प्रशांत महासागर में तनाव

प्रशांत महासागर में तनाव

अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव लगातार ब़ढता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर कोरिया के खिलाफ क़डी कार्यवाही के संकेत देते हुए कहा है की किम जोंग उन अब लम्बे समय तक सत्ता में नहीं रहने वाले। वहीं उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयोंग में अमेरिका के खिलाफ एक भाव रैली निकली गई जिसमे ह़जारों लोगों ने भाग लिया। उत्तर कोरिया के आधिकारिक न्यू़ज चैनल केसीएनए ने इस रैली में भाग लेने वालों की संख्या एक लाख से भी अधिक बताई है। दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच तनाव नया नही है और किसी भी तरह की तकरार का सबसे ब़डा खतरा दक्षिण कोरिया पर ही मंडरा रहा है। वर्ष १९५०-५३ के बीच हुए युद्ध के बाद उत्तर कोरिया अभी भी अमेरिका और दक्षिण कोरिया से अपनी ल़डाई को जारी मानता है क्योंकि इस युद्ध को केवल विराम लगा था और किसी भी तरह का शांति समझौता नहीं किया गया था। दक्षिण कोरिया अमेरिका का समर्थक देश है और अमेरिका की एक महत्वपूर्ण युधि बे़डा प्रशांत महासागर में दक्षिण कोरिया के आधिकारिक क्षेत्र में तैनात है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के रुख को ठीक से अमेरिका भी भांप नहीं पा रहा है और इसी कारणवश तनाव चरम पर पहुंच चुका है। उत्तर कोरिया अमेरिका तक पहुंचने वाली परमाणु मिसाइल बनाने की कोशिश में पिछल कुछ अरसे से जुटा हुआ है और पिछले कुछ महीनों में मिसाइल परीक्षण की खबरें भी बार-बार आती रहीं हैं। पिछले ही दिनों उत्तर कोरिया के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने किम जोंग उन की अनुमति मिलते ही अमेरिका को नेस्तनाबूत करने की बात कही थी। अमेरिका भी उत्तर कोरिया की धमकियों को हलके में नहीं ले रहा है और उसने प्रशांत महासागर में तैनाड अपने युधि ब़डे को ’’क्रिटिकल अलर्ट’’ पर (तैयार रहने) को कहा है। उधर चीन भी उत्तर कोरिया के हर कदम पर अपनी पैनी ऩजर बनाए हुए है। चीन का यह भी मानना है की शुक्रवार देर रात उत्तर कोरिया में महसूस किए गए हलकी तीव्रता वाले भूकंप के पीछे भी किसी तरह के बम का पार्किशन हो सकता है। जापानी सीमा में किसी भी तरह की घुसपेट का वह क़डा जवाब देगा। चीन और रूस भी उत्तर कोरिया को परमाणु हमले की कोशिश के खिलाफ चेतावनी दे चुके हैं। उत्तर कोरिया से संघर्ष होने पर क्षेत्रीय समीकरणों में बहुत बदलाव आएंगे। अगर ऐसा होता है तो उत्तर कोरिया अपना अस्तित्व भी खो सकता है।

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