विभिन्न विषयों पर केंद्रित रही ‘शब्द’ की रचनागोष्ठी
अचला सिन्हा तथा कविता भट्ट की कविताएं प्रकृति के विविध रूपों एवं सावन से जुड़े स्त्री-मनोभावों पर केंद्रित थीं
मूर्धन्य कवि मदन कश्यप ने प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया
बेंगलूरु। प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ की बीते रविवार को आयोजित मासिक रचनागोष्ठी में कवियों ने स्वाधीनता, प्रकृति, पर्यावरण, विस्थापन, स्त्री विमर्श और पावस पर केंद्रित कविताओं का पाठ किया। ‘शब्द’ के वरिष्ठ सदस्य हंसराज मुणोत की अध्यक्षता में आयोजित इस रचनागोष्ठी के आरंभ में पंडित राजगुरु ने वीणा वादिनी की प्रार्थना में एक सुंदर स्वरचित गीत प्रस्तुत किया । चर्चित कवयित्री लवली गोस्वामी की स्त्री अनुभूति तथा अन्यान्य भावानुभूतियों की कविताएं श्रोताओं द्वारा खूब सराही गईं । युवा कवि दीपक सोपोरी की कविताओं में विस्थापन का दर्द मुखर था। अचला सिन्हा तथा कविता भट्ट की कविताएं प्रकृति के विविध रूपों एवं सावन से जुड़े स्त्री-मनोभावों पर केंद्रित थीं। श्रीकांत शर्मा तथा राजेन्द्र गुलेच्छा की कविताओं में आजादी के मनोभाव एवं मानवीय मूल्य का प्रभावी चित्रण था । आनंद मोहन झा के गीत हर बार की तरह इस बार भी मोहक एवं प्रभावकारी थे। वरिष्ठ कवि अनिल विभाकर की कविताओं में जीवन यथार्थ के प्रबल स्वर मुखर थे । रचनागोष्ठी की संचालक ऋताशेखर मधु की कविता एवं गीत स्वाधीनता के उच्छवास से ओतप्रोत थे; जबकि डॉ रमाकांत गुप्ता की रचना में वार्धक्य के आनंद को जीने की प्रेरणा थी। अध्यक्षीय उद्बोधन में हंसराज मुणोत ने प्रतिभागी कवियों के विविध काव्य स्वर की प्रशंसा करते हुए इसे काव्य कला का विशेष गुण बताया । उन्होंने अंत में आजादी के मनोभाव को चित्रित करती अपनी एक प्रभावशाली कविता सुनाई। प्रारंभ में ‘शब्द’ के अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण समीर ने समागत कवियों का स्वागत किया । रचनागोष्ठी की उल्लेखनीय बात यह रही कि ‘प्रथम अज्ञेय शब्द सम्मान’ से सम्मानित मूर्धन्य कवि मदन कश्यप इसमें आरंभ से अंत तक श्रोता के रूप में उपस्थित रहे और प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया । रचनागोष्ठी में गोड़वाड़ भवन के कुमारपाल सिसोदिया भी थोड़े समय के लिए उपस्थित हुए और काव्य पाठ का रसास्वादन किया । उन्होंने साहित्य के संवर्धन में ‘शब्द’ के प्रयासों की प्रशंसा की । अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष के धन्यवाद उद्गार से रचनागोष्ठी संपन्न हुई ।