सफर को सुहाना बनाते ‘नम्मा मेट्रो’ का सातवें साल में प्रवेश

सफर को सुहाना बनाते ‘नम्मा मेट्रो’ का सातवें साल में प्रवेश

बेंगलूरु। नम्मा मेट्रो ने गुरुवार को सात वर्ष पूरे कर लिए। बेंगलूरु में सार्वजनिक परिवहन की सेवाओं में तेजी लाने और आधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वसनीय एवं पर्यावरणहितैषी परिवहन सेवा मुहैया कराने के मकसद से वर्ष-२००३ में मेट्रो की परिकल्पना की गई थी। हालांकि कई प्रकार की चुनौतियों को झेलते हुए अंततः २० अक्टूबर २०११ को पहली बार बेंगलूरु में एमजी रोड से बायप्पनहल्ली के बीच ६.७ किलोमीटर के लिए मेट्रो परिचालन आरंभ हुआ था। सात वर्ष पूर्व बेंगलूरु दक्षिण भारत का पहला शहर बना था जहां सार्वजनिक परिवहन में मेट्रो की सेवाएं शुरु हुई थीं और मौजूदा समय में ४२.३ किलोमीटर में मेट्रो का परिचालन हो रहा है। ट्रैफिक की बदहाल स्थिति से जूझते बेंगलूरु में मेट्रो ने दैनिक यात्रियों को ब़डी राहत दी है और फिलहाल औसत ३.५ लाख यात्री रोजाना नम्मा मेट्रो में सफर कर रहे हैं। हालांकि नम्मा मेट्रो की लोकप्रियता के साथ ही हर दिन नई चुनौतियां भी बढ रही हैं। जैसे जैसे यात्रियों के बीच मेट्रो लोकप्रिय हो रहा है वैसे वैसे यात्री दबाव बढता जा रहा है। फिलहाल मात्र तीन कोचों वाली मेट्रो ट्रेनों में कोचों की संख्या बढानी पहली चुनौती है। बेंगलूरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लि. (बीएमआरसीएल) के अनुसार दिसम्बर-२०१७ से मेट्रो कोचों की संख्या हर ट्रेन में तीन से बढाकर छह करने की प्रक्रिया शुरु की जाएगी और दिसम्बर-२०१९ तक सभी ५० मेट्रो ट्रेनों में कोचों की संख्या छह हो जाएगी। ड्डर्ष्ठैंज्-ु ·र्ष्ठैं द्धय्ख्र ख्रफ् यय्क्व द्भय्ॠर्‍ द्यह्ज्द्मय् ·र्ैंद्यष्ठ्रख्ष्ठ फ्र्ड्डैंद्यबेंगलूरुवासियों के बीच निरंतर लोकप्रिय हो रही नम्मा मेट्रो के दूसरे और तीसरे फेज के विस्तार की योजनाएं भी बना ली गई हैं जिसके तहत दूसरे फेज में ७२.३ किलोमीटर की मेट्रो लाइन बननी है। इसके अतिरिक्त इसी चरण में करीब १८ किलोमीटर का सिल्क बोर्ड-केआरपुरम खंड भी बनना है। वहीं बाद में मेट्रो का विस्तार नागवारा से केम्पेगौ़डा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे तक होना है। दरअसल मेट्रो फेज-१ की निर्माण अवधि में हुई देरी, व्यवहार्यता पर बहस और बेंगलूरु में चट्टानी जमीन को चीर को सुरंग बनाने की चली लंबी ल़डाई ने बीएमआरसीएल को काफी अनुभव दिया है जिससे उम्मीद है कि चुनौतियों भरे अनुभव का लाभ मेट्रो फेज-२ और अन्य चरणों के निर्माण में मिलेगा। मेट्रो-२ का निर्माण वर्ष-२०२० तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गय है जिसमें वर्ष-२०१९ के अंत तक मौजूदा पर्पल लाइन के मैसूरु रोड-केंगेरी खंड और येलचलहल्ली-अंजनापुरा टाउनशिप खंड का विस्तार पूरा हो जाएगा। अनुमानतः मेट्रो फेज-२ के निर्माण के बाद नम्मा मेट्रो में सफर करने वाले औसत यात्रियों की रोजाना संख्या १० लाख को पार कर जाएगी। झ्य्ैंघ् ·र्ैंद्यह्ठ्ठणक्क ·र्ष्ठैं झ्य्द्य झ्ब्रुैंघ्र्‍ प्य्यप्तश्च·र्ैं द्भय्ॠर्‍ फ्ैंद्भय् मौजूदा समय में दिल्ली के बाद बेंगलूरु देश का दूसरा सबसे ब़डा मेट्रो नेटवर्क वाला शहर है जबकि दक्षिण भारत का पहला शहर है जहां एलीवेटेड के साथ ही भूमिगत मेट्रो का परिचालन हो रहा है। पिछले सात वर्षों के दौरान नम्मा मेट्रो यात्रियों की औसत सालाना संख्या भी आशानुरूप बढी है। जहां वर्ष-२०११ में मात्र ४१,६५,७११ लोगों ने मेट्रो में सफर किया था, वहीं मेट्रो फेज-१ के विस्तार होते खंडों के साथ ही वर्ष-२०१६ में ५,४१,५४,८०२ यात्रियों ने मेट्रो में सफर किया। वहीं माना जा रहा है कि वर्ष-२०१७ के समापन पर यात्रियों की वार्षिक संख्या छह करो़ड को पार कर सकती है। द्बष्ठट्टुह् ·र्ष्ठैं फ्द्बूय् ·र्ैंंश्च घ्रुद्मह्र्यत्रद्भय्ैंसात वर्ष पूर्ण कर चुके नम्मा मेट्रो के साथ कई चुनौतियां आज भी जस की तस बनी हैं जो शुरुआत के समय थीं। मसलन यात्रियों को अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के लिए उचित विकल्प का अभाव है। इसी प्रकार अन्य सार्वजनिक परिवहन साधनों जैसे बीएमटीसी बसें और रेलवे के साथ बेहतर जु़डाव नहीं होने के कारण यात्रियों को बहुवैकल्पिक परिवहन सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। इन सबके अतिरिक्त मेट्रो निर्माण की लेटलतीफी एक ब़डी चिंता है। मेट्रो फेज-१ की भांति ही फेज-२ का काम भी अगर समयबद्ध तरीके से पूरा नहीं होता है इससे न सिर्फ निर्माण लागत में वृद्धि होगी बल्कि आम शहरवासियों की परेशानी भी बढेगी।

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