डीपफेक के खतरे
तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब अपनी पहचान छुपाना और किसी की पहचान चुराना काफी आसान हो गया है
आज भारत में भी कई इलाके साइबर फ्रॉड के गढ़ बनते जा रहे हैं
वर्ष 2019 में आई एक फिल्म 'ड्रीम गर्ल' में मुख्य पात्र महिला की आवाज में बात कर कई लोगों को अपने 'जाल' में फंसाता था। उस फिल्म में विभिन्न रोचक घटनाओं के बाद खुलासा होता है कि जिसे लोग फोन पर महिला समझ रहे थे, वह असल में पुरुष था। उसे फोन पर अपनी पहचान छुपानी पड़ती थी।
इन चार वर्षों में तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब अपनी पहचान छुपाना और किसी की पहचान चुराना काफी आसान हो गया है। इससे अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। सरकारों को समय रहते इस ओर ध्यान देना चाहिए। अन्यथा भविष्य में यह समस्या बहुत बड़ा रूप ले सकती है। डीपफेक के 'शिकार' बने कुछ लोगों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो चुका है। पिछले दिनों चीन में एक व्यक्ति करीब 5 करोड़ रुपए गंवा बैठा।उसके पास वीडियो कॉल आया। उसने देखा कि उसका करीबी दोस्त काफी परेशान है। फिर हालचाल पूछा तो जवाब आया कि बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूं ... तुम्हारी आर्थिक मदद चाहिए। उसके बाद उसने बताए गए बैंक खाते में राशि भेज दी, जो भारतीय मुद्रा में करीब 5 करोड़ रुपए थी। उसने राशि भेजकर अपने दोस्त से पूछताछ की तो पता चला कि उसने कोई वीडियो कॉल नहीं किया और वह न किसी मुसीबत में है। उसने कोई राशि भी नहीं मंगवाई थी।
उस व्यक्ति को भारी आर्थिक नुकसान हो गया। साथ ही यह सोचकर आश्चर्य भी हो रहा था कि वीडियो कॉल पर दिखाई दे रहा शख्स हू-ब-हू उसके दोस्त जैसा दिखता था! उसकी आवाज भी वैसी ही थी। यह सब कैसे हुआ? यह डीपफेक के कारण संभव हुआ। अपराधी इसका इस्तेमाल ग़ैर-कानूनी गतिविधियों के लिए कर रहे हैं।
इसकी मदद से किसी के चेहरे, शरीर, हावभाव और आवाज आदि का घालमेल कर संबंधित व्यक्ति की आभासी 'कॉपी' बनाई जाती है। अभी यह तकनीक शुरुआती दौर में है। समय के साथ इसमें और नवीनता आएगी। उस स्थिति में अपराधी इसका इस्तेमाल और बड़े अपराधों के लिए कर मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।
अमेरिका के एरिजोना में भी ऐसी ही एक घटना ने डीपफेक के खतरे जाहिर कर दिए हैं। वहां एक लड़की अपने दोस्तों के साथ स्कीइंग के लिए गई थी। इस दौरान उसकी मां के फोन पर कॉल आया, जिसमें उसकी बेटी रोती हुई सुनाई दी। यह सुनकर वह महिला बुरी तरह डर जाती है। उसे अपनी बेटी के साथ किसी अनिष्ट की आशंका होने लगी।
वह उससे कई सवाल पूछती है ... 'तुम्हें क्या हुआ, इस समय कहां हो, क्यों रो रही हो?' उसके बाद एक पुरुष उस महिला से कहता है कि 'तुम्हारी बेटी का मैंने अपहरण कर लिया है। अगर वह सही-सलामत चाहिए तो 10 लाख डॉलर भेजो।'
यह सुनकर वह महिला बुरी तरह घबरा जाती है, क्योंकि उसके पास इतनी बड़ी रकम नहीं थी और उसे अपनी बेटी की जान की चिंता थी। आखिरकार 'सौदा' 5 लाख डॉलर में तय होता है। वह महिला यह राशि जुटाने के लिए कुछ समय मांगती है। फोन पर उस व्यक्ति ने धमकी भी दी कि अगर पुलिस को सूचना दी तो लड़की की जान खतरे में पड़ सकती है।
उसके बाद वह महिला अपनी एक करीबी दोस्त से संपर्क कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी देती है। उसने मामले की असलियत जानने के लिए स्कीइंग के लिए गए समूह को कॉल किया तो पता चला कि सभी लोग सुरक्षित हैं, किसी का भी अपहरण नहीं हुआ है। यह जानकर दोनों महिलाएं हैरान रह गईं। आखिर, उस व्यक्ति ने लड़की की हू-ब-हू आवाज में कॉल कैसे किया?
वास्तव में उसने डीपफेक के जरिए उस महिला को ठगना चाहा था। इसके लिए लड़की की आवाज का इस्तेमाल किया। अगर वह महिला अपनी दोस्त से संपर्क कर असलियत जानने की कोशिश नहीं करती और तुरंत राशि भेज देती तो उसे बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता था। ये तो कुछ ही उदाहरण हैं।
आज भारत में भी कई इलाके साइबर फ्रॉड के गढ़ बनते जा रहे हैं। यहां बैठकर ठग देश-विदेश में लोगों को लाखों-करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। जब डीपफेक जैसी तकनीक इनके हाथ लगेगी तो वे और बड़े कांड करेंगे। इसलिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। साथ ही साइबर ठगों को दंडित करने के लिए सरकारों को कड़े प्रावधान करने चाहिएं।