'दो का चार': कंगाली का मार्ग

हाल में राजस्थान में सैकड़ों लोगों ने 'आसान कमाई' के लिए एक ऐप में खूब रुपए लगाए

'दो का चार': कंगाली का मार्ग

ये जिस दर पर मुनाफा देने का दावा करते हैं, वह मौजूदा अर्थव्यवस्था में तो संभव नहीं है

जल्द अमीर बनाने का झांसा देने वाली मोबाइल ऐप लोगों की जेबें खूब खाली कर रही हैं। इनके खिलाफ सरकारों को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। ये कई लोगों को कंगाल कर चुकी हैं। आश्चर्य की बात है कि इनके बारे में अख़बारों से लेकर सोशल मीडिया तक खूब छप रहा है, लेकिन लोग फिर भी जाल में फंसते जा रहे हैं! यहां तक कि उच्च शिक्षित लोग ज्यादा ठगे जा रहे हैं। 

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हाल में राजस्थान में सैकड़ों लोगों ने 'आसान कमाई' के लिए एक ऐप में खूब रुपए लगाए। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों तक को मोटे मुनाफे के सपने दिखाए। उनमें से भी कई लोग 'दो का चार' के फेर में आ गए। अब इस ऐप ने काम करना बंद कर दिया है। उसके कर्ता-धर्ता कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। कुछ दिन पहले तक जो लोग अपने निवेश और मुनाफे के स्क्रीनशॉट दिखाकर दफ्तर में रौब झाड़ते थे, अब उनकी नींदें उड़ी हुई हैं। अगर वे पहले ही इस प्रकार की मोबाइल ऐप के दावों को परखने की कोशिश करते तो नुकसान से बच सकते थे। 

जब भी कोई कंपनी या ऐप 'दो का चार' और भारी-भरकम मुनाफे का दावा करे तो खुद से यह सवाल जरूर पूछें कि इनके पास ऐसा कौनसा नुस्खा है, जो ये इतनी मोटी रकम दे देंगे? अगर हमें दे देंगे तो खुद क्या रखेंगे? जाहिर-सी बात है कि दुनिया में ऐसी कोई निवेश योजना नहीं है, जो किसी व्यक्ति को रातों-रात मालामाल कर दे, वह भी बिना किसी जोखिम के! आज एक लाख रुपए लगाए, कल दो लाख रुपए मिल गए, फिर दो लाख के चार लाख, चार लाख के आठ लाख ...! 

ये जिस दर पर मुनाफा देने का दावा करते हैं, वह मौजूदा अर्थव्यवस्था में तो संभव नहीं है। हां, ऐसी योजनाएं उन लोगों को मालामाल कर सकती हैं, जो उस ऐप की ओट में बैठकर लोगों से धन ऐंठते हैं और फिर मौका देखकर चंपत हो जाते हैं। जब ऐसी मोबाइल ऐप के 'कारनामों' का भंडाफोड़ होता है तो लोगों में घबराहट फैलती है। उन्होंने जिनसे रुपए उधार लिए या 'निवेश' करवाए, उनसे संबंध बिगड़ते हैं।

इन दिनों एक सट्टा ऐप का मामला भी खूब चर्चा में है, जिसके प्रवर्तकों ने लोगों को कई करोड़ का चूना लगाया है। कभी जूस और टायर की दुकान चलाने वाले ये लोग अपनी ईमानदारी और मेहनत से काम करते हुए समृद्ध होते तो समाज के लिए आदर्श बनते। इन्होंने जो रास्ता अपनाया, वह 'इसकी टोपी उसके सिर' वाला था। इन्होंने लोगों के लालच का खूब फायदा उठाया। उन्हें मालदार होने का सपना दिखाते रहे और खुद के बैंक खातों में दौलत जमा करते रहे। वह भी इतनी कि अपनी शादी में फिल्मी सितारों को बुलाकर नृत्य करवाया, उन पर खूब रुपए उड़ाए। अब उन्हें भी ईडी के समन मिल रहे हैं। 

इस सट्टेबाजी के फेर में कई परिवार उजड़ गए। उन्हें पता ही नहीं चला कि अगले दांव में सबकुछ बर्बाद होने वाला है और वही हुआ। इस प्रकार की मोबाइल ऐप हो या परंपरागत तौर-तरीके, आम लोगों को सट्टेबाजी आखिरकार नुकसान ही पहुंचाती है। कई करोड़पति लोग इस जाल में फंसकर अपना सबकुछ गंवा बैठे। 

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के एक गांव में किसी दुकानदार को सट्टेबाजी की ऐसी लत लगी कि उसने अपने कामकाज से ज्यादा ध्यान इसकी ओर देना शुरू कर दिया। उसे शुरुआत में कुछ फायदा हुआ, जिससे उसका लालच बढ़ गया। अब उसे जिस पूंजी से दुकान के लिए माल खरीदना था, वह सट्टेबाजी में लगाने लगा। कुछ और फायदा हुआ तो थोड़ी रकम उधार लेकर लगाई। उसमें भी फायदा हुआ तो वह खुद को किस्मत का बादशाह समझने लगा। 

एक दिन उसने अपने पिता की ज़िंदगीभर की बचत निकाली, प्लॉट व दुकान को गिरवी रखा और इस उम्मीद के साथ दांव लगा दिया कि अब देश का अगला अरबपति वही बनेगा। जब 'नतीजा' आया तो उसके पांवों तले से जमीन खिसक गई। वह अपने मकान-दुकान सबकुछ गंवा बैठा। अगर वह रातों-रात अमीर बनने का सपना देखने के बजाय अपनी दुकान की ओर ध्यान देता, सूझबूझ से कारोबार चलाता तो कुछ वर्षों में बहुत अच्छी स्थिति में पहुंच जाता। याद रखें, खाली हाथ हो जाने से बेहतर है- थोड़ा मुनाफा।

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