'अग्निपथ' योजना को तुरंत वापस ले सरकार: स्टालिन

'अग्निपथ' योजना को तुरंत वापस ले सरकार: स्टालिन

स्टालिन ने कहा, मैं केंद्र सरकार से अग्निपथ योजना को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं


चेन्नई/दक्षिण भारत। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से 'राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में' अग्निपथ योजना को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है।

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रक्षा सेवाओं में भर्ती की इस योजना खिलाफ युवाओं के विरोध का उल्लेख करते हुए स्टालिन ने कहा, मैं केंद्र सरकार से अग्निपथ योजना को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं, जो लाखों युवाओं की रक्षा सेवा महत्वाकांक्षा को नष्ट करती है।

स्टालिन ने इस संबंध में जारी बयान में सेना के कुछ दिग्गजों को यह कहते हुए उद्धृत किया कि चार साल के लिए अनुबंध के आधार पर भर्ती किए गए सैनिक से बलिदान की उम्मीद नहीं की जा सकती है। स्टालिन ने कहा, राजनीतिक दलों के अलावा, अनुभवी अधिकारी जिन्होंने कई वर्षों तक सशस्त्र बलों में सेवा की है, का कहना है कि सैन्य सेवा अंशकालिक नौकरी नहीं है और इस तरह की (अग्निपथ) भर्ती सेना में नियंत्रण को नष्ट कर देगी।

केंद्र सरकार से योजना को वापस लेने की मांग करने से पहले मुख्यमंत्री ने कहा, उन्होंने (अधिकारियों ने) योजना के खतरों के बारे में बताया और इसका विरोध किया।

'मेकेदाटु बांध के निर्माण की अनुमति नहीं देंगे'
इसी तरह, मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार कावेरी नदी पर मेकेदाटु बांध के निर्माण की अनुमति नहीं देगी और तमिलनाडु के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई उच्चतम न्यायालय में जारी रहेगी।

स्टालिन ने यह भी घोषणा की कि सिंचाई मंत्री दुरईमुरुगन जल्द ही राज्य विधायक दल के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जो लोगों के 'आक्रोश' को केंद्र सरकार तक पहुंचाएगा।

स्टालिन ने इस संबंध में जारी एक विस्तृत बयान में कहा, तमिलनाडु मेकेदाटु बांध के निर्माण की अनुमति नहीं देगा। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करना गलत है। उच्चतम न्यायालय में तमिलनाडु की कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। तमिलनाडु सरकार कावेरी नदी पर राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष करेगी।

तंजावुर में सीडब्ल्यूएमए के अध्यक्ष एसके हलदर के हालिया बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कि प्राधिकरण अपनी आगामी बैठक में मेकेदाटु परियोजना रिपोर्ट पर चर्चा करेगा, स्टालिन ने जानना चाहा कि क्या उन्हें (प्राधिकरण) एकतरफा निर्णय लेने का अधिकार है।

उन्होंने कहा, सीडब्ल्यूएमए के पास सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मुद्दे पर चर्चा करने का अधिकार नहीं है। प्राधिकरण अध्यक्ष की ओर से यह (प्राधिकरण की सीमाएं) जानने के बावजूद ऐसा बयान देना गैर-कानूनी है।

स्टालिन ने घोषणा की कि यह निर्णय लिया गया है कि सिंचाई मंत्री दुरईमुरुगन के नेतृत्व में राज्य विधायक दल के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल केंद्र सरकार को तमिलनाडु के लोगों के 'आक्रोश' से अवगत कराने के लिए दिल्ली का दौरा करेगा।

इस बात पर जोर देते हुए कि प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मुलाकात करेगा और उनसे तमिलनाडु के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह करेगा, स्टालिन ने कहा कि केंद्रीय मंत्री से अपॉइंटमेंट मांगा गया है और प्रतिनिधिमंडल जल्द ही दिल्ली रवाना होगा।

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