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष ने हमेशा तुष्टीकरण का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि सपा के शासनकाल में एक जाति विशेष के लिए ही नौकरियां बनती थीं। धर्म विशेष के लोगों पर मुकदमे नहीं दर्ज होते थे। बसपा ने भी कोई अलग परिचय नहीं दिया। सपा बसपा जब भाजपा सरकार पर उंगली उठाते हैं तो उनकी बाकी की उंगलियां उनकी तरफ ही इशारा करती हैं।

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