महाराष्ट्र: शिवसेना ने सत्ता में समान हिस्सेदारी को लेकर भाजपा से लिखित में आश्वासन मांगा
महाराष्ट्र: शिवसेना ने सत्ता में समान हिस्सेदारी को लेकर भाजपा से लिखित में आश्वासन मांगा
मुंबई/भाषा। महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा के दावा पेश करने पर बाचतीत करने से पहले ‘सत्ता में समान हिस्सेदारी के फॉर्मूले’ (50:50) को लागू करने के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने सहयोगी दल से शनिवार को लिखित में आश्वासन देने को कहा। शिवसेना के एक विधायक ने यह जानकारी दी।
शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों ने मुंबई में ठाकरे के आवास पर उनसे मुलाकात की। उन्होंने नई सरकार में आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। विधायक ने कहा, ठाकरे ने भी कहा है कि उनके पास अन्य विकल्प खुले हैं। लेकिन उन्हें तलाशने में रुचि नहीं ले रहे हैं क्योंकि भाजपा और शिवसेना हिंदुत्व की विचारधारा रखती हैं।राज्य में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 56 सीटों पर जीत दर्ज करने के दो दिनों बाद नवनिर्वाचित विधायकों ने ठाकरे से मुलाकात की। उन्होंने शिवसेना प्रमुख को नई सरकार के गठन के बारे में फैसला लेने के लिये अधिकृत किया।
शिवसेना के लिखित में आश्वासन मांगने को उसकी दबाव बनाने की तरकीब के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, भाजपा को 2014 की तुलना में इस चुनाव में 17 सीटों का नुकसान हुआ है और उसकी सीटों की संख्या 122 (2014 के) से घटकर 105 पर आ गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, भाजपा के प्रदर्शन ने शिवसेना की सौदेबाजी करने की ताकत बढ़ा दी है। हालांकि, शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 के 63 की तुलना में घटकर 56 पर आ गई है।
शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने बैठक के बाद ठाकरे को उद्धृत करते हुए कहा, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में शिवसेना कम सीटों पर चुनाव लड़ी। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि भाजपा को सत्ता-साझेदारी के फॉर्मूले को लागू करने के बारे में लिखित में आश्वासन देना होगा। सीटों और सत्ता में समान हिस्सेदारी के बारे में मेरे आवास पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में इसे (फॉर्मूले को) तैयार किया गया था।
अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन पर मुहर लगाने के वास्ते शिवसेना प्रमुख के आवास पर शाह ने ठाकरे से मुलाकात की थी। विधायक ने कहा कि भाजपा द्वारा इस तरह का आश्वासन दिए जाने पर अगली सरकार के गठन पर चर्चा हो सकती है।
सरनाइक ने कहा, शिवसेना प्रमुख ने हमसे कहा कि उनके पास अन्य विकल्प खुले हुए हैं (संभवत: सरकार गठन के लिए) लेकिन उसमें उनकी रुचि नहीं है। उन्होंने हमसे कहा कि भाजपा और शिवसेना हिंदुत्व की विचारधारा की डोर से एक दूसरे से बंधी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि नए विधायकों के शपथ ग्रहण करने के बाद शिवसेना के विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। महाराष्ट्र में एक ‘दिलचस्प संभावना’ के बारे में अटकलें उस वक्त शुरू हुई थीं, जब चुनाव नतीजे के दिन पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं कांग्रेस नेताओं, अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि पार्टी को भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता रावसाहेब दानवे ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना द्वारा प्रस्तावित सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी के किसी सौदे से अवगत नहीं है। उन्होंने कहा, दिवाली के बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार गठन के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत करेंगे।
राज्य में 21 अक्टूबर को 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनावों में भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, राकांपा 54 और कांग्रेस 44 सीटों पर विजयी रही।
चुनाव नतीजों के बाद बदले राजनीतिक परिदृश्य ने शिवसेना का मनोबल बढ़ा दिया है जो बखूबी जानती है कि वह सौदेबाजी करने की स्थिति में है और मुख्यमंत्री पद के लिए आदित्य के नाम पर मुहर लगवा सकती है।
आदित्य (29) 1960 के दशक में पार्टी के गठन के बाद से चुनावी राजनीति में उतरने और जीत हासिल करने वाले ठाकरे परिवार के प्रथम व्यक्ति हो गए हैं। वे मुंबई की वर्ली सीट से जीते हैं, जो शिवसेना का गढ़ है।
बृहस्पतिवार को शिवसेना ने अपने कड़े तेवर दिखाते हुए भाजपा को ‘50:50 फॉर्मूले’ की याद दिलाई थी, जिस पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, ठाकरे और फडणवीस के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सहमति बनी थी।
सूत्रों के मुताबिक इस फॉर्मूले के मुताबिक शिवसेना और भाजपा के चक्रीय आधार पर मुख्यमंत्री होंगे और दोनों दलों को कैबिनेट में बराबर संख्या में जगह मिलेगी। ठाकरे ने कहा था, मैं (शिवसेना) लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कम सीटों पर चुनाव लड़ा। मैं हर बार भाजपा के लिए जगह नहीं छोड़ सकता। मैं भाजपा को उस फॉर्मूले की याद दिलाना चाहता हूं जो अमित शाह की मौजूदगी में बनाया गया था।
हालांकि, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना का समर्थन करने की बात से इनकार किया। वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट ने भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने कहा, यदि शिवसेना कोई प्रस्ताव लेकर आती है तो (प्रदेश) कांग्रेस अपने आलाकमान से राय मांगेगी।
शिवसेना आदित्य का नाम राज्य के अगले मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रही है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बार-बार कहा है कि फडणवीस मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे।