वीरशैव मठों के महंतों ने की सिद्दरामैया से मुलाकात

वीरशैव मठों के महंतों ने की सिद्दरामैया से मुलाकात

बेंगलूरु। वीरशैव समुदाय के सभी धार्मिक मठों के महंतों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्दरामैया से उनके कार्यालय आवास ’’कृष्णा’’ में मुलाकात की। इन महंतों ने कहा कि लिंगायत समुदाय को वीरशैवों से अलग धर्म मानकर उन्हें कानूनन अल्पसंख्यकों का दर्जा देना गलत होगा। चंद्रशेखर शिवाचार्य स्वामीजी की अगुवाई में मुख्यमंत्री से मिले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार को इस विषय में कोई सिफारिश या प्रस्ताव न भेजें, जिससे वीरशैव और लिंगायत दो अलग-अलग धर्म मान लिए जाएं। राज्य के इन दोनों समुदायों को बांटने के प्रस्ताव का शुरू से ही तीखा विरोध होता रहा है। चूंकि इस विषय में एक प्रस्ताव राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही राज्य सरकार के विचारार्थ रखा गया था, इसलिए इस पर राजनीतिक लिहाज से विचार किए जाने के आरोप भी लगाए गए हैं। राज्य के वीरशैव मठों के महंतों ने ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ पूरे कर्नाटक में तीव्र आंदोलन छे़डने की चेतावनी दे रखी है। उल्लेखनीय है कि वीरशैव और लिंगायत समुदायों को दो अलग-अलग धर्म मानने की मांग पर विचार करने के लिए राज्य सरकार ने एक समिति गठित की थी। इस समिति ने राज्य सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में वीरशैव और लिंगायत समुदायों को दो अलग धर्मों के रूप में मान्यता देने की सिफारिश कर दी है। हाल में अपनी बैठक के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्यों ने इस सिफारिश को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। हालांकि इसी पर विचार करने के लिए बुधवार को भी मंत्रिमंडल की एक और बैठक प्रस्तावित थी, लेकिन सभी सदस्यों की एक राय न बन पाने से बैठक टाल दी गई। वहीं, माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी मुख्यमंत्री सिद्दरामैया से कहा है कि वह इस विषय में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें और शीर्ष पार्टी नेतृत्व को इससे जु़डे घटनाक्रमों के बारे में सतत जानकारी देते रहें।उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री और जनता दल (एस) के वरिष्ठ नेता बसवराज होर्रट्टी उन लोगों की अगुवाई कर रहे हैं, जो वीरशैव और लिंगायत समुदायों को अलग-अलग धर्मों का दर्जा देने और लिंगायत समुदाय को कर्नाटक में अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी में शामिल करने के पक्ष में हैं। उन्होंने लिंगायत नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येड्डीयुरप्पा से भी अपनी मांग का समर्थन करने का आग्रह किया था लेकिन येड्डीयुरप्पा ने इस मांग का तीव्र विरोध किया है। इस पर होर्रट्टी ने उनसे इस बात के सबूत मांग लिए कि वीरशैव और लिंगायत समुदाय एक ही धर्म हैं और इन्हें अलग-अलग धर्म मानने से समाज के हितों पर बुरा असर प़डेगा। इसके साथ ही होर्रट्टी ने येड्डीयुरप्पा और भाजपा पर इस मुद्दे का चुनावी फायदा उठाने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि यह मसला एक वर्ष पहले उठाया गया था। उस समय येड्डीयुरप्पा या भाजपा के अन्य नेताओं ने इसके विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा। वह अब इस मुद्दे पर राज्य सरकार का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह इसका चुनावी फायदा उठाना चाहते हैं।

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