प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने की मोदी सरकार की तारीफ, कहा- बेहतर हुआ कारोबारी माहौल

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने की मोदी सरकार की तारीफ, कहा- बेहतर हुआ कारोबारी माहौल

guy sorman

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। मोदी सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों को लेकर विपक्ष भले ही कई सवाल उठाकर तीखी आलोचना कर रहा हो, लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री को एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री का साथ मिल गया है। फ्रांस के जानेमाने अर्थशास्त्री गॉय सोरमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की खूब तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार के शासन में सकारात्मक और सुसंगत नीतियों ने भारतीय उद्यमियों के लिये बेहतर कारोबारी माहौल तैयार किया है।

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गॉय सोरमैन ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में विभिन्न बिंदुओं का जिक्र कर मोदी सरकार की नीतियों को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि किसी को भी किसी सरकार से आर्थिक चमत्कार की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों की समीक्षा करते हुए कहा कि वे सुसंगत रही हैं।

अर्थशास्त्री ने उद्यमियों के लिए देश के माहौल को भी सराहा है। इसके अलावा भारत में भ्रष्टाचार में कमी आने की तारीफ की है। गॉय सोरमैन ने कहा कि कम मुद्रास्फीति और अपेक्षाकृत कम भ्रष्टाचार के साथ उद्यमियों को पहले से बेहतर माहौल दिया है। बता दें कि अर्थशास्त्र पर गॉय सोरमैन के विचार अनेक देशों में प्रकाशित हो चुके हैं। वे लेखक भी हैं। उन्होंने ‘इकोनॉमिक्स डज नोट लाय: ए डिफेंस ऑफ दी फ्री मार्केट इन ए टाइम ऑफ क्राइसिस’ नामक पुस्तक लिखी है, जो काफी चर्चा में रही है।

उन्होंने वित्तीय बाजार में सकारात्मक बदलाव, निवेश में वृद्धि तथा जीडीपी की ऊंची वृद्धि दर का श्रेय मोदी सरकार की नीतियों को दिया। उन्होंने कहा कि मोदी की अर्थनीति सकारात्मक रही है। गॉय सोरमैन ने पूर्ववर्ती सरकारों की अर्थनीतियों से तुलना करते हुए कहा कि जहां तक मुझे ध्यान है, यह पिछली किसी भी सरकार से काफी बेहतर है। हाल में पेश अंतरिम बजट पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने छोटे किसानों के लिए छह हजार रुपए सालाना वित्तीय सहायता को ठीक फैसला बताया।

गॉय सोरमैन ने कहा कि गरीब और पिछड़े लोगों को आर्थिक सहायता मुहैया कराने को अब अर्थशास्त्री भी गरीबी दूर करने का सबसे प्रभावी तरीका मानने लगे हैं। उन्होंने वृद्धि तथा रोजगार पर पूछे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारत व्यापक रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था आधारित देश है, जहां अनौपचारिक और वस्तु विनिमय चलन में है। इस स्थिति में आंकड़े जुटाना मुश्किल कार्य है। उन्होंने प्रति व्यक्ति आय को राष्ट्रीय जीडीपी से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया। साथ ही आंकड़ों के संग्रह के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर जोर दिया।

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