राम मंदिर ‘भूमि पूजन’ से पहले सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दे रहीं अयोध्या की मस्जिदें

राम मंदिर ‘भूमि पूजन’ से पहले सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दे रहीं अयोध्या की मस्जिदें

अयोध्या/भाषा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को निर्धारित ‘भूमि पूजन’ में कुछ ही दिन शेष रहने के बीच, राम जन्मभूमि परिसर से सटी मस्जिदें हिंदू एवं मुस्लिमों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश दे रही हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए सौंपी गई 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर के करीब आठ मस्जिदें और दो मकबरे स्थित हैं।

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स्थानीय हिंदुओं की तरफ से बिना किसी आपत्ति के इन मस्जिदों में अजान और नमाज पढ़ी जाती हैं और मकबरों में वार्षिक ‘उर्स’ का आयोजन किया जाता है। राम जन्मभूमि परिसर के पास स्थित आठ मस्जिदें- मस्जिद दोराहीकुआं, मस्जिद माली मंदिर के बगल, मस्जिद काज़ियाना अच्छन के बगल, मस्जिद इमामबाड़ा, मस्जिद रियाज के बगल, मस्जिद बदर पांजीटोला, मस्जिद मदार शाह और मस्जिद तेहरीबाजार जोगियों की हैं।

दो मकबरों के नाम खानकाहे मुजफ्फरिया और इमामबाड़ा हैं। राम कोट वार्ड के पार्षद हाजी असद अहमद ने कहा, ‘यह अयोध्या की महानता है कि राम मंदिर के आस-पास स्थित मस्जिदें पूरे विश्व को सद्भाव का मजबूत संदेश दे रही हैं।’ राम जन्मभूमि परिसर अहमद के वार्ड में स्थित है। पार्षद ने कहा, ‘मुस्लिम बारावफात का ‘जुलूस’ निकालते हैं जो राम जन्मभूमि की परिधि से होकर गुजरता है। मुस्लिमों के सभी कार्यक्रमों एवं रस्मों का उनके साथी नागरिक सम्मान करते हैं।’

राम जन्मभूमि परिसर के पास मस्जिदों की मौजूदगी के बारे में टिप्पणी करने के लिए कहने पर, मंदिर के मुख्य पुजारी, आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, ‘हमारा विवाद बस उस ढांचे से था जो बाबर (मुगल शासक) के नाम से जुड़ा था। हमें अयोध्या में अन्य मस्जिदों एवं मकबरों से कोई दिक्कत कभी नहीं रही। यह वह नगरी है जहां हिंदू-मुस्लिम शांति से रहते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम नमाज पढ़ते हैं, हम अपनी पूजा करते हैं। राम जन्मभूमि परिसर से सटी मस्जिदें अयोध्या के सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करेंगी और शांति कायम रहेगी।’ दास ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों ने राम जन्मभूमि पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार किया है और कहा ‘हमारा एक-दूसरे से कोई विवाद नहीं है।’

500 साल पुराने खानकाहे मुजफ्फरिया मकबरे के ‘सज्जादा नशीं’ और ‘पीर’, सैयद अखलाक अहमद लतीफी ने कहा कि अयोध्या के मुस्लिक सभी धार्मिक रस्में स्वतंत्र होकर निभाते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम खानकाह में मस्जिद में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और सालाना ‘उर्स’ का आयोजन करते हैं।’

राम जन्मभूमि परिसर से सटे सरयू कुंज मंदिर के मुख्य पुजारी, महंत युगल किशोर शरण शास्त्री ने कहा, ‘कितना बेहतरीन नजारा होगा- एक भव्य राम मंदिर जिसके इर्द-गिर्द छोटी मस्जिदें और मकबरे होंगे और हर कोई अपने धर्म के हिसाब से प्रार्थना करेगा। यह भारत की वास्तविक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करेगा।’

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