गोदावरी के पानी से सुलझ सकती है तमिलनाडु की समस्या

गोदावरी के पानी से सुलझ सकती है तमिलनाडु की समस्या

चेन्नई/दक्षिण भारतकावेरी नदी के जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जारी विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी हद तक सुलझ सकता है। लेकिन इस फैसले के बाद भी यह तय नहीं है कि कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुदुच्चेरी को सिंचाई और पीने के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध हो पाएगा या नहीं। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार इस समस्या का हल गोदावरी नदी की सहायता से निकाला जा सकता है। तमिलनाडु लोक निर्माण विभाग (पीडबल्यूडी) के मुख्य अभियंता और देश भर में नदियों के लिए काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्थाओं नावद टेक के चेयरमैन एसी कामराज ने इस संबंध में पत्रकारों को बताया कि अगर नदी और किसानों के साथ ही प्रदेश के विकास के मामले को ध्यान में रखा जाए तो दक्षिण भारत की सभी नदियों को आपस में जो़डना ही सबसे बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।’’ ब्रिटेन में बसे जल विशेषज्ञ के जयचंद्रन ने कहा, ’’सभी नदियों में पानी का स्तर ब़ढाना जरुरी है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी लगातार दक्षिण भारतीय राज्यों में बहने वाली नदियों को इंटरलिंक करने पर जोर देते रहे हैं। राज्यों को भी आगे आकर इसमें मदद करना चाहिए्।’’ गौरतलब है कि कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर मुख्य तौर पर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच विवाद था। कावेरी नदी कर्नाटक के कोडागु जिले से निकलती हैं और तमिलनाडु के पूमपुहार में बंगाल की खा़डी में जाकर गिरती है। पिछले वर्ष २० सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश अमिताभ रॉय और न्यायाधीश एएम खानविलकर की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ के सर्वसम्मत फैसले को मुख्य न्यायाधीश ने लिखा है। गौरतलब है कि पानी के बंटवारे को लेकर २०० प्रतिशत के कावेरी जल विवाद पंचाट के फैसले के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। उल्लेखनीय है कि कावेरी नदी के बेसिन में कर्नाटक का ३२ हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का ४४ हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका आता है। दोनों ही राज्यों का कहना है कि उन्हें सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है। इसे लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। विवाद के निपटारे के लिए जून १९९० में केंद्र सरकार ने कावेरी पंचाट बनाया था, लंबी सुनवाई के बाद २००७ में फैसला दिया कि हर साल कावेरी नदी का ४१९ अरब क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु को दिया जाए, जबकि २७० अरब क्यूबिक फीट पानी कर्नाटक को दिया जाए्। कावेरी बेसिन में ७४० अरब क्यूबिक फीट पानी मानते हुए पंचाट ने अपना फैसला सुनाया। इसके अलावा केरल को ३० अरब क्यूबिक फीट और पुड्डुचेरी को ७ अरब क्यूबिक फीट पानी देने का फैसला दिया गया। पंचाट के फैसले से कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल खुश नहीं थे और फैसले के खिलाफ तीनों ही राज्य एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download