अवमानना मामला: उच्चतम न्यायालय ने प्रशांत भूषण पर 1 रुपए का जुर्माना लगाया
अवमानना मामला: उच्चतम न्यायालय ने प्रशांत भूषण पर 1 रुपए का जुर्माना लगाया
नई दिल्ली/दक्षिण भारत/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने अवमानना मामले में सजा के रूप में अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर सांकेतिक तौर पर एक रुपए का जुर्माना लगाया है। उन्हें जुर्माने की यह राशि 15 सितंबर तक रजिस्ट्री में जमा करानी होगी। अगर वे जुर्माना नहीं देते हैं तो तीन महीने की सजा होगी और तीन साल के लिए वकालत करने पर रोक लगा दी जाएगी।
Supreme Court imposes a fine of Re 1 fine on Prashant Bhushan. In case of default, he will be barred from practising for 3 years & will be imprisoned of 3 months https://t.co/0lMbqiizBb— ANI (@ANI) August 31, 2020
इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि वह अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण को सोमवार को सजा सुनाएगा। फैसला न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया। भूषण द्वारा न्यायालय की तरफ से माफी मांगने के सुझाव को खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि शीर्ष अदालत की ओर से ‘स्टेट्समैन जैसा संदेश’ दिया जाना चाहिए और भूषण को शहीद न बनाएं।
तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति मिश्रा ने सजा के मुद्दे पर उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति मिश्रा दो सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।
भूषण का पक्ष रख रहे धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपने 14 अगस्त के फैसले को वापस ले ले तथा कोई सजा न दे। उन्होंने अनुरोध किया कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह भूषण को इस संदेश के साथ माफ कर दे कि उन्हें भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं दोहराना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने ट्वीटों को लेकर माफी न मांगने के रुख पर पुनर्विचार के लिए भूषण को 30 मिनट का समय भी दिया था।