खातों में सेंध, भरोसे पर ग्रहण

कुछ बैंक कर्मचारी भी अपना ईमान बेच रहे हैं

खातों में सेंध, भरोसे पर ग्रहण

अपने ग्राहकों के साथ की गई धोखाधड़ी बहुत गंभीर मामला है

नब्बे के दशक तक लोगों में इस बात को लेकर भरोसा बहुत मजबूत होता था कि अगर बैंक में रुपए जमा हैं, लॉकर में कोई कीमती चीज रखी है तो उनके सुरक्षित रहने की गारंटी है। हालांकि ठगी की कुछ घटनाएं तब भी होती थीं, लेकिन जब से डिजिटल का दौर आया है, इसकी खामियों का फायदा उठाकर कुछ शातिर लोग ग्राहकों के खाते धड़ाधड़ खाली कर रहे हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देकर प्रणाली को अधिक सुरक्षित बनाना होगा। ऑनलाइन ठगी को अंजाम देने में साइबर अपराधी तो लिप्त हैं ही, कुछ बैंक कर्मचारी भी अपना ईमान बेच रहे हैं। जब बाड़ ही खेत को खाने लगेगी तो किस पर भरोसा किया जाए? एक मशहूर बैंक की इंदौर शाखा में कार्यरत रिलेशनशिप मैनेजरों पर जब अमीर बनने की सनक सवार हुई तो उन्होंने दफ्तर में इस्तेमाल होने वाले खास सॉफ्टवेयर के जरिए ग्राहकों के खातों में सेंध लगानी शुरू कर दी! उन्होंने मध्य प्रदेश के अलावा पंजाब, गुजरात और तेलंगाना के दर्जनभर ग्राहकों के खातों से रुपए निकालकर महंगे मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और डिजिटल सोने की खरीदारी कर ली! यह तो इनकी करतूतों का भंडाफोड़ हो गया, अन्यथा ये कोई बहुत बड़ा कांड करते। बैंक के कुछ कर्मचारियों द्वारा अपने ही ग्राहकों के साथ की गई धोखाधड़ी बहुत गंभीर मामला है। पिछले साल जुलाई में हिमाचल प्रदेश में एक बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर का मामला बहुत चर्चा में रहा था, जिसने ऑनलाइन गेम खेलते हुए कई खाताधारकों के 3.80 करोड़ रुपए डुबो दिए थे। इसी तरह बेंगलूरु में स्थित एक बैंक शाखा में कार्यरत मैनेजर ने किसी कंपनी का संवेदनशील डेटा चुराकर उसके खाते से बहुत बड़ी रकम इधर-उधर करने के लिए डेढ़ दर्जन खातों का इस्तेमाल किया, लेकिन उसकी चालाकी काम नहीं आई और आखिरकार पकड़ा गया।

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एक ओर जहां अन्य बैंक कर्मचारी बहुत मेहनत व ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाते हैं, वहीं कुछ कर्मचारी लालच में आकर अपराध करते हैं तथा अपनी और बैंक की प्रतिष्ठा धूमिल करते हैं। लोग बहुत मेहनत से रुपए कमाकर बैंकों में रखते हैं, क्योंकि वे उन पर भरोसा करते हैं। अगर किसी शाखा में ऐसा अपराध हो जाता है तो लोगों का भरोसा दोबारा कायम करना बड़ा मुश्किल होता है। बैंक कर्मचारी की भूमिका उस रक्षक की तरह होती है, जिसे कोई ग्राहक एक रुपया भी सौंपे तो उसके सुरक्षित होने का 100 प्रतिशत भरोसा हो। पिछले साल दिल्ली में एक बैंक की शाखा में कार्यरत मैनेजर ने ग्राहकों की एफडी तोड़कर लगभग 52 करोड़ की रकम ऑनलाइन जुए में उड़ा दी थी। बाद में जांच एजेंसियों ने उसका कच्चा चिट्ठा खोल दिया। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कार्यरत एक बैंक कैशियर को नोट गिनते-गिनते सट्टेबाजी का चस्का लग गया। उसने पहले अपनी जेब से रुपए लगाए और हार गया। इसके बाद बैंक के 54.64 लाख रुपए लगाए। वे भी हार गया। फरवरी 2023 में बिहार में एक बैंक मैनेजर ने आत्महत्या कर ली थी। जब जांच की गई तो पता चला कि वह डिप्रेशन में था, चूंकि उसने ऑनलाइन जुए-सट्टे के जरिए करोड़पति बनने के प्रयास में बहुत बड़ी रकम दांव पर लगा दी थी। जब सबकुछ हार गया तो खौफनाक कदम उठा लिया। जल्दी मालामाल होने, सभी सुविधाएं हासिल करने और आसानी से धन कमाने का लालच बहुत लोगों को बर्बाद कर चुका है। ऐसे कामों में लोग तब तक रुपए लगाते रहते हैं, जब तक सबकुछ नहीं लुटा देते। वे उधार लेकर या हेरफेर करके दांव लगाने से भी नहीं हिचकते। किसी बैंक कर्मचारी को इसकी लत लग गई तो वह बहुत बड़ा नुकसान करवा सकती है। डिजिटल लेनदेन के कारण रुपए लगाना बहुत आसान हो गया है। बैंकों को अपने कर्मचारियों को इससे सावधान करते हुए ग्राहकों के भरोसे को मजबूत रखना चाहिए।

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